भारत का भूगोल। फॉर एग्जाम - RAS, 1grade, 2 grade, REET, SSC, cgl, police, railway etc.

प्रेरणा डायरी ( www.pternadayari.com )

टुड़ावली, राजस्थान, 321610 , भारत।


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भारत -- टॉपिक लिस्ट। विषय सूची -- 

1. भारत - समान्य परिचय, नक्सा ज्ञान, राज्य, सीमा, पड़ोसी देश, केन्द्र सा.प्र.

2. भारत के भौतिक प्रदेश। 

3. अपवाह तंत्र। 

4. जलवायु। 

5. भारत की मृदा। 

6. वनस्पति। 

7. जीव मण्डल। 

8. पार्यायवरण। 

9. Agriculture, कृषि । 

10. बहुउदेशीय परियोजना। 

11. भारत के खनिज। 

12. उद्योग। 

13. ऊर्जा संसाधन। 

14. भारत में जनसंख्या। 

15. जानाकिय गुण। 

16. भारत में नागरीकरn। 


अध्याय 1 - भारत एक समान्य परिचय। 



भारत का नामकरण ---


भारत की सभ्यता एवं संस्कृति उतनी ही पुरानी है जितनी कि मानव उत्पत्ति। भारत की विशालता एवं तीन ओर से समुद्र से घिरा होने के कारण इसे उपमहाद्वीप की संज्ञा दी गई है। इसका प्राचीन नाम आर्यावर्त था। राजा भरत के नाम पर इसका नोम भारतवर्ष पड़ा। वैदिक आरयों का निवास स्थान सिंधु घाटी में स्थित था। पर्शिया (आधुनिक ईरान) के लोगों ने सबसे पहले सिन्धु घाटी से भारत में प्रवेश किया। वे लोग स का उच्चारण ह की तरह करते थे तथा वे सिन्धु नदी को हिन्दू नदी कहते थे। इसी आधार पर इस देश को हिन्दुस्तान नाम दिया। ये लोग सिन्धु  का बदला रूप हिन्दू  यहाँ के निवासियों के लिए भी प्रयोग करते थे। जेन पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू और बौद्ध ग्रंथों में भारत हेतु जम्बूद्वीप का प्रयोग किया गया है। भारत के लिए प्रयुक्त इण्डिया शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के इण्डोस (indos) से हुई है। यूनानियों ने सिन्धु को इण्डस तथा इस देश को इण्डिया कहा। जेम्स अलेक्जेंडर ने अपने विवरण में हिन्दू (hindu) का ह (h) हटाकर देश को इन्दू (indu) नाम से सम्बोधित किया था। बाद में परिवर्तित होकर यह इण्डिया (india) हो गया। भारत के संविधान के अनुच्छेद-1 के अनुसार में स्पष्ट किया गया है कि, भारत अर्थात्‌ इण्डिया राज्यों का संघ होगा। 


भारत -- इस्थिति और विस्तार - 


भारत देश पृथ्वी के उत्तरी-पूर्वी गोलार्द्ध में

 


8*4 ' से 37* 6' उत्तरी अक्षांश तथा 68*7'  से 97*25'  पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। भारत का भौगोलिक क्षेत्रफल--

 32 ,87 ,263 वर्ग किमी. है, जो विश्व के कूल क्षेत्रफल का 2.43% है। क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारत का रूस, कनाडा, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील व ऑस्ट्रेलिया के बाद सातवाँ स्थान है। जबकि, जनसंख्या के दृष्टिकोण से चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है, जहाँ विश्व की कुल जनसंख्या का 17.9% भाग निवास करता है। 82% पूर्वी देशान्तर भारत के लगभग मध्य से होकर गुजरती है। इसी देशांतर के समय को देश का मानक समय (Standard Time) माना गया है, यह इलाहबाद के निकट नैनी से होकर गुजरती है जो कि भारत के पाँच राज्यों --उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा तथा आन्श्र प्रदेश से होकर गुजरती है। भारत का समय ग्रीनविच्च समय 



से 5 घंटा 30 मिनट आगे हे। कर्क रेखा भारत के लगभग मध्य भाग एवं आठ राज्यों (गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा तथा मिजोरम) से एवं पड़ोसी देश बांग्लादेश से होकर गुजरती है।

 भारत का लगभग अधिकांश क्षेत्र मानसूनी जलवायु के अंतर्गत आता है लेकिन कर्क रेखा इसे लगभग दो बराबर भागों उत्तरी भारत (उपोष्ण या कोष्ण शीतोष्ण कटिबंध) एवं दक्षिणी भारत (उष्ण कटिबंध) में बाँटती है। 

भारतीय भू-भाग की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 2,933 किमी. तथा चौड़ाई (उत्तर से दक्षिण) 3214 किमी, है। इस प्रकार, भारत लगभग चतुष्कोणीय देश है। भारत का प्रायद्वीपीय 
भाग त्रिभुजाकार आकृति में हिन्द महासागर की ओर फैला 
हुआ है, जो इस महासागर को 2 शाखा अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में विभाजित करता है। हिन्द महासागर और उसकी शाखाएँ अरब सागर व ब्रंगाल की खाड़ी क्षेत्र में भारत की तटीय सीमा बनाती हैं। इसकी इसथलीय-सीमa की लम्बाई 15 ,200 किमी, तथा मुख्य भूमि की तटीय सीमा की लम्बाई 6,100 किमी. है। द्वीपों सहित देश की कुल  सीमा 7516.6 किमी, है। इस प्रकार, भारत की कुल, सीमा 22,716.6( 15200+7516.6)  किमी है। गुजरात की तटीय सीमा सबसे लम्बी है, क्योंकि इसमें सर्वाधिक क्रीक (creek ) है। 


भारत का दाक्षणतम बिंदु इंदिरा प्वाइंट है, जो ग्रेट निकोबार द्वीप में 6"45' उत्तरी अक्षांश पर स्थित है। पहले इसका नाम पिग्मेनियन प्वॉाइट था। यह भूमध्य रेखा से 876 किमी. दूर है। 2004 में हिन्द महासागर क्षेत्र में भूकंप से उत्पन्न हुई सुनामी के कारण इंदिरा प्वाइंट का बड़ा भाग समुद्र में डूब गया था। इंदिरा प्वाइंट और इंडोनेशिया के बीच ग्रेट चैनल है। भारत की मुख्य भूमि का सबसे दक्षिण बिन्दु कन्याकुमारी (8*4' उत्तरी अक्षांश, तमिलनाडु) तथा सबसे उत्तरी बिन्दु इंदिरा कॉल (जम्मू-कश्मीर), सबसे पश्चिमी बिन्दु गौरमोता या गुहार मोती (गुजरात) तथा सबसे पूर्वी बिन्दु किबिथु (अरुणाचल प्रदेश) है। मिनिकॉय व लक्षद्वीप के मध्य 9” चैनल, मालदीव व मिनिकॉय के मध्य 8" चैनल तथा लिटिल अण्डमान और कार निकोबार के मध्य 10* चैनल स्थित है। 

हिन्द महासागर का महत्व भारत हिन्द महासागर में केन्द्रीय अवस्थिति रखता है तथा यह एकमात्र देश है, जिसके नाम पर किसी महासागर का नाम पड़ा है। हिन्द महासागर भारत के लिए पर्याप्त भू-राजनीतिक, भू-सामरिक, आर्थिक व व्यापारिक महत्व रखता है। भारत की प्रादेशिक समुद्री सीमा या क्षेत्रीय. सागर तटीय आधार रेखा (coastal Base line ) से 12 समुद्री मील (नॉटिकल मील) की दूरी तक का क्षेत्र है। भारत को इस क्षेत्र में सभी प्रकार के संसाधनों के दोहन (Exploitation) का पूर्ण अधिकार प्राप्त है। आधार रेखा वस्तुतः टेढे-मेढे तट को मिलाने वाली कल्पित सीधी रेखा है। स्थलीय भाग एवं आधार रेखा के मध्य स्थित सागरीय जल को आंतरिक जल (इंटरनल वॉटर) कहते हें। अविच्छिन मंडल या संलग्न क्षेत्र 


 की दूरी प्रादेशिक समुद्री सीमा से 12 समुद्री मील तथा आधार रेखा से 24 समुद्री मील (1 समुद्री मील - 1.8 मील) आगे तक का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में भारत को अप्रवासी कानून पर्यावरणीय स्वच्छता, सीमा शुल्क की वसूली के वित्तीय अधिकार तथा राजकोषीय अधिकार प्राप्त हें। अनन्य आर्थिक के (Exclusive Economik Zone) तटीय आधार रेखा से-200 समुद्री मील तक का क्षेत्र हे, जिसमें भारत को सागरीय जल शक्ति, सागरीय संसाधनों, जीवों का सर्वेक्षण, वैज्ञानिक अनुसंधान एवं प्राकृतिक संसाधानों का दोहन का अधिकार प्राप्त है। इस क्षेत्र के बाद उच्च सागर (high sea) का विस्तार है, जहाँ सभी राष्ट्रों को समान अधिकार प्राप्त हैं। 


भारत देश में 28 राज्य और 8 केन्द्र शासित प्रदेश हैं। हमारे निकटतम पड़ोसी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार तथा बांग्लादेश हैं। नेपाल व भूटान, भारत व चीन के मध्य अंतस्थ राज्य (बफर स्टेट) हैं। श्रीलंका भी भारत का पड़ोसी देश है, जो हिन्द महासागर में पाक जलसंधि द्वारा भारत की मुख्य भूमि से पृथक्‌ है। एडम्स ब्रिज तमिलनाडु एवं श्रीलंका के मध्य स्थित है। पम्बन द्वीप एडम्स ब्रिज का ही भाग है। पम्बन द्वीप पर ही रामेश्वरम्‌ स्थित है। एडम्स ब्रिज के उत्तर में पाक की खाड़ी एवं दक्षिण में मनन्‍नार की खाड़ी स्थित है।


 भारत की सामरिक स्थिति -

 आज के दौर में दुनिया के देशों  में आपसी वर्चस्व की होड़ है। इस हिसाब से हर देश की सामरिक स्थिति  बड़ी महत्वपूर्ण होती है। उन देशों ने बड़ी तरक्की की है जो सामुद्रिक व्यापार केदो पर स्थित है। यदि भारत की बात की जाए तो भारत की स्थिति सामरिक और परिवहन दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यूरोप और अमेरिका से यह अपने पश्चिमी भाग द्वारा समीप स्थित रखता है। अनेक अंतरराष्ट्रीय वायु मार्ग एवं अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक जलमार्ग भारत की सीमाओं के निकट से गुजरते हैं। भारत पूर्वी अफ्रीका एवं मध्य पूर्व एशिया के देशों से सीधे संपर्क में है और उनके समीप है। स्वेज नहर बन जाने के बाद भारत की स्थिति का महत्व और भी बढ़ गया। इसके जरिए भारत यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका के देशों के काफी समीप आ गया। पूर्व में मलक्का  जलडमरूम ने इसे सिंगापुर, हांगकांग,  वियतनाम, कंबोडिया,  इंडोनेशिया,  के समीप ला दिया।
 भारत के बारे में कहा जाता है कि यह पश्चिमी विकसित देशों एवं पूर्वी विकासशील देशों के बीच एक संयोजक कड़ी है। भारत अपनी विकसित सभ्यता एवं संस्कृति के कारण एशिया में और विश्व के अन्य देशों में आकर्षण का बिंदु बन गया है। भारतीय व्यापारी पूर्व इस्थित देशों - थाईलैंड, कंबोडिया,  इंडोनेशिया,  पश्चिम में स्थित अरब, फारस, मिश्र,  ग्रीक, व रोम के साथ मसाले तथा बहुमूल्य पत्थरों, सोना, रेशम, सूती वस्त्र आदि का व्यापार करते थे। दक्षिण भारत के शक्तिशाली शासक चोल एवं पल्लओ ने पूर्व में स्थित द्वीपों पर अपने उपनिवेश स्थापित किया जहां आज भी भारतीय संस्कृति अपने पैर जमाये हुए हैं।

 यह है भारत की भूसामरिक स्थिति ही है कि उसने यूरोप के देशों ब्रिटेन, फ्रांस, पुर्तगाल,  हॉलैंड,  को अपने यहां उपनिवेश स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। 



 भारत - 28 राज्य और 8 केन्द्र शासित प्रदेश --







 भारत  -- कुछ important फैक्ट -- 

दोस्तों भारत से सम्बंधित ये कुछ महत्वपूर्ण तथ्य है जिन्हें आप याद रखे--- 



 
भारत की विशालता एवं विविधताएँ

हमारी मातृ भूमि बहुत विशाल तथा विस्तृत है। भारत में जितनी भोतिक, मानवीय तथा सांस्कृतिक विविधताएँ पाई जाती हैं, कदाचित विश्व में अन्यत्र दुर्लभ हैं। यहाँ नीतियों, धर्मों, रीतिरिवाजों, वेश-भूषा तथा खान-पान में भिन्नता मिलती है, लेकिन इनमें सर्वव्यापी एकता के दर्शन होते हैं। अनेकता में एकता  भारतीय संस्कृति का विशेष आभूषण है। हमारे यहाँ बाहर से जितनी भी जातियों व प्रजातियाँ आईं, समय के साथ भारतीयता में समा गयीं और भारतीय संस्कृति को एक नया रूप देती रहीं। हमने अपनी संस्कृति में विदेशी संस्कृति को अपने रूप में ढाल कर विकसित किया। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति समन्वयवादी रही है। भौतिक रचना, जलवायु , मिट्टी, जीव-जन्तु , कृषि, खनिज तथा उद्योगों की विविधता ने भारत में सामाजिक व सांस्कृतिक भूदृश्यों में विविधता ला दी हे लेकिन समस्त दृश्य एक समन्वित संस्कृति के सूत्र में बंधे हुए हैं। 

भूगर्भिक दृष्टि से भारत प्राचीनतम से लेकर नवीनतम चट्टानों की संरचना रखने वाला देश है। धरावलीय दृष्टि से, जहाँ विश्व की ऊँची पर्वत श्रेणी रखता है तो समुद्र निर्मित मेदान भी हैं। भारत की सबसे ऊंची चोटी के? 8611 मीटर ऊंची है। चेन्नई के समीप भारत के औसत समुद्री तल को शून्य मीटर ऊंचा माना गया है । जलवायु की दृष्टि से यह उष्ण मानसूनी देश - है, लेकिन एक ही समय पर जलवायु में विविधता मिलती है । यहाँ पर टुंड्रा से लेकर भूमध्यरेखीय वनस्पति, विविध वन्य जीवन मिलता है। यह देश लगभग सभी महत्वपूर्ण व आधारभूत खनिज, लोह अयस्क, मैंग्नीज, अभ्रक, बाक्साइट रखता है। कोयला, पेट्रोल की यहाँ उपस्थिति हे। भूमिगत व भूतल जलसंसाधनों की प्रचुरता है। उष्ण कटिबन्ध से लेकर शीतोष्ण कटिबन्धों की फसलों का यहाँ उत्पादन होता है। कृषि निर्भर, खनिज निर्भर, वन निर्भर सभी प्रकार के उद्योगों का समुचित विकास हुआ है । यहाँ पर जनसंख्या का घनत्व कहीं बहुत अधिक तो कहीं बहुत कम है। यहाँ कई धर्मों व जाति के लोग पाए जाते हैं। मानव सभ्यता व संस्कृति, व्यापार व कला की दृष्टि से यह हमेशा विकसित देशों की श्रेणी में गिना जाता रहा है। लेकिन इन सब विभिन्‍नताओं के साथ भारत हमेशा एक समन्वयवादी देश के रूप में रहा है। यद्यपि भारत को निर्धन लोगों का देश कहा जाता" है लेकिन भारत एक समृद्ध देश है, जिसके पास संसाधनों की कमी नहीं हे। आज हम अपनी एक अरब से अधिक जनसंख्या . का अपने संसाधनों से भरण-पोषण कर रहे हैं ।! 

भारत एक गणतन्त्र देश है। आज हमारे देश में 28 राज्य व केन्द्र-शासित प्रदेश हैं । सन्‌ 2000 में तीन राज्यों उत्तरांखण्ड, झारखण्ड व छत्तीसगढ़ का उदय हुआ है। क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान 3,42,239 वर्ग किमी० क्षेत्र के साथ देश का सबसे बड़ा राज्य है। जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य हे।   यहाँ की जनसंख्या लगभग 19.60 करोड़ अंकित की गई । देश का सबसे छोटा राज्य क्षेत्रफल की दृष्टि से गोआ (3702 वर्ग किमी०) व जनसंख्या की दृष्टि से सिक्किम (5.4 लाख) राज्य है ।

                
                   Question - Answer 

 भारत की आकृति एवं विस्तार से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए अति महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर।

 1. बहुविकल्पीय प्रश्न।
 2. लघु उत्तरात्मक प्रश्न।
 3. एवं निबंधात्मक प्रश्न।

बहुविकल्पीय प्रश्न --

 इस चैप्टर से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए महत्वपूर्ण प्रश्न --

 क्वेश्चन नंबर 1. निम्न में से कौन सा भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश 2011 में न्यूनतम लिंगानुपात रखता है..?
 ( RAS pre 2012 )
 1.हरियाणा
  2.पंजाब
  3. दमन और दीव
  4.दादरा और नगर हवेली

उत्तर - 3. दमन ओर दीव 

Question 2. दक्षिण निकोबार द्वीप का धुर दक्षिणी बिंदु है..?  RAS pre 2012 
1.  पोर्ट ब्लेयर
2.  कार निकोबार
3.  डंकन पैसेज
4.  इंदिरा पॉइंट

उत्तर - 4. इंदिरा पॉइंट।


3, इनमें से हिभालय का दर्रा कौन-सा है..? RPSC 2 ग्रेड 

(क) ज़ोजिला  (ख)  गुलमर्ग  (ग) शिवालिक (घ) काठगोदाम

उत्तर - क़ ज़ोजिला 

4. इस वाम्योत्तर का स्थानीय समय भारत के लिए मानक समय लिया जाता है ?  ( कॉलेज व्याख्याता 2009 )
(क) 83 डिग्री "पूर्व
(ख ) 82 डिग्री पूर्व
(ग ) 82. 30 डिग्री पूर्व
(घ) 83.30 डिग्री
उत्तर -  82.30 डिग्री पूर्व।

  5. निम्न में से कौन-सा भारत का जहाँ सब ऐसा राज्य है जहाँ सबसे लम्बी समुद्र तट रेखा है।

(क) महाराष्ट्र
 ख तमिलनाडु
 (ग) कर्नाकक.
(घ) आंच प्रदेश।

 उत्तर - घ  आंध्र प्रदेश 

6. 1 डिग्री देशांतर किसको प्रदर्शित करता है ?

( क) 2 मिनट का समय है
  ख ) 4 मिनट का समय
( ग़)  6 मिनट का समय
घ )  8 मिनट का समय

उत्तर - ख  4 मिनट का समय।


Question 7.  स्थानीय समय को कहते हैं..?
( स्कूल व्याख्याता 2006 )

1. सूर्य का समय है
2. चंद्रमा का समय
3. ग्रीनविच समय
4. दिवसीय समय 

उत्तर - सूर्य का समय।

Question 8. दादरा और नगर हवेली की राजधानी है..? (RAS pre 1999)

1. सिलवासा
2.करवती
3.आइजोल
4. दमन
उत्तर - सिलवासा।

Question 9. कौन से आठ राज्य मिलकर भारत की कुल जनसंख्या का लगभग दो तिहाई से अधिक अंश रखते हैं..?    ( RAS pre 2010 )

उत्तर - उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, एवं राजस्थान।

Question 10. क्या भारत का विदेशी व्यापार सामुद्रिक व्यापार है..? 
उत्तर - भारत की प्रायद्वीपीय स्थिति अर्थात भारत का तीन और समुद्र से घेर होना भारत के सामुद्रिक व्यापार को बढ़ावा देता है साथ ही भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार का काफी बड़ा हिस्सा समुद्रों के जरिए ही होता है।


Question 11. निम्नलिखित में से कौन सा अक्षांशीय विस्तार भारत की सम्पूर्ण भूमि के विस्तार सन्दर्भ में प्रासंगिक है
(क)8"41'उ.से 35९7"
(ख) 8९4'उ. से 35"6'उ.6
(ग)8 डिग्री 4" से 37 डिग्री 6"
(द) 6"45' उ. से 37"6' उ.
 
उत्तर - ग 

क्वेश्चन 12. निम्नलिखित में से किस देश की भारत के साथ सबसे लम्बी स्थलीयं सीमा है?
(क) बांग्लादेश 
(ख) पाकिस्तान 
(ग) चीन
(घ) म्यांमार

उत्तर -- बांग्लादेश।

Que 13. निम्नलिखित में से कौन-सा देश क्षेत्रफल में भारत से बड़ा है ?
(क) चीन
(ख़) फ्रांस
(ग) मिस्र
 (घ) ईरान।

उत्तर - चीन 

Que 14 निम्नलिखित याम्योत्तर में से कौन-सा भारत का मानक याम्योत्तर है?
 (क) 69० 30' पूर्व
 (खं) 75" 30' पूर्व '
(ग) 82० 30 पूर्व
 (घ) 90०" 30' पूर्व

उत्तर - ग 


Que 15. अगर आप एक सीधी रेखा में राजस्थान से नागालैण्ड की यात्रा करें.तो निम्नलिखित नदियों में से किस एक को आप पार नहीं करेंगे?
 (क) यमुना
 (ख) सिन्धु
 (ग) ब्रह्मपुत्र
 (घ) गंगा।

उत्तर -  सिंधु 


( निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।)

Question 16. क्या भारत को एक से अधिक मानक समय की आवश्यकता है...?  यदि हां, तो आप ऐसा क्यों सोचते हैं?

उत्तर -- भारत का देशांतरीय विस्तार लगभग 30 डिग्री है इसलिए पूर्व से पश्चिम की ओर जाने पर भारत के समय में 2 घंटे का अंतर आता है। 2 घंटे का पूर्व पश्चिम में अंतर दो मानक रेखाओं के होने का सशक्त आधार है। परंतु विश्व के देशों में मानक याम्योत्तर को 7 डिग्री 30 मिनट देशांतर के गुणांक पर चुना जाता है। यही कारण है कि 82 डिग्री 30 मिनट पूर्वी देशांतर को भारत का एकमात्र मानक याम्योत्तर चुनाव हुआ है।

Question 17. भारत की लंबी तट रेखा के क्या प्रभाव हैं ?
उत्तर - भारत लंबी तट रेखा रखता है जिसकी कुल लंबाई 7517 किलोमीटर है। भारत तीन और समुद्र से घिरा हुआ है भारत का सीमा क्षेत्र सागर में 12 समुद्री मील तक विस्तृत है।इससे भारत के अधिकार क्षेत्र में पर्याप्त समुद्री भाग आ जाता है। लंबी तट रेखा भारत को सस्ते जल यातायात की सुविधा प्रदान करी थी है। तथा पर्याप्त सागरीय संसाधन उपलब्ध कराती है तथा प्रायद्वीपीय भारत की जलवायु को सम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

Question 18.  भारत का देशांतरीय फैलाव इसके लिए किस प्रकार लाभप्रद है..?
उत्तर - भारत का देशांतरीय फैलाव लगभग 30 डिग्री है जो भारत में एक मानक समय रेखा 82 डिग्री 30 मिनट पूर्व के चयन के लिए सुगमता प्रदान करता है। यदि भारत का देशांतरीय फैलाव बहुत अधिक होता तो हमें कई मानक समय कटिबंधों की आवश्यकता पड़ती जिससे दैनिक कार्यों में तथा आवागमन में अवरोध पैदा हो सकता था।

Que 19. खादी तथा जलसंधि में क्या अंतर है स्पष्ट कीजिए?
उत्तर - तीन और स्थल से घिरा हुआ जल का भाग खड़ी कहलाता है जैसे - कैलिफोर्निया की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, बंगाल की खाड़ी,। जबकि दो बड़ी जल राशियों को जोड़ने वाले जली सक्रिय भाग को जलसंधि कहते हैं जैसे - पाक जलसंधि, मालक्का का जलसंधि, बेरिंग जल संधि,  सुंडा जलसंधि, आदि।

Que 20. भारत की मुख्य भूमि का विस्तार बताइए ?
उत्तर - भारत की मुख्य भूमि उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक तथा पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में गुजरात तक विस्तृत है। उत्तर से दक्षिण में भारत की मुख्य भूमि की अधिकतम लंबाई 3214 किलोमीटर तथा पूर्व से पश्चिम दिशा में अधिकतम चौड़ाई 2933 किलोमीटर है।

Que - 21. 







  अध्याय 2 - भारत के भौतिक प्रदेश।


 परिचय -
 भारत विभिन्न भू आकृतियों वाला एक विशाल देश है। यहां अनेक प्रकार की भू आकृतियों पाई जाती हैं जैसे पर्वत,पठार, मैदान, द्वीप, झील आदि। भारत के लगभग 10.7% क्षेत्र पर पर्वत, 18.6 प्रतिशत क्षेत्र पर पहाड़ियां, 27.7% क्षेत्र पर पठार तथा 43% क्षेत्र पर मैदाने का विस्तार है। भारत को मोटे तौर पर चार हुआ कृत प्रदेशों में बांटा गया है, जो इस प्रकार हैं-

1. उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र।
2. उत्तर भारत का विशाल मैदान।
3. प्रायद्वीपीय पठार।
4. द्वीप समूह एवं तटीय प्रदेश।

 इन चारों भू आकृतिक प्रदेशों की विशेषताओं, उच्चावच, जलवाऊ,धरातल, वनस्पति आदि की दृष्टि से विस्तृत वर्णन आवश्यक है जो निम्न प्रकार है--

1. उत्तर का पर्वतीय प्रदेश  -

 भारत की उत्तरी सीमा पर पूर्व से पश्चिम दिशा में विस्तृत विश्व की सबसे ऊंची एवं सबसे विशाल पर्वत श्रेणी हिमालय फैली हुई है। हिमालय विश्व की नवीनतम मोड दर वलित पर्वत श्रेणी है। अरुणाचल प्रदेश के नामचा बरवा पर्वत के पास यह दो तीव्र अक्षय संघीय मोड जिन्हें हेयरपिन बैंड भी कहते हैं, की भांति मिलता है। हिमालय की लंबाई लगभग 2400 किलोमीटर है तथा इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर के लगभग है। यह बंद प्रायद्वीपीय पठारी भाग के उत्तरी पूर्वी दबाव के कारण निर्मित हुए हैं। हिमालय की पर्वत श्रेणियां प्रायद्वीपीय पठार की ओर उत्तल एवं तिब्बत की और अवतल हो गई हैं। हिमालय पर्वत को पुनः है चार भागों में विभाजित किया गया है..
 हिमालय की औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। एशिया महाद्वीप में 6500 मीटर से अधिक ऊंची 94 चोटिया हैं जिनमें 92 चोटिया हिमालय पर्वत श्रेणी में ही पाई जाती हैं। यह तथ्य इसकी अत्यधिक ऊंचाई वाली बात को प्रमाणित करता है। यह पर्वतमाला भारत की लगभग 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर विस्तृत है। हिमालय पर्वतमाला के उत्तर में तिब्बत का पत्थर तथा दक्षिण में गंगा जमुना का विशाल मैदान फैला हुआ है। इस पर्वतमाला का आकार एक तलवार की भांति है। यह नवीन मॉडर पर्वतमाला है इसको बनाने में दबाव की शक्तियों एवं समानांतर  भू-गतियों का अधिक हाथ है। जिन परतदार चट्टानों से हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ है वह बहुत अधिक मूड एवं टूट गई है। इस क्षेत्र में अत्यधिक भ्रषों का विस्तार है। और हिमालय पर्वत अभी निर्माण अवस्था में है। इस बात का प्रमाण इस भूखंड में भूकंपों का निरंतर आते रहना है।


    

हिमालय पर्वत अनेक पर्वतों का समूह है। इनमें मुख्य श्रेणी को हिमालय के नाम से पुकारा जाता है इस हिमालय के उत्तरी पश्चिमी भाग में काराकोरम कैलाश लद्दाख जसकर आदि श्रेणियां फैली हुई हैं। जबकि दक्षिण एवं पूर्व में  पटकोई, मणिपुर , नामचा बरुआ, अराकानयोमा आदी श्रेणियां प्रमुख हैं। विद्वानों ने इस पर्वतीय प्रदेश की सीमा पर अपने भिन्न-भिन्न विचार प्रकट किए हैं --
(1)  कुछ विद्वानों का मानना है कि हिमालय पर्वत का वास्तविक विस्तार सिंधु नदी के मोड पर स्थित नंगा पर्वत से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी के मोड पर स्थित नामचा बरवा पर्वत है।
(2)  अनेक भूगोल्व वेतन ने प्रयुक्त तत्व को स्वीकार करने से स्पष्ट इनकार कर दिया है। उनके अनुसार इस सीमा को मान लेने से हम उन पर्वत श्रेणियां को, जो सिंधु तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के मोड़ों के आगे फैली हैं, कि भौतिक एकता को ठुकरा देते हैं। आते उनके अनुसार हिमालय का विस्तार उन सब श्रेणियां तक है जो उसके पूर्वी एवं पश्चिमी भाग में हजार बलूचिस्तान पर्वत और म्यांमार पर्वत श्रेणियां के रूप में फैली हुई है।
(3) किंगडम वार्ड - प्रसिद्ध विद्वान एवं भूगोल बेटा किंगडम वार्ड के अनुसार हिमालय का वास्तविक विस्तार उसकी पूर्वी भाग की ओर है।
(4) मेसन तथा वाडिया - मिशन तथा वाडिया के अनुसार हिमालय पर्वत मेघालय पठार तथा चीन के यूनान पत्थर के बीच फंसकर म्यांमार की सीमा पर दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व दिशा की ओर घूम गया है आते इन पूर्वी श्रेणियां का अध्ययन हमें हिमालय की मुख्य श्रेणी के साथ ही करना चाहिए।


1. ट्रांस हिमालय /परा हिमालय।
2. सर्वोच्च हिमालय /हिमाद्री हिमालय /या वृहद हिमालय।
3. लघु हिमालय या मध्य हिमालय।
4. शिवालिक हिमालय / निम्न हिमालय /या बाह्य हिमालय।

1. ट्रांस हिमालय -

 यह महान हिमालय के उत्तर में स्थित श्रेणी है। इस पर्वत श्रेणी के बारे में सर्वप्रथम 1906 में सुवेन हेडन ने लिखा। उसने  काराकोरम श्रेणी को "उच्च एशिया की रीड" कहा। 
 यह हिमालय का उत्तरी भाग है इसके अंतर्गत काराकोरम लद्दाख जसकर आदि पर्वत श्रेणियां को शामिल किया जाता है जिनका निर्माण हिमालय से भी पहले हो चुका था। यह श्रेणियां मुख्य रूप से हिमालय के पश्चिमी क्षेत्र में मिलती हैं। K2 या गाड़वीन आस्तिन ( 8611मी ) काराकोरम पर्वत श्रेणी की सबसे ऊंची चोटी है और यही भारत की भी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। ट्रांस हिमालय में चार पर्वत श्रेणियां को शामिल किया जाता है --
1. लद्दाख।
2. जासकर
3. कैलाश
4. काराकोरम।
 महान हिमालय के उत्तर में वह उसके समानांतर जास्कर श्रेणी पाई जाती है जिनकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। जास्कर श्रेणी के उत्तर में जाकर वह लद्दाख श्रेणियां के बीच सिंधु नदी की गहरी घाटी बहती है। यहां पर यह है लगभग 560 किलोमीटर लंबी और 10 किलोमीटर चौड़ी है यहां से यह लद्दाख श्रेणी को काटकर आगे बढ़ती है तथा पूंजी नामक स्थान पर सिंधु नदी दुनिया का सबसे गहरा गज बनती है जिसे भुंजी गार्ज के नाम से जाना जाता हैं। आगे यह नंगा पर्वत से 90 किलोमीटर पश्चिम की ओर पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले दक्षिण पश्चिम दिशा में मुड़ जाती है।
 सिंधु नदी की घाटी के उत्तर की और लद्दाख श्रेणी पाई जाती है जो 300 किलोमीटर लंबी है तथा 5800 किलोमीटर ऊंची है। यह जांच करके समानांतर ही फैली हुई है। लद्दाख श्रेणी के पूर्व की ओर कैलाश श्रेणी फैली हुई है जिसका विस्तार मुख्य तिब्बती क्षेत्र पर है। लद्दाख श्रेणी के उत्तर में काराकोरम नाम की श्रेणी है यहां पर भारत की सीमा चीन एवं अफगानिस्तान से मिलती है इसलिए यह स्थान सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। काराकोरम की विशेषता यह है कि यह अनेक ऊंची चोटियों और हम नदियों की विशेषताओं से युक्त है। काराकोरम की महत्वपूर्ण और ऊंची चोटियों में -

1. K2 - 8611 मीटर
2. हिडन - 8060 मीटर।
3. ब्रोड पीक - 8047 मीटर।
4. ग्राशेर ब्रम - 8068 मीटर।

 काराकोरम श्रेणी की एक खास भौगोलिक विशेषता यह है कि यहां पर काफी संख्या में हिमनद ( गलेसियर ) पाए जाते हैं।

जैसे --
1.  हुंजा घाटी मे   -  हिसपार एवं बटूरा - 57 km लम्बाई 
2. सिगार घाटी में -  विचाफो और बल्टारो - 60 km लम्बाई
3. नुब्रा घाटी में - सियाचिन हिमनद - 70 km लम्बाई

 आगे  काराकोरमा श्रेणी अपने पश्चिमी भाग की ओर पामीर की गांठ में मिल जाती है। जबकि दक्षिण पूर्व की ओर यह तिब्बत की कैलाश पर्वत श्रेणी में मिल जाती है।

 ट्रांस हिमालय अवसादी चट्टानों का बना है। यहां पर टारशियारी से लेकर कैंब्रियन युग तक की चट्टाने पाई जाती है। इन चट्टानों की आयु 7 से लेकर 60 करोड़ वर्ष तक आंकी गई है इस भाग में वनस्पति का पूर्ण अभाव पाया जाता है तथा यह श्रेणी सतलज सिंधु एवं ब्रह्मपुत्र जैसी सदा वाहिनी नदियों को जन्म देती है।
 



2. सर्वोच्च /हिमाद्री /या महान हिमालय -

 हिमालय का यह भाग सबसे ऊंचा है इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है जबकि चौड़ाई लगभग 200 किलोमीटर तक है। इसकी सबसे खास बात यह है कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों इस भाग में ही पाई जाती हैं जैसे -- माउंट एवरेस्ट   (8848 मी.) नंगा पर्वत,  कंचनजंगा, नंदा देवी,  नामचा बरवा आदि दुनिया के सबसे उंचे महत्वपूर्ण पर्वत शिखर इसी महान हिमालय का भाग हैं। विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है और जिसका नाम माउंट एवरेस्ट है यह छोटी नेपाल में स्थित है और हिमालय की इसी भाग में पड़ती है। सर्वोच्च हिमालय लघु हिमालय से "मेन सेंट्रल थ्रठ द्वारा अलग होता है।

3. हिमाचल / लघु / या मध्य हिमालय -

 हिमालय श्रृंखला की इस भाग की ऊंचाई 3700 से 4500 मीटर तक है। जबकि इसकी चौड़ाई 80 से 100 किलोमीटर के लगभग है। मध्य हिमालय के पर्वत श्रृंखलाओं से मिलकर बना है जिनमें प्रमुख नाम है - पीर पंजाल,धौलाधार, मंसूरी, नागतिब्बा, महाभारत श्रेणियां आदि। वृहद हिमालय एवं लघु हिमालय की मध्य कश्मीर घाटी स्थित है। लाहौल स्पीति घाटी कुल्लू घाटी कांगड़ा घाटी भी इसी क्षेत्र में स्थित हैं।
 हिमालय की इस भाग की एक खास बात यह है कि यहां पर अल्पाइन चारागाह पाए जाते हैं, जिन्हें कश्मीर घाटी में मर्ग जैसे गुलमर्ग, सोनमर्ग, खिलन मर्ग, आदी। अन्य अल्पाइन घास के मैदाने को उत्तराखंड में बुग्याल या प्यार कहा जाता है। मध्य हिमालय अपने स्वास्थ्य वर्धक पर्यटन स्थलों और हिल स्टेशनों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां अनेक पर्यटक स्थल है जहां देश-विदेश से लोग ब्राह्मण के लिए आते हैं इनमें प्रमुख है शिमला,  कुल्लू, मनाली, मंसूरी, दार्जिलिंग,  नैनीताल आदि।
 लघु हिमालय एवं बाह्य हिमालय को में बाउंड्री फॉल्ट अलग करता है। 

4. शिवालिक / निम्न / या बाह्य हिमालय -

 यह हिमालय की सबसे भारी अथवा सबसे दक्षिणी या यह कह सकते हैं कि हिमालय की सबसे निचली श्रृंखला है। यही हिमालय की सबसे नवीन श्रेणी भी है। हिमालय की इस श्रृंखला की ऊंचाई 900 से 1200 मीटर तथा चौड़ाई 10 से 50 किलोमीटर के आसपास है। हिमालय की इन श्रेणियां की विपरीत यह खंडित रूप में मिलती है। शिवालिक और लघु हिमालय के मध्य कई घटिया हैं जैसे - काठमांडू घाटी। हिमालय की पश्चिमी भाग में इन घाटियों को दून या द्वार कहते हैं जैसे -- देहरादून, हरिद्वार, कोटली दून, पाटली दून, आदि। कृषि की अच्छी संभावना होने के कारण इन घाटियों में लोगों का अच्छा बसवा है। शिवालिक के निचले भाग को तराई कहते हैं। तराई प्रदेश दलदली और वानाचादित भूभाग है। तराई से सटे दक्षिणी भाग में "वृहत सीमावर्ती भ्रंश" मिलता है जो कश्मीर से असम तक विस्तृत है।

 नदियों के आधार पर हिमालय का वर्गीकरण --

 अभी तक हमने हिमालय का भौगोलिक वर्गीकरण पड़ा है लेकिन विदेशी विद्वान सिद्धि बुरड़ ने हिमालय का वर्गीकरण नदियों के आधार पर किया और उन्होंने भी इन्हें चार भागों में विभाजित किया।

1. कश्मीरी या पंजाब हिमालय।
2. कुमायूं हिमालय।
3. नेपाल हिमालय।
4. असम हिमालय।

1. कश्मीर या पंजाब हिमालय -

 हिमालय का यह भाग सिंधु और सतलज नदियों के मध्य में फैला हुआ है इसकी लंबाई 560 किलोमीटर है। यह भारत के जम्मू कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश राज्यों में फैला हुआ है यहां हिमालय क्रमिक रूप से ऊंचाई प्राप्त करता है चस्कर लद्दाख काराकोरम पीर पंजाल धौलाधार श्रेणियां इसी भाग में स्थित हैं हिमालय की चौड़ाई यहां सर्वाधिक है एवं 250 से 400 किलोमीटर तक कि चौड़ाई में विस्तृत है।

2. कुमायूं हिमालय -

 सतलज नदी से काली नदी के मध्य फैला हुआ भाग कुमायूं हिमालय कहलाता है। यह 320 किलोमीटर की लंबाई में उत्तराखंड राज्य में विस्तृत है। इस भाग में नंदा देवी कमेंट बद्रीनाथ केदारनाथ त्रिशूल आदि प्रमुख पर्वत शिखर हैं नंदा देवी इस श्रेणी की सर्वोच्च चोटी है, जो भारत की तीसरी सबसे ऊँची चोटी है। 

3. नेपाल हिमालय -

 नेपाल हिमालय काली और तीस्ता नदियों के मध्य में फैला हुआ है इसकी लंबाई 800 किलोमीटर है और यह है हिमालय का सबसे लंबा भाग है यहां हिमालय की चौड़ाई कम है परंतु हिमालय की सर्वोच्च शिखर यही मिलते हैं जैसे- माउंट एवरेस्ट  मकालू आदि।

4. असम हिमालय -

 हिमालय का यह भाग तीस्ता और दिहंग सॉन्ग को ब्रह्मपुत्र नदियों के बीच 720 किलोमीटर की लंबाई में फैला हुआ है यह सिक्किम असम और अरुणाचल प्रदेश राज्य में अपना विस्तार रखता है। यहां हिमालय की ऊंचाई पुणे कम होने लगती है।


 हिमालय की प्रमुख दर्रे --




2. उत्तर भारत का विशाल मैदान ( गंगा जमुना का वृहद मैदान ) -


 प्राचीन काल में जब हिमालय की उत्पत्ति हुई तो इसके निचले भाग में एक बहुत बड़े गर्त ( खड्डा ) का निर्माण हुआ था। हिमालय से निकलने वाली सैकड़ो नदियां वर्षों तक इस गर्त में अपने साथ ले गए निश्चितों का जमाव करती रही धीरे-धीरे यहां एक विशाल मैदान का निर्माण हुआ। जिसे आज हम उत्तर के वृहत मैदान के नाम से जानते हैं।
 उत्तर भारत का यह व्रत मैदान मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड एवं पश्चिम बंगाल राज्यों में विस्तृत है। यहां प्रतिवर्ष नदियों द्वारा अपनी बाढ़ के साथ जलोढ़ मिट्टी लाई जाती है जिससे यह मैदान अत्यंत उपजाऊ बन पड़ा है। यही कारण है कि भारत का यह वे क्षेत्र है जिसमें अत्यंत सघन जनसंख्या का बसाव है, साथ ही साथ यह भारत का सबसे उपजाऊ मैदान है। इसी कारण यह है भारत का सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन करने वाला क्षेत्र है।
 भारत की वृहत मैदान का विस्तार         लम्बाई में हैं, जबकि इसकी चौड़ाई 150 से 300 किलोमीटर तक है यह मैदान जालोद एवोकाडो से निर्मित है। इस मैदान में जलोधों का निक्षेप 200 मीटर की गहराई तक मिलता है ऐसा माना जाता है कि टेथिस भूषन्नति के निरंतर सकरे होने और नदियों द्वारा लाये गए अवसादों के निरंतर उसमें जमा होने की प्रक्रिया से इस मैदानी भाग का निर्माण संभव हुआ। यह मैदानी भाग है इसलिए ऊंचाई अधिक नहीं है। पंजाब के अंबाला के आसपास की भूमि इस मैदान में "जल विभाजक" का कार्य करती है, क्योंकि इसके पूर्व की नदियां बंगाल की खाड़ी में जबकि पश्चिम की नदियां अरब सागर में गिरती हैं।  

 भारत के वृहत मैदान की विशेषताएं --

भारत के विशाल मैदान का आर्थिक एवं सामाजिक महत्व काफी अधिक है। इसीलिए भारत के इस मैदान को भारत का हृदय कहा जाता है। इस मैदान में भारत की 45% जनसंख्या निवास करती है। यह मैदान भारत की कृषि संपत्ति है हालांकि खनिज पदार्थ की दृष्टि से यह निर्धन क्षेत्र है। हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी से निर्मित होने के कारण यह हिमालय की देन कहा जाता है ( gift of the himalyas ) यह मैदान देश की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है आर्थिक प्रगति की दृष्टि से देश में प्रथम स्थान रखता है। इस मैदान की कुछ खास विशेषताएं एवं महत्व इस प्रकार है --
1. यह चौरस व समतल मैदान है। इसमें पहाड़ीयों व टीलों का सर्वत्र अभाव पाया जाता है।

2. यह मैदान नदियों द्वारा जमा किए गए निक्षेपों से बना है जो की उपजाऊ कांप मिट्टी के हैं। इनकी उर्वराव शक्ति इतनी अधिक है कि यह भारत की जनसंख्या के अधिकांश भाग को खाद्यान्न उपलब्ध करवाने में सक्षम है बल्कि यह भारत का खाद्यान्न भंडार कहलाता है।

3. इस मैदान में प्रवाहित होने वाली नदियां पूरे वर्ष जल प्रवाहित करती रहती हैं इस कारण यह नदियां निश्चित मात्रा में पूरे विश्वास के साथ वर्ष भर सिंचाई में पीने का पानी प्रदान करती हैं इन नदियों की इस विशेषता के कारण यहां पर नहरों का जल बिछ गया है।

4. इस मैदान का ढाल अत्यंत धीमा है इस कारण यहां की नदियां यातायात के लिए भी उपयुक्त हैं।

5. इस क्षेत्र में प्रवाहित होने वाली नदियों का उद्गम स्थल हिमालय है इसलिए इनमें पर्याप्त जल की मात्रा रहती है और इस क्षेत्र में बांध बनाकर जल विद्युत तैयार की जाती है।

6. इस मैदान की मिट्टी,  मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए अत्यंत उपयुक्त है। इस मिट्टी का प्रयोग ईंट बनाने के लिए भी किया जाता है जो भवन निर्माण में काम आती है।

7. इस मैदान में मिलने वाले कंकड़ों का प्रयोग चूना और सीमेंट बनाने में किया जाता है। कंकड़ों को सड़क बनाने के काम में भी लाया जाता है.

8. उत्तर का यह विशाल मैदान भूमिगत जल का अक्षय भंडार है। यह भूमिगत जल मीठा एवं ताज होता है, जो नलकूपों और कुओं की सहायता से निकलकर सिंचाई में पीने के काम में लाया जाता है।

9. यह मैदान भारतीय सभ्यता की जन्मभूमि कहा जाता है।

10. भारतीय इतिहास में इसके राजनीतिक और सांस्कृतिक महत्व का विस्तृत वर्णन मिलता है।

11. उत्तर का विशाल मैदान तीर्थ स्थान की जन्म भूमि रहा है यहां पर मथुरा काशी प्रयाग हरिद्वार पटना गया कुरुक्षेत्र वृंदावन जैसे पावन तीर्थ धाम स्थित हैं नदियों ने लोगों की धार्मिक व सांस्कृतिक भावनाओं पर प्रभाव डाला है।

12. इस मैदान की लगभग सभी नदियों ने नगरों को बसाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है सभी बड़े-बड़े नगर बड़ी-बड़ी नदियों के किनारे बसे हुए हैं।

13. यह मैदान चौरा होने के कारण रेल मार्ग और सड़क बनाने के लिए बहुत उपयुक्त है यहां पर रेलवे सड़क मागों का जाल बिछा हुआ है।

14. यह मैदान औद्योगिक एवं व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र है इन गतिविधियों को आर्थिक दृष्टि से संपन्न बनाने में इस मैदान में मदद की है।

 संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि यह मैदान भारत की आत्मा है। यह देश का सबसे सगन में उन्नत भू भाग है। भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में इसका बहुत बड़ा हाथ है। यह कृषि, व्यापार,  उद्योग, व यातायात की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। 



 वृहत मैदान का विभाजन -

 विशिष्ट धरातलीय स्वरूप के आधार पर भारत के वृहत मैदान को चार भागों में विभाजित किया गया है -

1. भाबर प्रदेश। 
2. तराई प्रदेश।
3. बांगर प्रदेश। 
4. खादर प्रदेश।

1. भाभर प्रदेश

 जहां हिमालय पर्वत और गंगा के मैदान मिलते हैं वहां हिमालय पर्वत से निकलने वाली असंख्य धाराओं ने अपने साथ पर्वतीय क्षेत्रों से टूट कर गिरे हुए पत्रों के छोटे-छोटे टुकड़े काफी गहराई तक जमा कर दिए हैं। इन कंकर पत्थरों से ढका हुआ भाग ही भाभर कहलाता है। यह है गंगा मैदान की उत्तरी सीमा बनाता है। यह हिमालय के पथरीले दल है जो उसके एक सिरे से दूसरे सिरे तक 10 से 15 किलोमीटर की चौड़ाई में फैले हुए हैं। इस विभाग में आमतौर से नदियों का जल कंकड़ पत्थर के देर के नीचे ही प्रवाहित होता है। केवल बड़ी नदियों का जल ही धरातल पर प्रवाहित होता हुआ दिखाई देता है।

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