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कैसे जीवन का आनन्द ले सकते है हम..?

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भूमिका :-- जीवन  हमारा बनाया हुआ नहीं है। जीवन परमात्मा ने बनाया है और परमात्मा ने ही जीवन का स्वभाव बनाया है, वह है आनन्द। जीवन दुःख के लिए नहीं बनाया है। इन्सान अपने मूल स्वभाव के अनुरूप चले, तो ही ठीक है। यानी जीवन को आनंद के साथ जीना चाहिए। आप कहेंगे कि यह कौन-सा विषय हो गया है। यह तो सभी जानते हैं और सब इसके लिए प्रयास भी करते हैं। यह तो कहने की बात हो गई, लेकिन हम चारों तरफ़ निगाह करें, तो दिखाई देगा कि हर कोई दुःखों को खोज रहा है। आनंद के स्थान पर हमारे जीवन तो दुखों से भरा पड़ा है। हमारे सारे कृत्य ऐसे हो रहे हैं, जो दुःखों को बढ़ावा दे रहे हैं। इसलिए ऊपरी तौर पर सब जानते हैं कि जीवन का स्वभाव आनन्द है, पर भीतर स्मृति में यह बात लगातर रहती नहीं है। यहाँ तक कि लोग आनन्द को पाप भी बताते हैं। उन्होंने दुःख को ही जीवन का सत्य समझ लिया है। वे लोगों को कष्ट उठाने की शिक्षा व प्रेरणा देते हैं । कहते हैं कि इस जन्म में जितने ज़्यादा कष्ट उठाओगे, अपने शरीर को जितनी ज्यादा तकलीफ़ दोगे, उतना ही अगले जन्म में सुख मिलेगा। आखिर चाहिए उन्हें भी सुख ही, लेकिन एक गलत धारणा उन्होंने पाल ली। ...