"लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती".. सबसे बड़ी प्रेरणादायक कविता...भावार्थ सहित।l


Karauli, Rajasthan India🇮🇳

Update - 25/2/2025

दोस्तों नमस्कार,

जैसा कि इस ब्लॉग का नाम "प्रेरणा डायरी ब्लॉग " है, यानी इस ब्लॉग पर स्टूडेंट और यूथ को मिलेगे बेहतरीन प्रेरणादाई आर्टिकल। जो आप मे भर देंगे नया जोश, और एक नई ऊर्जा। 

 दोस्तों आज मैं जिस महान प्रेरणादाई कविता  की चर्चा करने वाला हूं वह राष्ट्रकवि सोहनलाल दुवेदी द्वारा लिखी गई मानी जाती है, सूर्य के तेज के समान ऊर्जा देने वाली प्रेरणा  के दर्शन आपको इस कविता में होंगे। इस आर्टिकल की खास बात यह होगी की कविता के अंत में हम इस कविता की प्रेरणादाई नजरिए से व्याख्या करेंगे। मैंने इंटरनेट और वेबसाइटों पर यह कविता तो खूब पड़ी है लेकिन इसकी व्याख्या करने वाले आर्टिकल नहीं के बराबर है। आज का यह आर्टिकल इस कविता में छुपी हुई प्रेरणा और संदेश को उजागर करेगा। छात्र और युवाओं को प्रेरणा देने वाली दृष्टिकोण मैं इस कविता की एक नई व्याख्या आपके सामने पेश करूंगा। जो प्रेरणादायक व्याख्या होगी

मैं अपना खुद का एक अनुभव इस कविता को लेकर शेयर करना चाहता हूं, आपके साथ। मैं आज भी कभी जिंदगी में डिमोटिवेट होता हूँ, निराशा और उदास होता हूं, तब इस कविता को पढ़ता हूं। और यह महसूस करता हूं कि इन दिनों में कोई और चीज मुझे इतना सहारा नहीं दे सकती जितना यह कविता देती है।
कविता की व्याख्या करने वाले आर्टिकल इंटरनेट पर बहुत कम है। खास बात यह है की कविता के बाद इस कविता की पूरी व्याख्या/सन्देश /भावार्थ। को भी समझ गया। 


              प्रेरणा डायरी ब्लॉग - "छात्रों का हमसफ़र" 
    
    
दोस्तों, आज जिस  कविता  की  हम बात कर रहे है उसके लेखक को लेकर कई नाम जुड़े है जैसे - हरिवंश राय बच्चन, सोहन लाल देवेदी आदि, आइये पहले आप इस पूरी कविता को मेरे साथ पढे । शांत चित होकर । क्योंकि ये एक खासियत होती है कुदरत की।  कि आप  जितना जुड़कर पढ़ते है, उतना ही जल्दी ज्ञान आपके पास पहुंचता है -


                        कविता 

1. कोशिश् करने वालों कि कभी हार नहीं होती,
 लहरो से डरकर नौका पार नहीं होती।
 

2. नन्हीं चीटी जब दाना लेकर चलती है 
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।


3. मन का विश्वास रंगो में साहस भरता है, 
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है।


4. आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती 
कोशिश करने वालों कि हार नहीं होती। 


5. डुबकियाँ सिन्धु में गोताखोर लगाता है
जा जाकर खाली हाथ लौट आता।
 

6. मिलते नही सहज ही मोती गहरे पानी में 
    बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ।


7. मुठी उसकी खाली हर बार नहीं होती, 
कोशिश करने वालों कि कभी हार नही होती।


8. असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो 
 क्या कभी रह गई, देखो और सुधार करो।


9. जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागों तुम 
संघर्ष का मैदान छोड मत भागो तुम।


10. कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों कि कभी हार नहीं होती।


कविता कि वाख्या:--

1.    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
       तूफानों से डर कर कश्ती पार नहीं होती।

( मैंने "लहरों" के स्थान पर "तूफान" तथा "नौका" के स्थान पर "कश्ती" शब्द का प्रयोग किया है। )

 इस लाइन का भावार्थ है -- की एक व्यक्ति के सामने अपने जीवन में कितनी भी मुसीबत है और कठिनाइयां आए, उन सब का दिलेरी और बहादुरी से मुकाबला करना चाहिए। असफलताओं से घबरा कर कभी भी अपनी कोशिश बंद नहीं करनाी चाहिए। यह पंक्ति हमें हर विपरीत हालात को हराकर आगे बढ़ती रहने के प्रयास करने का संदेश देती है। और यह संदेश हम एक कश्ती अर्थात नौका के माध्यम से और भी मजबूती से समझ सकते हैं। दोस्तों जैसे एक कस्ती कभी भी अपनी दुश्मन सागर की लहरों से नहीं डरती है। और अगर वह लहरों से डर जाती, तो शायद कभी भी समुद्र को पार नहीं कर पाती। इस छोटी सी लाइन में यही सन्देश छुपा हुआ है कि हमें इन नौका की तरह है अपने जीवन क़ी मुसीबत को पार करके अपना लक्ष्य प्राप्त करना है।

2. नन्ही चींटी जब दादा लेकर चलती है
   चढ़ती दीवाओं पर सौ बार फिसलती है।.

 दोस्तों, चींटी के माध्यम से हमें संदेश देते हैं कि एक छोटा सा जीव चींटी भोजन एकत्रित करते समय दीवारों पर होकर चढ़ता है और बार-बार फसल कर गिर जाता है लेकिन वह फिर उठकर चढ़ता है फिर गिर जाती है वह फिर उठकर चलती है इस तरह बार-बार प्रयास करके वह अपने लक्ष्य और अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेती है। यह लाइन हमें यह संदेश देती है कि हमें भी बार-बार मिलने वाली चुनौती और असफलताओं से ना घबराते हुऐ, अपने प्रयास जारी रखने चाहिए।

3. मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
 चढ़कर गिरना, गिर कर चढ़ना न आखरता है

 दोस्तों अपने भोजन को एक खट्टा करने में बार-बार चींटी का गिरना, उठाना, फिर गिरना, फिर उठना, उसे कमजोर और हताश नहीं करता बल्कि उसके खून में नया साहस और इसकी रगों में जोश भर रहा है। बार-बार गिरने में भी उसे आनंद की अनुभूति हो रही है। कुछ लाइन याद आ रही है -

"तेरे गिरने में भी तेरी हार नहीं
 क तू आदमी है, अवतार नहीं।

 यहां गिरने का भावार्थ है असफल हो जाना। चींटी दीवारों पर चढ़ते समय बार-बार गिरकर असफल हो रही थी लेकिन उसने निरंतर अपने प्रयास जारी रखें, और अंत में अपनी मंजिल को प्राप्त कर लिया। छात्र और युवाओं को यह लाइन यह संदेश देती है कि हमें विफलताओं से घबरा कर हार नहीं माननी चाहिए। 


4. आखिर उसकी कोशिश बेकार नहीं होती
      कोशिश करने वालों की कभी हार

 दोस्तों, कश्ती तूफानों से, और नन्ही चींटी दीवारों से लड़कर बार-बार अपनी मंजिल को पाने का प्रयास करते हैं। अंत में इस कार्य में सफल हो जाते हैं। क्योंकि प्रकृति का नियम है कि सच्चे मन से कोशिश करने वालों को कभी पराजय का सामना नहीं करना पड़ता। मन और लगन से प्रयास करने वाले कभी निराश नहीं होते। और कोशिश करने वालों को कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता। एक विद्यार्थी को अपने जीवन में अच्छी कामयाबी हासिल करने के लिए मेहनत और परिश्रम के लिए तत्पर रहना चाहिए। हमारे युवा छात्रों को चींटी और कश्ती के प्रयासों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।

5.  डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
     जा जा कर खाली हाथ लौट आता है।

 दोस्तों, सिंधु नदी में मोती चुनने वाले गोताखोर को शायद आपने ना देखा हो, पर मुझे एक दो बार ये करतब देखने का मौका मिला था। हालांकि आजकल ना तो वैसे गोताखोर बचे हैं, और ना ही अब सिंधु नदी में मोती शेष रहें है । पुराने समय में गोताखोर अपनी और अपने परिवार की आजीविका इसी से चलाते थे। दोस्तों, यह कार्य बड़ा मुश्किल है। सिंधु नदी से मोती चुनना कोई सरल कार्य नहीं है। गोताखोर दिनभर और कई बार तो कई दिन तक सिंधु नदी के गहरे पानी में गोते लगाते रहते हैं पर उनके हाथ एक भी मोती हाथ नहीं लगता। लेकिन इसी आशा और उम्मीद के साथ वह लगातार अपनी कोशिश जारी रखता है कि उसकी भी मुट्ठी में कभी ना कभी मोती जरूर आएगा। अर्थात उसे अपने कार्य में सफलता अवश्य मिलेगी।  इसी उम्मीद में वह लगातार और निरंतर प्रयास करता रहता है। और सफलता अर्जित करता है।

6. मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
   बढ़ता दूंगना उत्साह इसी हैरानी

 सिंधु नदी के गहरे पानी से मोती चुनना आसान काम नहीं। उस गहरे पानी में मोती मिलना कोई सहज कार्य नहीं है। लेकिन हतोत्साहित होने की अपेक्षा गोताखोर का उत्साह दुगना हो रहा है। मैं बार-बार मोती हासिल करने के लिए कोशिश करता है और गहरे पानी छलांग लगाता है। और बार-बार उसका उत्साह दुगना हो रहा है,  इस उम्मीद में की इस बार उसके प्रयास जरुर सफल होंगे। 

7. मुठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
    कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

 गोताखोर की यह कोशिश बेकार नहीं होती, और कुत्ता लगाते वक्त उसे यह महसूस होता है कि उसकी मुट्ठी में इस बार मोती आ गया है अर्थात उसने अपने कार्य में सफलता अर्जित कर ली। उसके प्रयास सफल और सरकार हुए। गोत्ताखोर कि लगन, परिश्रम और बार-बार की जा रही कोशिश ने मोती हासिल करने में सफल और कामयाब बना दिया। 

8. असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो
 क्या कमी रह गई देखो, और सुधार करो।

 दोस्तों अगर हमें हमारी गाड़ी में बार-बार, सफलता का मुंह देखना पड़ रहा है तो हमें एक बार ठहर कर शांत मन से अपनी प्रिय को कम मूल्यांकन करना चाहिए। विफलता से घबराने की स्थान पर उन्हें चुनौतियों के रूप में स्वीकार करना चाहिए। बार-बार मिलने वाली असफलताओं के पीछे जरूर हम कोई ना कोई कमी होती है हमें अपनी उन कमियों को ढूंढ कर उन्हें तुरंत सुधार करना चाहिए।

9. जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम
 संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम।

 दोस्तों यह कविता हमें यह संदेश देती है। जब तक हमें सफलता प्राप्त न हो जाए हमें कठिन परिश्रम, मेहनत, और लग्न के साथ अपने प्रिय जानी रखनी चाहिए।  इसके लिए चाहे नींद चैन ही क्यों नया त्याग ना पड़े। कहते हैं "नसीब उनका जगाता है जो रातों को जगाते हैं, सोने वाले बस सोती ही रह जाते। सफलता संघर्षों से प्राप्त होती है। इसीलिए सफलता को संघर्षों की कहानी कहां गया है। बिना संघर्षों की प्राप्त हुई सफलता कुछ ही समय में अपनी चमक को देती है। जो लोग संघर्षों का मैदान छोड़कर भाग जाते हैं उन्हें कर की उपाधि से विभूषित किया गया है। संघर्षों के मैदाने में डर्टी रहने वाली योद्धा ही सफलता जैसी नायाब चीज  को प्राप्त कर पाते हैं।

10. कुछ किए बिना ही जय जय कार नहीं होती कोशिश         करने वालों की कभी हार नहीं होती।

 दोस्तों दुनिया उन्हें की जय जयकार करती है, जो अच्छा मुकाम हासिल कर लेते हैं। आप ही बताइए जब तक आप कोई उपलब्धि अर्जित नहीं करेंगे कोई आपकी जय जयकार करेगा। आपकी तारीफ करेगा..? जब तक आप किला फतह नहीं कर लेते अर्थात विजय प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक कोई आपकी जय बोलने वाला नहीं है। बार-बार सफलता अर्जित करने की हमारी कोशिश है कभी बंद नहीं होने चाहिए क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है और अंत में। चाहे कितनी भी मुसीबतें और बात है कितनी भी असफलताएं प्राप्त हो लेकिन अंत में कोशिश करने वालों की ही जय जयकार होती है


 महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर -

Question 1. "लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती।" कविता को किसने लिखा है.? इसके लेखक की जानकारी दीजिए..?

उत्तर - "लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती' कविता, राष्ट्रकवि सोहन लाल द्विवेदी ने लिखी थी. यह कविता हिन्दी दिवस पर लिखी गई थी। यह एक प्रेरणादाई तथा मां और मस्तिष्क में उर्जा उत्पन्न करने वाली कविता है।


सोहन लाल द्विवेदी के बारे में ज़्यादा जानकारीः

1. सोहन लाल द्विवेदी का जन्म साल 1906 में उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर ज़िले के बिंदकी में हुआ था.

2.वे महात्मा गांधी के दर्शन से बहुत प्रभावित थे.

3. उन्होंने राष्ट्रीयता, चेतना, और ऊर्जा से भरी कई कविताएं लिखीं.

4. उन्होंने बालोपयोगी रचनाएं भी लिखीं.
उनकी प्रमुख रचनाएं हैं - भैरवी, पूजागीत सेवाग्राम, युगाधार, कुणाल, चेतना, बांसुरी, दूधबतासा.

5. साल 1969 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था.

Question 2.   "लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती" कविता छात्रों/लोंगो को क्या संदेश देती है.?.

 उत्तर - सोहन लाल द्विवेदी की यह कविता निरंतर प्रयास करने और हार न मानने का संदेश देती है। कवि कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति निरंतर प्रयास करता रहे और हार नहीं मानता, तो उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है। कविता के माध्यम से कवि कहते हैं कि जीवन में कई चुनौतियाँ और बाधाएँ आती हैं, लेकिन उनसे डरना नहीं चाहिए। जैसे - नौका,चींटी,और गोताखोर के सामने लाख चुनौतियां आती हैं, पर वह अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होते और अंत में सफलता का स्वाद चखते हैं। 

Question 3. "लहरों से डर कर" कविता कैसी है..?
उत्तर - लहरों से डर कर कविता अच्छी और प्रेरणादाई कविता है। अच्छी कविता की पहचान उसकी भाषा शैली,  तथा गुण धर्मो से होती है। अगर गुना के आधार पर बात की जाए तो यह कविता सारस और ओजस्वी कविता की श्रेणी में आती है। इसकी भाषा शैली सरल एवं सलेश है तथा यह है एक बार पढ़ने में ही समझ में आ जाती है। शिल्प की दृष्टिकोण से भी यह कविता अच्छी कविता मानी गई है। जहां तक कविता में छपी संदेश की बात है तो इसमें भी यह कविता अव्वल स्थान पर है। क्योंकि यह कविता हमारे समाज और युवाओं को यह संदेश देती है कि हमें बढ़ाओ से एवं समस्याओं से घबराने के स्थान पर उनका डटकर मुकाबला करना चाहिए और चुनौतियों को भी अपने अनुकूल बना लेना चाहिए। यही जिंदगी की सफलता है. 
 

Question 4. " लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती कविता का संक्षिप्त भावार्थ क्या है..?
उत्तर - लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती कविता का भावार्थ है कि हमें विपरीत हालातो में भी सूझबूझ, धैर्य एवं साहस के साथ कार्य करना चाहिए। यह कविता हमें बताती है कि हमें सफलता नहीं मिलने तक बार-बार प्रयास करने चाहिए। एक व्यक्ति को कठिन परिश्रम से घबराना नहीं चाहिए। यह कविता हमें संदेश देती है कि " हमें अपनी असफलता और कमियों को स्वीकार करके, उन्हें दूर करके, निरंतर आगे बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए।
जैसे - एक चींटी करती है।
जैसे - एक गौतखोर करता है।




ब्लॉग - प्रेरणा डायरी। 
वेबसाइट -- prernadayari.com
राइटर - केदार लाल 


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