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प्रेरणादायक कहानी -"सफलता के सूत्र"

प्रेरणा डायरी ब्लॉग  prernadayari.com   कुछ समय पहले मैं अपने पति मनोज कुमार के साथ राजस्थान के करौली मैं निवास करती थी वही मेरे पति अपना छोटा सा प्रिंटिंग प्रेस चलाते थे। मुझे भेज दिन अच्छी तरह याद है जब मैं लगभग 1 घंटे के अंतराल में दो बच्चों को जन्म दिया तो मेरे पति ने जुड़वा बच्चों के जन्म की खबर पाकर चहकते हुए खुशी से उछलते हुए कहा -" देखना केशु हमारे यह दोनों बेटे दीपक की भांति अपनी रोशनी चारों तरफ फैला देंगे… इसीलिए मैं इस बड़े बेटे का नाम जगदीप हुए छोटे बेटे का नाम रोशन रखूंगा।   दोस्तों, समय बड़ी तेजी से चलता है। समय तेजी से बीत गया इसका हमें आवास भी नहीं हुआ मेरे दोनों बेटे जगदीप रोशन स्कूल जाना शुरू कर देते हैं। दोनों एक ही विद्यालय की एक ही क्लास में पढ़ने लगे जहां जगदीप अपनी कुशाग्र बुद्धि वह अच्छी स्मरण शक्ति की बदौलत पढ़ाई में अव्वल रहने लगा वही रोशन पढ़ाई में पिछड़ता जा रहा था। मेरे पति मनोज भी जगदीप को अधिक चाहने लगे तथा उन्होंने अनजाने में ही रोशन की अनदेखी करते हुए उसके साथ अपेक्षित साहब व्यवहार करना शुरू कर दिया। अच्छे अंक लाने से आस पड़ोस की...