50 छोटी-छोटी प्रेरणादायक कहानियाँ - ( short motivational storyies) बच्चों के लिए छोटी -छोटी प्रेरणादायक कहानियां..। शिक्षाप्रद कहानियां।
किसी की जिंदगी में ऐसा पल जरूर आता है जब उसे किसी-न-किसी वजह से डर लगने लगता है। इस डर का सामना करने के लिए जानना जरूरी है स्वामी विवेकानंद का एक किस्सा।
एक दिन की बात है स्वामी विवेकानंद मंदिर में दर्शन करने के बाद प्रसाद लेकर बाहर निकले। कुछ देर आगे चलने के बाद स्वामी के घर के रास्ते में उन्हें कुछ बंदरों ने घेर लिया। स्वामी थोड़ा आगे बढ़ते और वो बंदर उन्हें काटने को आते। काफी देर तक स्वामी विवेकानंद ने आगे जाने की कोशिश की, लेकिन वो ऐसा कर न पाए।
आखिर में स्वामी विवेकानंद वहां से वापस मंदिर की ओर लौटने लगे। उनके हाथ से प्रसाद की थैली को छीनने के लिए बंदरों की टोली भी उनके पीछे भागने लगी। स्वामी डर गए और वो भी डर के मारे दौड़ने लगे। दूर से मंदिर के पास बैठा एक बूढ़ा सन्यासी सब कुछ देख रहा था। उसने स्वामी को भागने से रोका और कहा, “बंदरों से डरने की जरूरत नहीं है। तुम इस डर का सामना करो और फिर देखो क्या होता है।”
स्वामी विवेकानंद संन्यासी की बात सुनकर वहां ठहरे और बंदरों की तरफ मुड़ गए। अपनी तरफ तेजी से बंदरों को आता देखकर स्वामी भी उनकी तरफ उतनी ही तेजी से बढ़ने लगे। बंदरों ने जैसे ही स्वामी विवेकानंद को अपनी तरफ आता देखा, तो वो डरकर भागने लग गए। अब बंदर आगे-आगे भाग रहे थे और स्वामी जी बंदरों के पीछे-पीछे। कुछ ही देर में सभी बंदर उनके रास्ते से हट गए।
इस तरह स्वामी विवेकानंद ने अपने डर पर जीत हासिल की। फिर वो लौटकर उसी संन्यासी के पास गए और उनको इतनी बड़ी बात सिखाने के लिए धन्यवाद कहा।
कहानी से सीख – कोई भी चीज डर का कारण तब तक बनी रहती है, जब तक हम उससे डरते हैं। इसी वजह से डर से डरने की जगह उसका सामना करना चाहिए। ऐसा करने से डर भाग जाता है। यदि हमारे मन के अंदर डर समाया हुआ है तो धीरे-धीरे प्रयास करके हमें उस डर को दूर करना चाहिए। याद रखें अगर आप इस तरह के प्रयास करते हैं तो निश्चित रूप से आप डर मुक्त हो सकेंगे।
फोटो विश्लेषण- केदार लाल ( सिंह साब ) चीफ एडिटर प्रेरणा डायरी (ब्लॉग) एवं आर्थिक फंडा (ब्लॉग) अपनी पत्नी के साथ।
9. गुरु दक्षिणा (5 सितंबर शिक्षक दिवस )
दीपक लिग्री 10 वर्षों बाद विदेश से अपने घर करौली आया था। IIT से पढ़कर वह इंजीनियर बन गया था और एक मल्टीनेशनल कंपनी में उसकी नौकरी लग गई। नौकरी लगने के बाद में सिंगापुर शिफ्ट हो गया तथा वही को समय बाद उसने अपनी पसंद से शादी भी कर ली थी। जिंदगी में व्यस्तताएं बढ़ाने के कारण उसने उदयपुर आना-जाना काम कर दिया था। अपने मम्मी पापा को ही वह हर बार सिंगापुर बुला लेता था। स्कूल के समय के दोस्तों से भी उसका ज्यादा संपर्क नहीं रहा वह अपने स्कूल बैच के व्हाट्सएप ग्रुप में तो था पर ने कोई पोस्ट पढ़ता था नहीं कभी कोई पोस्ट डालता था।
लेकिन इस बार एक नई बात हुई उसे अपनी पत्नी की जिद के सामने हारना पड़ा और भारत आने का फैसला करना पड़ा दीपक लिग्री कि केशपती लिग्री को भी उदयपुर घूमने था।
एक दिन दीपक लिग्री अखबार पढ़ रहा था कि अचानक उसकी नजर अखबार में छपने वाले एक निवेदक कालम पर पड़ी। यह निवेदन कलम एक अस्पताल की तरफ से छापा था जिसमें लिखा था कि एक मरीज जिसे केवल फोटो था को लिवर ट्रांसप्लांट के लिए 25 लाख रूपों की जरूरत है और जनता से डोनेशन की अपील की गई थी।
दीपक लिग्री ने जो फोटो को ध्यान से देखा तो उसे लगा कि यह जाना पहचाना चेहरा है। तो उसे उसे व्यक्ति की पहचान जानने की उत्सुकता हुई उसने जल्दी से इश्तहार में दिए गए फोन नंबर पर फोन लगा दिया। फोन उठाने वाले को राजीव ने इश्तहार का हवाला दिया और पूछा की फोटो किसका है। थोड़ी आना कानी के बाद उस व्यक्ति ने बता दिया कि मरीज का नाम रामप्रकाश है यह नाम सुनते ही दीपक लिग्री अपने अतीत में चला गया। रामप्रकाश उसके स्कूल में विज्ञान के शिक्षक थे उन्हीं की बतौलत राजीव विज्ञान में रुचि लेकर, अच्छे अंक प्राप्त कर पाया था। उनसे शिक्षा प्राप्त किए हुए कई बच्चे अच्छे पदों पर पहुंचे। दीपक लिग्री भी उनमें से एक था। लेकिन पढ़ाई पूरी होने और नौकरी लगने के बाद उनका संपर्क राम प्रकाश से धीरे-धीरे टूट गया था। रामप्रकाश सर की यह स्थिति देखकर दीपक नगरी बड़ा दुखी हुआ उसे आत्मज्ञानी भी हुई उसकी सफलता में सर का बहुत बड़ा योगदान जो था। वे जल्दी ही अस्पताल पहुंच गया वहां उसने राम प्रकाश सर की पत्नी मिली उन्होंने बताया कि 2 साल पहले सर को पी लिया हो गया था उसी के कारण लीवर पर असर पड़ा था और धीरे-धीरे अब वह पूरी तरह फेल हो गया अब जान बचाने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई उपाय नहीं है सर की कोई संतान भी नहीं थी उनकी पत्नी ने बताया कि इलाज के लिए घर भी गिरवी रख दिया है पर फिर भी ट्रांसप्लांट के लिए पैसे पूरे नहीं है। दीपक लाइबेरिनेश्वर की पत्नी को आश्वासन दिया और जल्दी ही घर पहुंचा उसने बरसों बाद अपने स्कूल बैच के व्हाट्सएप ग्रुप में से राम प्रकाश सर कैंपेन का एक लिंक पोस्ट किया उसने सभी बैच वाले वालों से सर की बीमारी का वास्ता देकर मदद की अपील की और सर की बैंक डिटेल भी ग्रुप पर शेर की उसने स्वयं भी 10 लख रुपए फंड में डालें देखते ही देखते 6 दिन में 35 लख रुपए जमा हो गये। दीपक डिग्री अपने करौली में रह रहे अपने सहपाठीयो सहित अस्पताल पहुंचा और सर की पत्नी को भरोसा दिलाया कि सर अब जल्द ठीक हो जाएंगे पैसे का इंतजाम हो गया किस्मत से जल्द ही $1 भी मिल गया और रामप्रकाश सरकार लिवर ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो गया।
डिस्चार्ज के बाद दीपक लिग्री अपनी कर में उन्हें लेकर, उनके घर की तरफ लेकर चल दिए। इस दौरान सर की पत्नी बोली "बेटा घर तो गिरवी है, अभी हम किराए के मकान में रहते हैं हम सबको वही चलना है।"
दीपक लिग्री बोला "गिरवी था अब नहीं है।"
घर पहुंचने पर सर ने देखा कि उनके बहुत सारे पुराने छात्र जो आज अच्छे उर्दू पर थे हाथों में माला लिए खड़े थे और कुछ के हाथ में वेलकम सर के पोस्टर थे। यह सब देखकर सर भावुक हो उठे। उन्होंने दीपक और बाकी के अपने शिष्यों को गले लगा लिया। दीपक धीरे से बोल "सर यह हम सब की तरफ से आपकी गुरु दक्षिणा।"
सींख - दूसरों की मदद करने से सच्ची खुशी प्राप्त होती है।
10. आज पर यकीन --
12. हाथी और रस्सी
एक आदमी ने देखा कि एक बड़ा हाथी एक छोटे से खूँटे से बँधा हुआ है। उसने महावत से पूछा कि इतना विशाल हाथी इस छोटे से खूँटे से कैसे बंधा है। महावत ने बताया, "जब यह हाथी छोटा था, तब इसे इसी रस्सी से बांधा जाता था। तब यह उसे तोड़ नहीं पाता था और धीरे-धीरे उसने मान लिया कि वह इस रस्सी को कभी नहीं तोड़ सकता।"
सीख: हमारे जीवन में अक्सर हमारे पुराने विचार और सीमाएँ हमें आगे बढ़ने से रोकते हैं। हमें अपनी क्षमता पर विश्वास करना चाहिए।
13. बूढ़े आदमी का धन
एक बूढ़े आदमी से लोगों ने पूछा, "आपके पास इतना धन कैसे है?" उसने जवाब दिया, "मैंने अपने जीवन में मेहनत की और कभी किसी काम को छोटा नहीं समझा। जो भी अवसर मिले, मैंने उनका पूरा उपयोग किया।"
सीख: सफलता मेहनत, धैर्य और निरंतरता से आती है। छोटे प्रयास भी समय के साथ बड़े परिणाम देते हैं।
14. दो दोस्तों की कहानी -
दो दोस्त रेगिस्तान में यात्रा कर रहे थे। एक समय दोनों में बहस हुई और एक दोस्त ने दूसरे को थप्पड़ मार दिया। जिसे थप्पड़ मारा गया, उसने रेत पर लिखा: "आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा।" बाद में, उन्होंने पानी में तैरते समय अपने दोस्त की जान बचाई और पत्थर पर लिखा: "आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई।"
सीख: नकारात्मक घटनाओं को भुला देना चाहिए, लेकिन अच्छे कर्मों को हमेशा याद रखना चाहिए।
15. बोझिल बाल्टी -
एक बूढ़ा आदमी रोज़ अपनी टूटी हुई बाल्टी से पानी भरता था। एक दिन बाल्टी ने पूछा, "मैं टूटी हूँ और आप मुझे क्यों रोज़ इस्तेमाल करते हैं?" आदमी ने जवाब दिया, "तुम्हारे टूटेपन की वजह से रास्ते में फूल उगते हैं।"
सीख: हम सभी में कुछ कमियाँ होती हैं, लेकिन ये कमियाँ भी किसी अच्छे उद्देश्य की पूर्ति कर सकती हैं।
16. गाजर, अंडा और कॉफी बींस -
एक बार एक लड़की ने अपने पिता से जीवन की कठिनाइयों के बारे में शिकायत की। उसके पिता ने उसे गाजर, अंडा और कॉफी बीन्स को पानी में उबालने को कहा। फिर उन्होंने समझाया, "गाजर कठोर होती है, लेकिन उबलते पानी में नरम हो जाती है। अंडा पहले कमजोर होता है, लेकिन पानी में सख्त हो जाता है। और कॉफी बीन्स पानी को बदल देती हैं।"
सीख: कठिनाइयों के सामने आप किस तरह से प्रतिक्रिया करते हैं, वही आपके व्यक्तित्व को आकार देता है।
17. गिरना और उठना-
एक बार एक लड़का बार-बार गिरता और फिर उठता था। उसके पिता ने उसे कहा, "तुम बार-बार गिर रहे हो, हार मान लो।" लड़के ने जवाब दिया, "गिरना जरूरी है, लेकिन उठना और भी ज्यादा जरूरी है।"
सीख: असफलता जीवन का हिस्सा है, लेकिन हार मान लेना विकल्प नहीं है। बार-बार गिरने के बाद भी उठने की ताकत ही असली जीत है।
ये कहानियाँ सरल होते हुए भी जीवन की गहरी सच्चाइयों को समझाती हैं।
18. छोटे कदम बड़ी जीत
रवि एक छोटे से गाँव में रहने वाला लड़का था। उसके पिता किसान थे और घर की हालत बहुत अच्छी नहीं थी। रवि हमेशा सपना देखता था कि वह कुछ बड़ा करेगा, लेकिन उसे यह समझ नहीं आता था कि कैसे।
एक दिन गाँव में एक शिक्षक आए और उन्होंने बच्चों को यह बताया कि सपनों को पूरा करने के लिए छोटे-छोटे कदमों से शुरुआत करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हर दिन एक छोटा कदम उठाओ, और देखना तुम्हारा सपना जरूर पूरा होगा।”
रवि ने यह बात दिल से मान ली। उसने तय किया कि वह हर दिन कुछ नया सीखेगा। सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करने लगा, खेतों में काम करके अपने पिता की मदद भी करता, और शाम को जाकर गाँव की लाइब्रेरी में किताबें पढ़ता। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी।
कुछ सालों बाद रवि ने गाँव के सबसे अच्छे स्कूल में टॉप किया और उसे शहर में पढ़ने का मौका मिला। उसने अपने छोटे-छोटे कदमों से अपने बड़े सपने को हासिल कर लिया।
सींख: चाहे सपना कितना भी बड़ा हो, शुरुआत छोटे कदमों से ही होती है। मेहनत और धैर्य से सब कुछ मुमकिन है।
19. अवसर की ताकत
सीमा एक छोटे से कस्बे की साधारण लड़की थी। उसके पास अधिक साधन नहीं थे, लेकिन उसके अंदर कुछ करने की प्रबल इच्छा थी। सीमा का मानना था कि हर मुश्किल में एक नया अवसर छुपा होता है।
एक दिन, उसके स्कूल में एक भाषण प्रतियोगिता होने वाली थी। सीमा को बोलने का डर था, लेकिन उसे यह भी पता था कि यह उसके लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है। दोस्तों ने उसे हतोत्साहित किया, पर उसकी माँ ने कहा, “डर और अवसर एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। तुम चाहो तो इस डर को अवसर में बदल सकती हो।”
सीमा ने माँ की बात को दिल में बसाया और हिम्मत जुटाकर प्रतियोगिता में भाग लिया। उसने पूरे दिल से तैयारी की और मंच पर जाकर अपनी सारी शंका और डर को किनारे रखकर बोलना शुरू किया। उसकी आवाज़ में आत्मविश्वास था, और उसने सबको प्रभावित कर दिया। वह प्रतियोगिता जीत गई।
उस दिन के बाद सीमा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह हर नए अवसर को चुनौती मानकर स्वीकार करती रही, और अपने जीवन में सफलता की ऊँचाइयाँ छूने लगी।
सींख : अवसर को पहचानने और डर को जीतने से ही सफलता मिलती है। हर मुश्किल में छुपे अवसर को समझें और उसे अपनी ताकत बनाएं।
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20. खुद पर भरोसा
रोहन को बचपन से ही पेंटिंग का शौक था, लेकिन उसके माता-पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बने। उन्होंने उसे हमेशा यही कहा कि पेंटिंग से कुछ नहीं होगा, डॉक्टर बनने में ही उसका भविष्य सुरक्षित है। रोहन मन से तो पेंटिंग करना चाहता था, लेकिन अपने माता-पिता की इच्छा के खिलाफ जाना नहीं चाहता था।
एक दिन, स्कूल में एक कला प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। रोहन ने सोचा, “अगर मैं इसमें हिस्सा लूंगा तो शायद मुझे खुद पर विश्वास करने का मौका मिलेगा।” उसने अपने डर और संकोच को किनारे रखते हुए प्रतियोगिता में भाग लिया। उसने अपनी सबसे अच्छी पेंटिंग बनाई, दिल से रंग भरे, और पूरी शिद्दत से काम किया।
जब परिणाम आए, तो उसकी पेंटिंग ने पहला स्थान प्राप्त किया। रोहन को यकीन हो गया कि अगर उसे अपने आप पर भरोसा होगा, तो वह अपनी पसंद के क्षेत्र में भी सफल हो सकता है। उसने अपने माता-पिता को समझाया कि वह पेंटिंग में ही अपना करियर बनाना चाहता है, और आखिरकार उन्होंने उसे समर्थन दिया।
सींख : खुद पर विश्वास रखना ही सबसे बड़ी ताकत है। अगर आप अपने सपनों पर भरोसा करते हैं, तो पूरी दुनिया भी आपका साथ देने को तैयार हो जाएगी।
21. अंधेरे में उजाला
एक छोटा सा लड़का अंधेरा होने पर डर जाता था। वह अकेले कमरे में सोने से डरता था। एक दिन, उसकी दादी ने उसे एक मोमबत्ती दी और कहा, “जब भी तुम्हें अंधेरा लगे, तो इस मोमबत्ती को जला लेना। यह तुम्हें उजाला देगी और तुम्हारे डर को दूर करेगी।” लड़के ने वैसा ही किया। मोमबत्ती की रोशनी में उसे कमरा बहुत ही सुंदर लगने लगा और उसका डर दूर हो गया। दादी ने उसे समझाया कि मोमबत्ती की तरह ही हमारे अंदर भी एक उजाला है। जब हम डरते हैं, तो हमें उस उजाले को याद करना चाहिए।
22. चींटी और मेंढक -
एक चींटी पानी में गिर गई। वह डूब रही थी। एक मेढ़क ने उसे अपनी पीठ पर चढ़ा लिया और उसे किनारे पर ले गया। चींटी ने मेढ़क को धन्यवाद दिया। मेढ़क ने कहा, “कोई बात नहीं। हम सबको एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।” इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए।
23. टूटी हुई पेंसिल -
एक लड़के के पास एक पेंसिल थी। वह पेंसिल टूट गई। लड़का बहुत दुखी हुआ। उसने अपनी माँ से कहा, “माँ, मेरी पेंसिल टूट गई है। अब मैं क्या करूंगा?” उसकी माँ ने उसे कहा, “बेटा, टूटी हुई पेंसिल को फेंक मत दे। इसे तेज कर लो।” लड़के ने वैसा ही किया। तेज करने के बाद पेंसिल फिर से लिखने लगी। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। हमें हमेशा कोशिश करते रहना चाहिए।
24. तितली और कोयल -
एक बार की बात है, एक छोटी सी तितली एक बड़े से पेड़ पर बैठी थी। वह अपनी रंग-बिरंगी पंखों से बहुत खुश थी। तभी, एक कोयल ने उसे देखा और कहा, “तुम तो बहुत ही खूबसूरत हो! लेकिन तुम्हें उड़ना नहीं आता।” तितली ने कहा, “मुझे उड़ना आता है।” कोयल ने हंसकर कहा, “तुम इतनी छोटी हो, तुम कैसे उड़ सकती हो?” तितली ने हिम्मत करके उड़ान भर ली। उसने कोयल को दिखा दिया कि वह कितनी दूर तक उड़ सकती है। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी अपनी क्षमताओं पर संदेह नहीं करना चाहिए।
25. एक और कदम -
छोटू, एक बारह साल का लड़का, अपने गाँव के स्कूल में पढ़ने जाता था। स्कूल का रास्ता एक पहाड़ी से होकर गुजरता था, जो पत्थरों और कंकड़ों से अटा पड़ा था। बारिश के दिनों में यह रास्ता कीचड़ और पानी से लबालब हो जाता, जिससे बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो जाता। छोटू को यह रास्ता हमेशा परेशान करता, लेकिन वह हर दिन हिम्मत जुटाकर स्कूल पहुँचता।
एक सुबह, स्कूल जाते वक्त छोटू ने देखा कि एक बूढ़ा आदमी पहाड़ी पर झुका हुआ पत्थरों को हटा रहा था। उसका चेहरा पसीने से तर था, लेकिन आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। छोटू ने उत्सुकता से पूछा, “बाबा, आप रोज़ सुबह-सुबह ये भारी पत्थर क्यों हटाते हैं? इससे क्या फर्क पड़ेगा? ये तो बस कुछ पत्थर हैं।”
बूढ़े आदमी ने अपनी कमर सीधी की और मुस्कुराते हुए कहा, “छोटू, तूने कभी देखा है, जब बारिश होती है तो पानी इन्हीं पत्थरों की वजह से रुक जाता है? लोग फिसलते हैं, बच्चे गिरते हैं। अगर मैं रोज़ एक-दो पत्थर हटाऊँ, तो धीरे-धीरे रास्ता साफ हो जाएगा। पानी बिना रुके बहेगा, और सबके लिए रास्ता आसान हो जाएगा।”
छोटू को बाबा की बात समझ नहीं आई। उसने सोचा, “इतने सारे पत्थर! एक बूढ़ा आदमी क्या कर लेगा?” लेकिन बाबा की आँखों में विश्वास देखकर वह चुप रहा। उस दिन स्कूल जाते वक्त उसने एक छोटा-सा पत्थर उठाकर किनारे रख दिया। उसे लगा, शायद यह कोई मायने नहीं रखता, लेकिन बाबा की बात उसके दिमाग में घूमती रही।
अगले दिन, छोटू ने फिर बाबा को पत्थर हटाते देखा। इस बार उसने भी एक पत्थर उठाया और किनारे रख दिया। बाबा ने मुस्कुराकर उसकी पीठ थपथपाई। “बस, एक और कदम, छोटू!” उन्होंने कहा। छोटू को यह सुनकर अच्छा लगा। उसने फैसला किया कि वह हर दिन एक पत्थर हटाएगा।
दिन बीतते गए। छोटू ने देखा कि बाकी बच्चे भी उसका साथ देने लगे हैं। कोई पत्थर हटाता, कोई कूड़ा उठाता। धीरे-धीरे रास्ता साफ होने लगा। बारिश का पानी अब कम रुकता था। कुछ हफ्तों बाद, रास्ता इतना साफ हो गया कि बच्चे आसानी से स्कूल जा सकते थे।
एक दिन, बाबा ने छोटू को बुलाया और कहा, “देखा, एक-एक कदम ने कितना बड़ा बदलाव ला दिया?” छोटू मुस्कुराया। उसे समझ आ गया कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े परिणाम ला सकते हैं।
सींख
छोटू और बाबा की कहानी सिखाती है कि कोई भी लक्ष्य कितना बड़ा क्यों न हो, रोज़ एक छोटा कदम उठाने से उसे हासिल किया जा सकता है। धैर्य और निरंतरता ही सफलता की कुंजी है।सीख
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