कैसे तनाव मुक्त रहे स्टूडेंट..? इसमें दोस्तों कि क्या अहमियत है...??




प्रेरणा डायरी। (www.prernadayari.com )

टुडावली, करौली, राजस्थान -321610

प्रेरणा डायरी - 

 


          प्रेरणा डायरी ब्लॉग --  "छात्रों कि ख़ुशहाली" 

 

टेबल ऑफ़ कंटेंट --

1. तनाव मुक्त रहने में दोस्ती बड़ी मददगार होती है।
2. परीक्षाओं के अनावश्यक डर से दूर रहें।
3. ऐसे दूर करें परीक्षाओं का तनाव।

- तनाव हावी न होने दे।
- क्या दोस्तों की तैयारी ज्यादा अच्छी है..?
- क्या अच्छे मार्क्स आएंगे..?
- दोस्त और पेरेंट्स की मदद ले।
- योग और एक्सरसाइज करें।

4. बच्चों की जिंदगी सवार सकते हैं टीचर।
5. छात्रों के महत्वपूर्ण सवालों के जवाब।


आज के हालातो में परीक्षा एक किला फतह करने जैसा दुष्कर और कठिन कार्य बन गया है। कुछ तो बन गया है और कुछ बना दिया  गया हैं, हम लोगों के द्वारा । जबकि होना यह चाहिए कि, हम सब मिलकर ऐसा वातावरण तैयार करें जिसमें हमारे बच्चे परीक्षा को भय का नहीं खुशी और जश्न के उत्सव कि भांति समझें।  देखा जाए तो परीक्षाएं तनाव मुक्त और भय मुक्त वातावरण में होनी चाहिए । वर्तमान परिवेश में हालात इसके उलट होते जा रहे हैं। परीक्षाओं के भय के चलते  अनेक परीक्षार्थी मानसिक अवसाद का शिकार हो रहे है। परीक्षा और कंपटीशन का एक भूत पैदा कर दिया गया है। अनेक विद्यार्थियों की परीक्षा के नाम से ही तबीयत खराब होने लगती है। यकीन मानिए में स्वयं ऐसे अनेक छात्रों को जानता हूं और पहले भी जानता था जो परीक्षा के दिनों में दबाव के कारण बीमार पड़ जाते थे। यह सब परिणाम है अनावश्यक भोझ का। हमारे परीक्षार्थियों, परिजनों, स्कूलों ने परीक्षा के माहौल को एक अलग रंग दे दिया है। हमारे स्टूडेंट्स ने परीक्षा का एक बहुत बड़ा बोझ अपने मन और दिमाग दोनों पर लाद दिया है। परीक्षार्थी परीक्षा को किसी ऊँचे पर्वत कि असाध्य चोटी के समान मानते है। जिससे मानसिक तनाव, अवसाद, आदि जन्म लेते है। जबकि मेरा मानना यह है कि "परीक्षा को अवसाद का नहीं खुशी का विषय बनाए। परीक्षा को बोझ नहीं उत्सव समझें।"

 दोस्तों प्रेरणा डायरी के आज के आर्टिकल में मैं आपको तनाव मुक्त रहने के कुछ छोटे-छोटे मगर कारगर उपाय बताने वाला हूँ। अपने फॉलो करके मैं केवल तनाव मुक्त रह सकते हैं बल्कि अच्छे से अपनी पढ़ाई भी कर सकते हैं। तो आईए जानते हैं कुछ ऐसे टिप्स को --


 तनाव मुक्त रहने में दोस्ती बड़ी मददगार होती हैं --  


दोस्त हर मुश्किल में साथ देने वाले हमसफर कि तरह होता है। दोस्त दिल के करीब होता है। सच्चा मित्र सुख-दुख का साथी होता है। हर तरह के वार्तालाप और बातचीत में शामिल रहता है। ऐसे में तनाव मुक्त रहने में दोस्ती बड़ी मददगार होती है।

 कुछ पंक्तियां सुनाता हूँ आपको -

 "जब कोई बात बिगड़ जाए..

 जब कोई मुश्किल पड़ जाए..

 तुम देना साथ मेरा, ओ हमसफर....।"


 आपकी हर बिगड़ी हुई बात को बनाने में दोस्त की भूमिका बड़ी अहम है। दोस्त जिंदगी के सफर को खुशनुमा बना देते हैं।बसर्ते दोस्त भी दोस्ती की परिभाषा पर खरा उतरता हो अर्थात सच्चा दोस्त होना चाहिए। एक सच्चा दोस्त हजारों की बिगड़ैल भीड़ से अच्छा है। आप अपने पढ़ाई के तनाव को दूर करने में भी दोस्तों की ऐसी ही मदद ले सकते है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पुस्तक "एक्जाम वॉरियर्स" में प्रत्येक विद्यार्थी को चिंतातुर नहीं बल्कि योद्धा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।" सही भी है, प्रत्येक विद्यार्थी योद्धा की भूमिका में आकर ही शैक्षणिक चुनौतियों पर जीत हासिल करता है। इतना जरूर है कि इस दौर में कुछ साथी योद्धाओं को परीक्षा के दौरान अत्यधिक तनाव और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अपने दोस्तों की ओर मदद का हाथ बढ़ाना जरूरी है। कंधे से कंधा मिलाकर चलने पर परीक्षाओं से जुड़ी इस यात्रा को करने मे आसानी हो जाती है।   यह भी अनिवार्य हो जाता है कि हम स्वयं के लिए ही नहीं, बल्कि अपने साथियों के लिए भी योद्धा की भावना से जुड़ें, ताकि चुनौती के समय सहयोगपूर्ण मोर्चा तैयार हो सके। कई अच्छे दोस्त आपस में जुड़े हुए होते हैं, तो परीक्षा एवं अन्य कई तरह की तनाव से निपटने में सुविधा रहती है। क्योंकि उनके पास एक ऐसा दोस्त होता है जिससे वह अपनी बातें शेयर कर सकते हैं, हंस बोल सकते हैं, अच्छी बुरी चीजों को एक दूसरे को बता सकते हैं।  हम उमरो का समर्थन, विभिन्न संदर्भों में काफी महत्त्व रखता है। यह सामान्य सिद्धांत भी है कि प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने वाले लोग, अपने समान समस्या वाले लोगों के लिए प्रेरणा ( motivation) का कार्य करते है। आज के चुनौतियों भरे शैक्षणिक परिदृश्य में जब परीक्षाएं किसी पर्वत की ऊंची चोटी पर चढ़ाई के समान असाध्य महसूस होती हों तो तनाव से घिरना स्वाभाविक है। ऐसी चढ़ाई जिसमें हर कोई उम्मीदों की भारी गठरी लादकर चल रहा हो तब हम उम्र साथियों का सहयोग निश्चित ही यात्रा की चुनौतियां कम करने वाला होता है। कल्पना करें कि आप कदम से कदम. मिलाते हुए एक साथ उस पहाड़ पर चढ़ रहे हैं। अनुभवों के आदान-प्रदान के इर्द-गिर्द घूमता . साथियों का समर्थन इस विश्वास पर भी आधारित होता है कि चुनौतियों पर जीत हासिल कर चुके लोग दूसरों. का मार्गदर्शन कर सकते हैं। साथियों का सहयोग मिलना बहु आयामी फायदे जैसा है। परीक्षाओं का तनाव साथियों के साथ से आसानी से दूर हो जाता है। 

अनावश्यक डर से दूर रहे --

परीक्षा के दिनों में भ्रम और तनाव से दूर रहे। Student व्यर्थ के डर और आशंका से घिर जाते है। अक्सर देखने को मिलता है कि परीक्षाओं के शुरुआती दिनों में परीक्षार्थी अनावश्यक भ्रम व चिंता के का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में दोस्तों की मदद और विचारों  के आदान-प्रदान से समाधान के रास्ते तलाशने में मदद  मिलती है। नतीजतन परीक्षा से जुड़े तनाव से खुद को  के अलग-थलग महसूस करने वालों को सम्बल मिलता है। यह भी उल्लेखनीय है कि ऐसे दौर में आपके साथियों के  विचारों में जो स्पष्टता मिलती है वह किसी भी परीक्षा के पहले काफी मूल्यवान होती है। सही मायने में भावनाओं को व्यक्त करने की जगह,साथियों की  से सहयोग मिलना, विचारों और भावों को  को सुलझाने की सुविधा प्रदान करता है। ऐसे आदान-प्रदान॒ से परीक्षाओं के तनाव में खुद के अलग-थलग पड़ने की सोच भी अक्सर कम हो जाती है। अपने दोस्तों का सहयोग परीक्षा के समय तनाव को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता ही है। 


 शैक्षिक संस्थानों कि भूमिका --  

ऐसे वक्‍त में शैक्षणिक संस्थानों की जिम्मेदारी भी अहम होती है। आपसी सहयोगपूर्ण वातावरण बनाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के प्रयास ज्यादा जरूरी होते हैं। परीक्षार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक सफलता के बीच आपसी संबंध है। इस बात को पहचानते हुए संस्थानों को छात्र हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए। ऐसे दौर में संबंधित संस्थान भी परस्पर सहायता कार्यक्रमों से जुड़ें तो छात्रों का एक-दूसरे में भरोसा बढ़ता है। ऐसे में संस्थान इस तरह के शैक्षणिक आदानप्रदान के लिए कोई पृथक से स्थान भी तय कर सकते हैं। साथ ही संस्थानों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि परीक्षा देने वाले सभी छात्र-छात्राओं को उसके द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सहायता व सुविधाओं की जानकारी है। यह कहा जा सकता है कि परीक्षा के समय आपस में साथियों की अधिक सहायता करना व्यक्तिगत रूप से छात्रों की जिम्मेदारी तो है ही, शिक्षण संस्थाओं की भी जिम्मेदारी है, कि वे मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने वाले परिवेश को प्राथमिकता दें। मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक सफलता के बीच परस्पर जुड़े हुए संबंधों से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में संस्थान छात्रों के समग्र विकास में योगदान कर सकते हैं। न केवल शैक्षणिक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए छात्रों को तैयार करते हुए बल्कि जीवन में मिलने वाले दूसरे अनुभवों के लिए भी वे मानसिक रूप से तैयार कर सकते हैं। परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे परीक्षार्थियों से आग्रह करता हूं कि भविष्य की चिंता से जुड़ा तनाव नहीं ओढ़ें। न ही दूसरों की उपलब्धियों से अपनी तुलना करें। किसी दूसरे के मार्ग पर चलने का प्रयास करना पहले से निर्धारित मार्ग का अनुसरण करने जैसा है। इसकी बजाय, अपनी नई दिशा चुनें। ऐसे लक्ष्य निर्धारित करें जिन्हें बिना किसी तनाव के हासिल कर हम आगे बढ़ सकें। क्योंकि कोई भी आदर्श लक्ष्य किसी दबाव से नहीं बल्कि उत्साह व प्रेरणा से प्राप्त किया जाता है।

 ऐसे दूर करें परीक्षा का तनाव  --

 परीक्षा पास आते ही तनाव होना सामान्य सी बात है लेकिन जब तनाव और दबाव हद पार कर जाए तो परीक्षा के परिणाम पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। अगर आप भी तनाव से जूझ रहे हैं तो जल्द छुटकारा पा लेना बेहतर है वरना अच्छी तैयारी होने के बाद भी मार्क्स अच्छे नहीं आते। आई मैं आपको कुछ बातें बताता हूं जो परीक्षा पास आते ही पैदा होने वाले तनाव और दबाव को कम करने में आपकी मदद करेगी

 तनाव हावी होने पर क्या करें -- 

 जब तनाव इतना बढ़ जाए कि कुछ समझ में नहीं आए की परीक्षा कैसे देंगे..? ऐसे में मन को शांत करें जो भी विषय या टॉपिक आपको समझ में आ रहे हैं पहले उन पर फोकस करें तैयारी पटरी पर आने के बाद ही मन शांत होता है और आगे की रणनीति तय कर पाते हैं। तनाव तभी काम होगा जब स्थितियां आपके नियंत्रण में होगी। इसीलिए सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ाना।

 दोस्तों की तैयारी ज्यादा अच्छी है.? 

 मेरा मानना है कि कई बार बहुत से स्टूडेंट स्कूल लगता है कि उनके साथियों की तैयारी उनसे ज्यादा बेहतर चल रही है। दोस्तों की तुलना में वह खुद को पिछड़ा हुआ महसूस करते हैं। इससे उनका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है। इसलिए सिर्फ अपनी तैयारी पर ध्यान दें और यह सोचें कि मेरी तैयारी अन्य के मुकाबले बेहतर है। फालतू बातें सोचने के बजाय अपनी तैयारी पर ध्यान दें।

 क्या अच्छे अंक आएंगे..? 

 मैं अक्सर देखता हूं कि ज्यादातर स्टूडेंट पूरी परीक्षा के दौरान सिर्फ यही सोचते रहते हैं कि क्या मेरे अच्छे अंक आएंगे..? यानी परीक्षा से पहले ही उनके मन में परिणाम की चिंता समाई रहती है। इससे अच्छी तैयारी के बावजूद भी परिणाम पर बुरा असर पड़ता है तथा तनाव बढ़ता है। अंकों के बारे में सोचते रहना और उचित कदम ने उठाना समझदारी का काम नहीं है। इसलिए अपने आप से कहे की "मेरी तैयारी अच्छी है।मैंने कड़ी मेहनत की है।और अपना बेस्ट देने का प्रयास करूंगा।" इस तरह की सोच रखने की सब परीक्षा के दौरान होने वाला तनाव काफी हद तक काम हो जाता है।

 दोस्त और परिजनों की मदद लें -- 

 अगर कोशिश करने के बाद भी आप तनाव कम नहीं कर पा रहे हैं और समस्या का समाधान नहीं निकल रहा है तो सबसे पहले अपने भाई-बहन या दोस्तों से बात करें। अपने पेरेंट्स से भी बात करें। अपने दोस्तों के साथ अपनी समस्या को शेयर करें। अच्छे दोस्त आपको बेहतर समाधान बता सकते हैं उन्हें खुलकर अपनी समस्या बताएं ऐसा करने से आप अच्छा महसूस करेंगे। आपके मन का बोझ कम होगा और तनाव हल्का होगा।

 योग और एक्सरसाइज करें -- 

 अक्सर मैंने देखा है की परीक्षा के दिनों में तनाव बढ़ाने के कारण स्टूडेंट थकान महसूस करते हैं और ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाते। उन्हें या तो नींद आती ही नहीं है या बहुत अधिक आती है अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो इसका सीधा सा मतलब होता है कि आपकी दिनचर्या बिगड़ी हुई है। ध्यान और योग ऐसी चीज हैं जो तनाव को भी काम करते हैं साथ ही हमें स्वस्थ और फिट रखते हैं। अपनी नींद पूरी जरूर करें नींद का एक शेड्यूल बनाएं हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें ध्यान रखें रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज या योग के लिए आवश्यक निकले। योग और एक्सरसाइज सस्ती को दूर करता है इसके अलावा चाहे तो 30 मिनट की कार्ड यू भी कर सकते हैं दिन रात तक पढ़ाई करने से भी थकान हो सकती है खासकर अगर यह आपकी आदत बन जाए। वीर रात तक जागने से बेहतर है कि आप समय पर सोए और सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करें। नियमित एक्सरसाइज करें और खुश रहने की आदत डालें।

-- पढ़ाई से संबंधित समस्याओं का हल निकालने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं। सकारात्मक सोच में बेहतर विचार और ऊर्जा होती है। अपनी चुनौतियों को अवसर के रूप में देखें।

-- तनाव लेने की जगह समस्याओं का समाधान ढूंढने की कोशिश करें। दिमाग को शांत रखें और हल निकालने की प्रयास करें। पढ़ाई से संबंधित समस्याओं के कारण को समझे तो जल्दी हल निकलेगा।

-- प्राथमिकता के आधार पर अपने पाठ्यक्रम को पूरा करें। सिलेबस का बारीकी से अध्ययन करें और टाइम मैनेजमेंट के साथ अपने सिलेबस को निपटाएं। कठिन विषयों को अधिक समय दें। याद की गई उत्तरों को बिना देखे लिखने का प्रयास करें। इससे आपका लेखन कौशल भी विकसित होगा। समय पर पाठ्यक्रम पूरा होने से तनाव कम होगा।

-- गुस्सा, भय और घबराहट जैसी चीजों से दूर रहे। इससे आपकी तैयारी पर विपरीत असर पड़ सकता है।

-- परीक्षा की दिनों में खुश रहें खिलखिला कर हंसे और मुस्कुराए। परिजन और दोस्तों के साथ हंसी मजाक के लिए थोड़ा समय निकाले। मैंने स्वयं यह महसूस किया है कि तनाव को कम करने में हंसी का बड़ा योगदान है। कुछ देर की हंसी और मुस्कुराहट दिन भर के तनाव को समाप्त कर देती है। आप भी इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर अच्छे परिणाम दे सकते हैं। 


शिक्षा के साथ बच्चों कि जिन्दगी सँवार सकते है टीचर --



     फोटो -- प्रेरणा डायरी ब्लॉग के चीफ एडिटर केदार लाल          (सिंह साब) अपने बेटे के साथ। स्थान - टुड़ावली गाँव।

                 
        प्रेरणा डायरी ब्लॉग -- "छोटी सी आशा"
     

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी पुस्तक एग्जाम वारियर्स में कहा भी शिक्षकों की भूमिका पर खूब चर्चा हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि हर एपिसोड में विद्यार्थियों के बैच बदलते हैं, शिक्षकों के बैच वही रहते हैं। अगर शिक्षक अब तक के एपिसोड में दिए गए सुझावों पर स्कूलों में अमल करें, तो बच्चों में तनाव की समस्या कम की जा सकती है। मोदी ने विद्यार्थियों और शिक्षकों के रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा, मैं कभी-कभी टीचर्स से पूछता हूं कि आप 30 साल से टीचर है। जो बच्चे पढ़ाई पूरी कर चुके, वे बड़े हो गए होंगे। उनकी शादी हो गई होगी। उनके घरों मैं और भी कई बड़े कार्यक्रम आयोजित हुए होंगे तो क्या कोई विद्यार्थी आपको अपनी शादी का कार्ड देना आया..? या किसी और कार्यक्रम का निमंत्रण देने आया...? 99 फीसदी टीचर कहते है कि कोई नहीं आया। मतलब आप सिर्फ जॉब करते हैं, विद्यार्थियों से जुड़ाव पैदा नहीं करते। टीचर का काम जॉब करना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों की जिंदगी संवारना है। शिक्षक का समाज में इतना आदर और सम्म्मान होने के पीछे यही भावना तो है। शिक्षक यदि चाहे तो सैकड़ो छात्रों का भविष्य बन सकता है। 


प्रश्न उत्तर  ( Question - Answer )



Question - 1 तनाव (टेंशन ) क्या होता है..?

उत्तर - तनाव एक ऐसी मानसिक एवं भावनात्मक स्थिति है जो छात्र या किसी भी व्यक्ति के अंदर बेचैनी तथा शारीरिक व दिमागी असंतुलन पैदा कर देती है। तनाव ग्रस्त छात्र अपने आप को भयभीत डरा हुआ सर दर्द अनिद्रा घबराहट बेचैनी आदि से घिरा हुआ पता है तनाव छात्रों की भूख को खत्म कर देता है और उनके लिए ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। तनाव एक ऐसा मानसिक विकार है जो छात्रों के जीवन में ए व्यवस्था उत्पन्न कर देता है। तनाव के कारण छात्रों की उत्पादकता घट जाती है। उनके लिए अपने लक्ष्य और सफलता को प्राप्त करना चुनौती बन जाता है। तनाव एक ऐसा मानसिक विकार है जो पूरे व्यवहार को प्रभावित करता है, इसीलिए छात्रों को तनाव से बचने की सलाह दी जाती है।

 हालांकि यह माना जाता है, और मैंने भी अपने छात्र जीवन में ऐसा महसूस किया है कि कम मात्रा में तनाव हमें हमारे लक्ष्यो को हासिल करने के लिए और अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करता है। लेकिन जब तनाव अधिक हो जाता है और हम इसे प्रबंध नहीं कर पाते हैं तब यह एक व्यक्ति या छात्रा के लिए परेशानियां साबित करने वाला सिद्ध होता है।

Question 2 . मेरा बेटा घर से दूर रहकर पढ़ाई कर रहा है। उसके बिना मेरा मन नहीं लगता। ऐसे में मैं भावनात्मक रूप से खुद को कमजोर महसूस कर रही हूं मुझे क्या करना चाहिए..?


उत्तर -- यह आपकी ही नहीं बहुत सी माँओं की समस्या होती है। क्योंकि जब पहली बार अपने प्यार और लाडले बच्चों को पढ़ाई के लिए बाहर भेजा जाता है तो मां-बाप को बड़ी पीड़ा होती है, क्योंकि हमेशा आंखों के सामने रहने वाले उनके बच्चे उनसे दूर हो जाते हैं। हमारा मन और हमारी भावनाएं उमराने लगते हैं लेकिन अपनी भावनाओं को पहचानना और स्वीकार करना चाहिए क्योंकि भावनाओं को दबाना गलत होता है। भावनाओं को दबाने के बजाय उन्हें स्वीकार करना बहुत जरूरी होता है। आप अपने बेटे की अनुपस्थिति को सकारात्मक रूप से देखने की कोशिश करें और सोचें कि वह अपनी पढ़ाई के लिए बाहर गया है इस त्याग से उसके भविष्य का निर्माण होगा। ऐसे कार्यों में अपना मन लगे जो आपको काफी पसंद है। आप अपने समय को अच्छे से व्यतीत करने के लिए कुछ अच्छी बुकिंग पड़ सकती हैं कोई अच्छा संगीत सुन सकती हैं या फिर ध्यान और पूजा आदि का सहारा ले सकती हैं इससे मन को शांति प्राप्त होती है। अपने पड़ोसी और दोस्तों के साथ समय बिताए। अच्छे दोस्तों के घर जाएं एवं उन्हें भी अपने घर आमंत्रित करें। इससे माहौल खुशनुमा बना रहता है। और आपका मन भी लगा रहेगा।


Question - 3 छात्र तनाव में क्यों रहते हैं..?

उत्तर - आजकल के बदले परिवेश में छात्रों का जीवन वैसा नहीं रहा जैसा होना चाहिए। पुराने समय में छात्र तनाव मुक्त थे क्योंकि उनकी दिनचर्या संयमित थी और मन में प्रतियोगिताओं का अनावश्यक बोझ नहीं था। आज की दौड़ में पढ़ाई में अच्छा होने के बावजूद छात्र तनाव ग्रस्त महसूस कर रहे हैं। प्रतियोगिताओं के साथ वर्तमान जीवन सहेली भी तनाव का एक प्रमुख कारण है। छात्रों में तनाव की जो वजह नजर आती है उनमें सबसे प्रमुख है पढ़ाई और सफलता का दबाव, भविष्य की चिंता, असफलता का डर, अच्छे प्रदर्शन का दबाव, अपेक्षाओं का बोझ, अकेलापन, उचित मार्गदर्शन का अभाव,नशे की प्रवृत्ति, स्वस्थ मनोरंजन की कमी, करियर और भविष्य की चिंता, आदी।

Question 4. परीक्षा के तनाव को कैसे कम करें छात्र..?

उत्तर - आजकल परीक्षाओं को लेकर तनाव आम बात सी हो चुकी है। हालांकि इसके बारे में विशेषणों का मानना है कि थोड़ा तनाव आपको प्रेरित और प्रबंधित करता है। लेकिन अधिक तनाव अनेक मानसिक शारीरिक और भावनात्मक बीमारियों को जन्म देता है। अधिक तनाव एक छात्र के परिणाम और उत्पादकता पर बुरा असर डालता है। अत्यधिक तनाव आपके लिए घातक साबित हो सकता है। यदि आप एक छात्र हैं और तनाव का सामना कर रहे हैं तो इससे मुक्ति के लिए आप निम्न कदम उठा सकते हैं --

1. तनाव के मुख्य कारणों कि पहचान करें और उन्हें दूर करें।

2. समय-समय पर पढ़ाई से ब्रेक लें।

3. कभी-कभी घूमने जाएं, सिनेमा देखे और मस्ती करें।

4. अपने दोस्तों के साथ खिल खिलाकर हंसी मजाक करें।

5. पढ़ाई को लेकर तनाव न हो इसके लिए समय पर अपने पाठ्यक्रम को पूरा करें।

6. मन लगाकर और बिना किसी दबाव के अध्ययन करें।

7. नियमित योगासन करें।

8. पौष्टिक भोजन करें तथा कैफीन का कम प्रयोग करें।

9. पर्याप्त नींद ले और खुद पर भरोसा रखें।

10. अपने अध्ययन में समय प्रबंधन का ख्याल रखें।

11. यदि आप तनाव महसूस कर रहे हैं तो डॉक्टर, परिजन और मित्रों की मदद लें।

Question 5. जब भी मेरा कोई दोस्त मुझे आगे निकलता है या कोई साथी जब टॉपर आता है तो मुझे बहुत ईर्ष्या व जलन होती है। मैं यही सोचता रहता हूं कि काश उसकी जगह में होता। मुझे क्या करना चाहिए मार्गदर्शन करें...।


उत्तर -- कई स्थिति में यह एक सामान्य बात है क्योंकि जब हम किसी दूसरे की सफलता को देखते हैं तो हमारे मन में भी कभी-कभी ईर्ष्या  का अनुभव हो सकता है। लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हमें इस भावना को काबू में रखना चाहिए और उसे सकारात्मक ऊर्जा में बदलना चाहिए। आपको एक बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि किसी की सफलता आपकी असफलता नहीं है। दूसरों की उपलब्धि को अपने लिए प्रेरणा बनाएं। अपने ज्ञान को खुद पर केंद्रित करें। अपने मन के भटकाव को रोके, उसे काबू करने का प्रयास करें। दूसरों से ईर्ष्या करने के बजाय अपनी खुद की क्षमताओं और योग्यताओं पर विश्वास रखें। आत्मविश्वास के साथ अपने कार्य करें। अपने लक्ष्य स्पष्ट रखें और उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करें।  अपने जीवन के हर पहलू को महत्व दें शिक्षा, रिश्ते, मनोरंजन, आत्म देखभाल आदि का विशेष ख्याल रखें।


Question 6. मैं एक छात्र हूं और मेरी आदत कमियां निकालने की है। मेरा ध्यान कर्मियों की तरफ ही जाता है। मैं किसी के भी कार्य में कर्मियों को देखता हूं और उसकी बुराई करने लग जाता हूं, इसी कारण लोग मुझे दूरी बनाकर रखते हैं। कृपया मुझे बताएं कि मैं अपनी इस आदत को कैसे बदल सकता हूं..?

उत्तर - सबसे पहले आप अपने मन में यह पक्का करें कि मुझे कर्मियों की तरफ ध्यान नहीं देना है। अपने मन में हमेशा अच्छे विचार रखें और सकारात्मक सोच रखें। अपने साथियों की खुले मन से तारीफ करें। कुछ लोग परफेक्शनिस्ट होते हैं तो कुछ नर्सिंसिस्ट होते हैं। यह उनकी अपनी अपनी पर्सनालिटी होती है। नर्सिंसिस्ट अपनी कमियां स्वीकार करने में होने वाली असहजता के कारण अन्य लोगों में कमियां ढूंढने लगते हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि जिन मुद्दों पर आप असहज महसूस करते हैं उनसे हटकर किसी व्यक्ति विशेष की पूरी बात को ध्यान से सुने और उसमें गलती निकालने की जगह अपना तर्कसंगत पहलू शामिल करें। आप अपनी इस आदत को बदलने के लिए अपने नेचर में निम्न बातों को अपना कर देख सकते हैं --

1. अपने साथियों के कामों में कमियां निकालने के स्थान पर उनके सकारात्मक पहलू को देखें।

2. अपने दोस्तों की दिल से तारीफ करें।

3. अपने मन से नकारात्मक भावों को निकाल कर बाहर कर दें।

4. दूसरों की बुराई करने की आदत को धीरे-धीरे त्यागे।

5. लोगों की बुराई करने के स्थान पर अपनी परफॉर्मेंस सुधारने पर ध्यान दें।

7. अच्छे और सकारात्मक दोस्तों के साथ अधिक रहे।

8. नियमित योग एवं ध्यान लगाने कि प्रक्रिया को अपनाये। इससे आपका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनेगा।

9. सदा हंसते मुस्कुराते हुए अपनी जिंदगी बिताये।


 Question 7. मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाला छात्र हूं। पिछले वर्षों मुझे कई परीक्षाओं में असफलता का सामना करना पड़ा है. अब मेरा तैयारी का मन नहीं करता और मेरी सोच भी नकारात्मक हो गई है. मुझे क्या करना चाहिए उचित मार्गदर्शन करें..?

उत्तर -- असफलताओं के बाद भी खुद को प्रेरणा ( motivation ) देकर प्रेरित रहना और आगे बढ़ाना बहुत जरूरी होता है। बहुत से सफल लोगों ने अपने जीवन की शुरुआत में असफलताओं का सामना किया है। हमारे देश के सबसे बड़े नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने युवा अवस्था में चाय बेची है। महान कलाकार अमिताभ बच्चन अपने शुरुआती वर्षों में लगातार असफल होते रहे। असफलताओं को हमेशा सकारात्मक रूप में लेना चाहिए, क्योंकि यह सफलता ही सफलता का मार्ग खोलती हैं। इसलिए आप पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ते रहें। मैं आपको कुछ सुझाव दे रहा हूं हो सके तो इन पर अमल करें --


1. यह जानने की कोशिश करें कि आपकी असफलता में गलती कहां हुई है। परीक्षा की तैयारी से लेकर पेपर देने तक की प्रक्रिया का पूरा विश्लेषण करें और सही कारणों की पहचान करें। और उन्हें ठीक करने का प्रयास करें।

2. आप जिस भी एग्जाम को क्लियर नहीं कर पा रहे हैं उस एग्जाम के समानांतर या उससे संबंधित अन्य कोर्सेज या परीक्षाओं के बारे में विचार कर सकते हैं। करियर काउंसलर की मदद भी ले सकते हैं। हो सकता है आपको उस एग्जाम से संबंधित अन्य क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त हो।

3. युवाओं को शिक्षा, रोजगार और स्किल डेवलपमेंट के लिए भारत सरकार कई योजनाएं चलाती है आप इनका लाभ उठा सकते हैं। इनमें आपको खर्च भी नहीं उठाना पड़ेगा।

4. अगर आप अनुभव रखते हैं तो अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने पर विचार कर सकते हैं। सरकार इन कार्यों में भी मदद करती है।

5. फ्रीलांसिंग या फिर ऑनलाइन जॉब में ट्राई करके आप अपनी स्किल्स को आजमा सकते हैं।

6. जब तक आपको अच्छा जॉब नहीं मिले या व्यवसाय सेट नहीं हो तब तक आप ऑनलाइन कोर्सेज या सर्टिफिकेट कोर्सेज में दाखिला लेकर अपने आप को मजबूत करते रहें। ताकि नए करियर विकल्प भी ओपन हो जाएं।

7. किसी विशेष क्षेत्र में करियर बनाने से पहले इंटर्नशिप एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इससे आपको वास्तविक अनुभव मिलेगा और आप उसे क्षेत्र में अपनी समझ बढ़ा सकेंगे।

8. अपने आत्मविश्वास को कमजोर न होने दें और सोच को हमेशा सकारात्मक रखें।

9. सफल और कामयाब लोगों के संपर्क में रहे। इससे आपकी नकारात्मक सोच दूर होगी।

10. स्वयं को बेहतर बनाने के लिए कुछ अलग तरह के कार्य भी करते रहें इंस्पिरेशनल बुक ( प्रेरणादायक दायक ) चीजों का अध्ययन करते रहें.

11. विभिन्न वर्कशॉप एवं सेमिनार में भाग लें इससे आपकी एक्स्ट्रा गतिविधियां शुरू होगी और आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा एवं मन में खुशी प्राप्त होगी।

12. अपने सोचने के तरीके को बदलने का प्रयास करें।

13. एक बात को अच्छी तरह समझ लें और ध्यान रखें की "अ सफलता ही सफलता की कुंजी है।" असफलता से घबराने के बजाय उसको एक चुनौती के रूप में स्वीकार करें.

14. अपने असफलता के कारणों का पता लगाये और उन्हें दूर करने का प्रयास करें।

15. ऐसे लोगों से प्रेरणा ग्रहण करें जिन्होंने अपने जीवन में संघर्ष किया है और विपरीत हालातो में सफलता प्राप्त की है।

16. अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।अच्छा पौष्टिक भोजन करें। व्यायाम और एक्सरसाइज करें। अपने परिवार के साथ खुश रहें।

17. सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ अपना जीवन जीए।  अपनी जिंदगी को हंसते मुस्कुराते हुए गुजारें।





ब्लॉग -- प्रेरणा डायरी (www.prernadayari.com ) 

Website -- prernadayari.com

राइटर -- kedar lal 



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