कैसे सुरक्षित रखें छात्र अपना डेटा ..? प्रश्नोत्तरी पोस्ट।



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प्रेरणा डायरी।
हिंडौन - करौली, राजस्थान।

   
         प्रेरणा डायरी ब्लॉग -- "सफलता की महक"


नमस्कार दोस्तों।

प्रेरणा डायरी की एक और बेहतरीन पोस्ट में आपका स्वागत है। दोस्तों आप सभी जानते हैं कि सोशल मीडिया का इस जमाने में कितना महत्व है। अतः यह जाहिर सी बात है कि हर व्यक्ति अपना सोशल मीडिया अकाउंट रखता है। उसके लिए यह जरूरी भी है, क्योंकि यह आज के जमाने में दुनिया से जुड़े रहने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन गया है। लेकिन आप सबको सतर्क रहने की जरूरत है, और ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि आजकल सोशल मीडिया पर फर्जीवाड़ा हो रहा है, जिसका हमें पता ही नहीं चल पाता। किस तरह कि और क्या क्या जालसाजी हो रही है, इसको मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूँ। प्रस्नोत्तर के रूप में। आप सभी दोस्तों और छात्रों से अनुरोध करता हूँ कि सोशल मीडिया एक्टिव तो रहे, पर सतर्क भी रहे। सावधान रहे। और अनचाही प्रॉब्लम से बचें। आप भी जानते हैं कि हर सवाल का जवाब देना संभव नहीं लेकिन मैं यहां उन सवालों को शामिल कर रहा हूं जो हम में से अधिकतर लोगों के होते हैं। तो आइये इस पोस्ट में आगे बढ़ते हैं और जानकारी प्राप्त करते हैं कि कैसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट को सुरक्षित रखें। यह पोस्ट आपके प्रश्न - उत्तर के रूप में पढ़ने को मिल रही है --

प्रश्न - 1. अपने ऑनलाइन डाटा को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं...?
उत्तर -  दोस्तों अपने डेटा को सुरक्षित रखने के लिए सबसे पहला कार्य आप यह करें कि अपना एक मजबूत और यूनिक पासवर्ड बनाएं। ऐसा पासवर्ड बनाने से बच्चे जो सरल हो और अनुमान लगाने योग्य हो। अगर मुश्किल पासवर्ड को याद रखने में आपको समस्या आती है तो आप अपने पासवर्ड को अपनी नोटबुक में दर्ज करके रख सकते हैं। अपना पासवर्ड बनाते समय संख्याओं, बीच-बीच में अंग्रेजी के अक्षरों, छोटे बड़े अक्षरों का प्रयोग करके आप ऐसा पासवर्ड विकसित कर सकते हैं जिसका अनुमान लगाना बेहद कठिन हो सकता है। अपने पासवर्डों को हमेशा सुरक्षित रखें और किसी के साथ शेयर ना करें। आप यदि अपने पासवर्ड को भूल जाते हैं और उन्हें सुरक्षित रखना चाहते हैं तो इसके लिए आप एक पासवर्ड मैनेजर का उपयोग कर सकते हैं। और तू और दो कारक पहचान का उपयोग करें। आजकल सोशल मीडिया पर फिशिंग बहुत हो रही है इससे सावधान रहते हुए संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें। अज्ञात मैसेज भेजने वाली प्रेषकों से अटैचमेंट ने रखें। अपने एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट करते रहें। ताकि कोई अवैध वायरस आपके डाटा को डिस्टर्ब ना कर सके। अपनी पर्सनल डाटा को सुरक्षित रखें। डाटा सुरक्षित रखने के लिए कई तरह के टूलों  का इस्तेमाल होता है, आप भी किसी टूल का इस्तेमाल करना चाहे तो कर सकते हैं। अपने डेटा को सुरक्षित रखने के लिए यह कुछ महत्वपूर्ण सुझाव थे जो मैंने आपको बताएं हैं, यदि आप इतना भी कर लेते हैं तो आपका सोशल मीडिया उत्तर निश्चित रूप से सुरक्षित रहेगा। और आप अनचाही सोशल मीडिया समस्याओं से मुक्त रह सकते हैं। 

 Question - 2. डेटा सुरक्षा क्या है और यह महत्वपूर्ण क्यों है..?
 उत्तर -- डेटा सुरक्षा से तात्पर्य डाटा को उसके पूरे जीवन चक्र में अनादिकृत पहुंच, चोरी,  और भ्रष्टाचार से बचाने के लिए किए गए उपायों से है। इस प्रक्रिया में संग्रहित और ट्रांसिट दोनों तरह के दाता की सुरक्षा शामिल होती है। डेटा सुरक्षा हमारे लिए बड़ी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इसमें व्यक्तिगत जानकारियां होती हैं जैसे हमारे वित्तीय विवरण, हमारा मेडिकल रिकॉर्ड, प्रोफाइल, और बहुत सारी पर्सनल डिटेल यहां पर मौजूद होती है। हमारी यह सभी महत्वपूर्ण डाटा सीकर होना चाहिए यदि यह सीकर नहीं होगा तो साइबर अपराधियों के हाथ लग जाएगा। और इसका कुछ भी गलत इस्तेमाल होना संभव है। इसलिए डाटा सुरक्षा हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है।

Question 3. क्लाउड सुरक्षा कैसे काम करती हैं...?


उत्तर - क्लाउड सुरक्षा का तात्पर्य है आपके ऑनलाइन डाटा और सिस्टम की सुरक्षा इसी सुरक्षित रखने के लिए कुछ नियम और प्रक्रियाएं अपना ही जाती हैं तथा टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है। इसमें डाटा को कोड में बदलकर सुरक्षित रखना, ताकि बिना सही पासवर्ड के उसे और कोई ना पढ़ सके। इसमें सभी लोगों को ही दाता तक पहुंचने देना और कंप्यूटर नेटवर्क को सुरक्षित रखने के लिए फायरवॉल का उपयोग करना शामिल है। इसके अलावा सिस्टम पर नजर रखने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि को रोकने के लिए सुरक्षा जांच की जाती है।

Question -3 डिप् फेंक क्या है और कैसे इसका दुरूपयोग हो रहा है...? 

: इन दिनों गीप फेक को लेकर लगातार अखबार ओर टीवी-इंटरनेट पर खबरें प्रयारित हो रही हैं। यह डीप फेक क्या है ओर कैसे इसका कैसे दुरुपयोग हो रहा है? डीप फेक एआइ यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक ऐसी तकनीक है जिसमें मशीन लर्निंग के इस्तेमाल से रियल दिखने वाले फेक वीडियो और ऑडियो तैयार किए जा सकते हैं। साधारण शब्दों में यह तकनीक का दुरुपयोग है जिसे क्रिमिनल या साइबर अपराधी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करने लगे हैं। इससे सतर्क रहने की जरूरत है। शायद आपको लगे कि यह किसी नए तरह का अपराध है। मगर वास्तव में यह काफी लंबे समय से हो रहा है। मोटे तौर पर पिछले 7 से 8 साल पहले से दुनियाभर में इस तरह के अपराध सामने आते रहे हैं लेकिन आज के दौर में सोशल मीडिया कनेक्टिविटी के कारण अब इस तरह की खबरें आम जनता तक तेजी से फैल जाती हैं जिसकी वजह से साइबर अपराध का ये तरीका चर्चा का विषय बन चुका है। 

Question -5.  कैसे किये जाते है डीप फेक अपराध..?

सके माध्यम से भ्रामक जानकारी तैयार की जाती है, जो 
दिखने में साधारण वीडियो की तरह नजर आती है। मगर वह एडिटेड वीडियो होता है। उसमें एडिटिंग इस हद तक की जाती है कि आम इंसान उसे ही ओरिजनल मान लेता है। यहां तक कि इसमें जो सॉफ्टवेयर और तकनीक इस्तेमाल की जाती है उनमें भी इन फेक वीडियोज को इतनी बार फिल्टर किया जाता है कि खुद सॉफ्टवेयर भी फेक वीडियो को पहचान नहीं पाता है। फाइनल टेस्ट में उसे भी ओरिजिनल ही मान लिया जाता है। इसके माध्यम से फेक न्यूज बड़े पैमाने पर फैलाई जाती हैं। सोशल मीडिया में हालांकि इन्हें डिटेक्ट करने के लिए सुरक्षा फिल्टर लगे होते हैं। फिर भी बड़ी मात्रा में इस तरह के कंटेंट को इंटरनेट पर अपलोड और वायरल किया जा रहा है। मानहानि यानी बदनाम करना भी एक मुख्य तरीका है जिसमें सेक्सटॉर्शन यानी अश्लील कंटेंट बनाकर वायरल करने की धमकी देकर पैसे वसूलना भी शामिल है। 
सोशल मीडिया पर मीम्स साझा करना, ट्रोल करना आदि शातजाबाऋ गजिखिशियों मो श्राताशी अंजाग टेते हैं। 


Question 6. डीप फेक से कैसे सुरक्षीत रहें..?

अनजान लोगों, सोशल मीडिया, वॉट्सऐप ग्रुप आदि में अपनी एवं परिजनों की वस्वीर-साझा करने से बच्चे। “ अपना सोशल मीडिया अकाउंट लॉक (प्राइवेट अकाउंट) रखें। अनजान लोगों को या फेक आइटी को सोशल मीडिया पर जोड़ने से बचें। जिन अकाउंट पर कोई सामान्य गतिविधि या संबंधित जानकारी न दिखे, उन्हें अनफ्रेंड कर दें। किसी अन्य व्यक्ति या परिचित का ऐसा कोई कंटेंट आपको प्राप्त हो तो उसे एकदम से सही न मानें। उस व्यक्ति को सूचित करें एवं गोपनीयता वनाए रखते हुए कानूनी सहायता लें, पुलिस में शिकायत करें। यदि कोई इस अपराध का शिकार होता है तो उनसे असामान्य व्यवहार न करें। न ही उन्हें समाज से अलग-थलग करें। ऐसे समय में उस व्यक्ति को आपके सहयोग और आत्मीयता की आवश्यकता होती है। उनका साथ दें एवं बाकी सभी को भी सकारात्मक व्यवहार रखने क्रेलिए कहें। अनजान व्यक्ति यदि आपको इस तरह का कोई कंटेंट भेजकर डराने धमकाने का प्रयास करे तो घवराएं नहीं। ' अपने परिवार को सूचित करें। बेहतर गाइडेंस एवं सुरक्षा के लिए साइबर एक्सपर्ट से संपर्क करें। नजदीकी थाने में रिपोर्ट करें। एविडेंस संभालकर रखें। फिरोती में मांगी गई रकम न बेजे। ऑनलाइन शिकायत  www.cybercrime.gov.in पर कर सकते हैं। 



Question 7.  क्या होती है सिम क्लोनिग...? 

:--  सिम क्लोनिग एक ऐसी तकनीक है, जिसमे किसी की सिम की एक कॉपी जनरेट की जा सकती है। एक बार इसे जनरेट करने के बाद हैकर्स, यूजर का मोबाइल नंबर एवं सिम की सर्विसेज को किसी दूसरी डिवाइज पर इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। यदि किसी यूजर की सिम क्लोन हो जाए तो मोबाइल नंबर पर उपलब्ध सुरक्षा उपायों का सीधा दुरुपयोग हो सकता है। कप के कॉल्स और एसएमएस आदि की जानकारी हैकर्स कर सकते हैं। 


Question - कैसे होतीं हैं सिम क्लोनिग, और इससे कैसे बचा जा सकता है..? 

:-- सिम  क्लोनिंग की कई तकनीकें हैं, जिसमें सबसे ज्यादा आम सिम बकलोनिंग हार्डबेयर एवं सिम डुप्लीकेटर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल शामिल है। इससे सुरक्षित रहने की बात करें तो आप अपनी सिम को पीयूके (पर्सनल अनब्लॉकिंग की) से लॉक करें। इस पिन को गुप्त रखें। यह पिन आपको , अपनी सिम कार्ड पर या इसके पैकेज पर मिल जाएगी। यदि किसी कारण से आपको अपना पीयूके नहीं पता तो अपने टेलीकॉम ऑपरेटर के ऑफिशियल ऐप में लॉगिन कर अथवा ऑफिशियल वेबसाइट में लॉगिन कर प्राप्त कर सकते हैं। आपकी सिम से जुड़े कुछ नंबर होते हैं, जैसे आइएमएसआइ आदि। इन्हें किसी से भी साझा न करें। सिम गुम होने अथवा लंबे समय से रिचार्ज न करने के कारण यदि बंद हो चुकी हो तो टेलीकॉम ऑपरेटर को उस नंबर को दोबारा शुरू करने अथवा डिएक्टिवेट करने को कहें। गूगल से कभी कस्टमर केयर का नंबर सर्च न करें। पुराने ओटीपी डिलीट करें एवं आगे भी जितने ओटीपी आपके पास भविष्य में आएं उन्हें इस्तेमाल के बाद तुरंत डिलीट करें। अपना मोबाइल किसी भी व्यक्ति को देने से बचें। अपने मोबाइल नंबर के साथ रजिस्टर्ड ईमेल का पासवर्ड हमेशा याद रखें एवं कम से कम महीने में एक बार उसका पासवर्ड जरूर बदलें। हमेशा स्ट्रॉन्ग पासवर्ड का इस्तेमाल करें, जिसमें नंबर, स्पेशल कैरेक्टर और कैपिटल, स्मॉल अल्फाबेट्स शामिल हों। पासवर्ड को बेहतर सुरक्षा के लिए कम से कम 15 डिजिट का बनाएं। ई सिम स्वयं जनरेट करें या अपने टेलीकॉम ऑपरेटर से ऑफिशियल ऐप या वेबसाइट अथवा नजदीकी टेलीकॉम स्टोर में संपर्क करें। 


 ब्लॉग नाम -  प्रेरणा डायरी। 
 केदार लाल - चीफ एडिटर प्रेरणा डायरी ब्लॉग 
Website     -  www.prernadayri.com

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