नजरिया बदलो, तो बदल जायेंगे नजारे....।



प्रेरणा डायरी। 

21 जून 2023 (संशोधन - 21 जून 2024

अद्यतन - 17 फरवरी 2025


 नज़रिया बदलो, तो बदल जायेंगे नज़ारे।


 दोस्तों, प्रेरणा डायरी (ब्लॉग) की आज की पोस्ट में एक बड़े ही खास मुद्दे/टॉपिक पर चर्चा करने वाले है। ओर वो टॉपिक है नज़रिया (रवैया / दृष्टिकोण ) हमारी जिन्दगी का सारा दारोमदार इसी बात पर टिका है कि, "जीवन को देखने का हमारा नजरिया कैसा है। अगर आपका नजरिया अच्छा है, तो निश्चित रूप से मान कर चलिए कि आप प्रेरणा उत्पन्न करने वाले और कामयाबी अर्जित करने वाले इंसान साबित होंगें। मेरा हमेशा से  मानना है कि, -"जैसा हम देखते हैं वैसा ही हम बन जाते हैं, जैसी हमारी सोच होती है, वैसा ही हमारा विकास होता है।" नजरिया किसी चीज को देखने का तरीका और किसी भी विषय तथा मुद्दे पर विचार प्रकट करने का ढंग होता है। नजरिया ही एक इंसान के व्यक्तित्व का निर्धारण करता है। नजरिया घटनाओ के प्रति हमारा दृष्टिकोण है।  

आज अंग्रेजी का एटिट्यूड शब्द (नजारिया) सबसे महत्वपूर्ण लफ्ज बन गया है। जिस के हर निर्देशित की झलक अच्छी लगती है, पढ़ाई और सफलता के लिए तो नजरिया बहुत कीमती चीज है। बेहतर नज़रिये के अभाव में आप जीवन में ना अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे, और ना ही सच्ची सफलता। एक व्यक्ति की निजी और व्यावसायिक जिंदगी पर भी नजरिया  बड़ा असर डालता है। सही भी है...चलिए मैं आपसे ही पूछता  हूँ कि "क्या कोई इंसान बेहतर नजरिए के बिना अच्छा इंसान बन सकता है..? क्या कोई अनोखी झलकियां बिना किसी उपलब्धि के हासिल कर सकती हैं....? क्या माँ-बाप, शिक्षक, सेल्समैन, मालिक या कर्मचारी अच्छे नज़रिये के बिना अपना किरदार (भूमिका) अच्छे तरह से निभा सकते हैं....?  हमारा छेत्र चाहे जो हो, पर हम कामयाबी हासिल करना चाहते हैं तो, इसकी बुनियाद नजरिया ही है। अब सवाल यह है कि-" कामयाब होने के लिए नजरिया की इतनी अहमियत है, तो क्या हमें जिंदगी के बारे में अपने नजरिए की जांच परख नहीं करनी चाहिए...? और हमें खुद से यह सवाल क्यों नहीं करना चाहिए कि हमारा नजरिया कैसा हमारी मकसद पर असर डालता है..? 

  
         प्रेरणा डायरी ब्लॉग --"सफलता की और कदम"

     


मेरा तो शुरू से यही मत है, और हो सकता है आप भी इस चीज़ से वाक़िफ़ हो कि "हमारी जिंदगी में अहम चीज़, हमारी विशेषज्ञ विशेषज्ञ है।" हमारी वैराइटी स्पेशलिटी की वजह से ही हमारा नजरिया बनता है, और हमारा नजरिया ही हमे ऊपर उठाता है। हावर्ड यूनिवर्सिटी के विलियम जेम्स ( William james ) का कहना है कि हमारी पीढ़ी की सबसे बड़ी खोज यह है कि इंसान अपना नजरिया बदलकर अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकता है।  नज़रिये के जरिए आप दूसरों के लिए प्रेरणा और रोल मॉडल बन सकते हो। आप एक आदर्श बन सकते हैं।

 इसीलिए नज़रिये बारे में यह यह वक्तव्य बड़ा फेमस हुआ " नजरिया बदल लो तो जिंदगी के नजारे ही बदल जायगे,  अब हम पोस्ट में आगे बढ़े, और मैं नजर यह से जुड़ी और पहलुओं की व्याख्या करूं  उससे पहले, मैं आपको एक छोटी सी कहानी पढ़ता हूँ,.. आइये पढ़ते है 


 नज़रिये से जुड़ी एक रोचक कहानी --


 दीनानाथ एक किसान था, और वह अपनी जिंदगी से खुश और संतुष्ट था। "दीनानाथ खुश इसलिए था क्योकि वह संतुष्ट था। और वह संतुष्ट इसलिए था, क्योंकि वह खुश था।" एक दिन एक अकलमंद आदमी उसके पास आया और उसने दीनानाथ को हीरो के महत्व और उनसे जुड़ी ताकत के बारे में बताया। उसने दीनानाथ से कहा कि अगर तुम्हारे पास अंगूठी जितना भी बड़ा हीरा हो तो तुम पूरा शहर खरीद सकते हो, और तुम्हारे पास उससे थोड़ा बड़ा हीरा हो तो तुम अपने लिए शायद पूरा देश ही खरीद लो। " वह अकलमंद आदमी इतना कहकर चला गया उसे रात दीनानाथ सो नहीं सका वह असंतुष्ट हो चुका था इसलिए उसकी खुशी भी खत्म हो चुकी थी।

 दूसरे दिन सुबह ही ऐसा होता है कि दीनानाथ ने अपने मालिक को बेच दिया और अपने परिवार की देखभाल का सॉसेज और ज़ायर के लिए फिर से तैयार हो गए और पूरे देश में हीरो की तलाश में भटकते हुए कई राज्यों में घूमते रहे। वह हीरो की तलाश में मानसिक और आर्थिक स्तर पर भटकते हुए पूरी तरह से टूट गया था और उसे इतना मोह हो गया था कि वह एक नदी में छलांग लगाकर साथी कर ली।

 इधर जिस आदमी ने दीनानाथ के खेत खरीदे थे वह एक दिन उन खेतों से होकर बहने वाली नाले में अपने ऊंट को पानी पिला रहा था। सुबह का वक्त था, उगते हुए सूरज की किरणें नाले के पास पड़े एक पत्थर पर पड़ रही थी। वह पत्थर इंद्रधनुष की तरह चमक रहा था। वह आदमी यह बात सोच कर की यह पत्थर उसकी बैठक में बहुत अच्छा दिखेगा उसे उठा लाया और अपनी बैठक में सजा दिया। कुछ दिन बाद दीनानाथ को हीरो के बारे में बताने वाला आदमी खेतों के इस नए मालिक के पास आया। उसने उसे जगमगाते हुए पत्थर को देखकर पूछा कि, "क्या दीनानाथ लौट आया है..? नई मलिक ने जवाब दिया...नहीं, " लेकिन आपने यह सवाल क्यों पूछा..? अक्रमंद आदमी ने जवाब दिया क्योंकि यह हीरा है और मैं हीरे को देखते ही पहचान जाता हूं। नए मालिक ने कहा नहीं.. "यह हीरा नहीं, यह तो महज एक पत्थर है। मैंने इसे अपने खेतों के नाले के पास से उठाया है । आइये मैं आपको और भी दिखाता हूं। वहां पर ऐसे बहुत सारे पत्थर पड़े हैं। उन्होंने वहां से नमूने के तौर पर बहुत सारे पत्थर एकत्रित किया और उन्हें जचने पर रखने के लिए भेज दिया। जांच परख होने के बाद वह पत्थर हीरे ही साबित हुए। उन्हें पता चला कि उसे खेत में दूर-दूर तक हीरे दबे हुए थे।

 इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है..? इस कहानी से हमें कई रोचक सिख मिलती है.. आईए जानते हैं उनको -

--- जब हमारा नजरिया सही होता है, तो हमें महसूस होता है कि हम हीरो से भरी हुई जमीन पर चल रहे हैं। मौके हमेशा हमारे पांव तले दबे हुए रहते हैं। हमें उनकी तलाश में कहीं जाने की जरूरत नहीं होती। हमें केवल उनकी पहचान करनी होती है।

-- दूसरे के खेत की घास हमेशा हरि लगती है। ठीक वैसे ही जैसे दूसरे की थाली में रखे पकवान हमेशा अच्छे लगते हैं।

-- हम दूसरों के पास मौजूद चीजों को देखकर ललचाते रहते हैं। इसी तरह दूसरे हमारे पास मौजूद चीजों को देखकर ललचाते हैं। ऐसी लोगों को उनकी अदला- बदली करने का मौका हासिल करके खुशी होती है।

-- जिन्हें मोको की पहचान करना नहीं आता वह जिंदगी में ऐसे ही भटकते रहते हैं।

-- लोग जब मौका आता है तो उसकी अहमियत नहीं समझते और जब मौका जाने लगता है, तो उसके पीछे भागते हैं।

-- इंसान को जिंदगी में बार-बार मौके नहीं मिलते दूसरा मौका पहले वाले मौके से बेहतर हो यह जरूरी नहीं है, वह बदत्तर भी हो सकता है। इसलिए सही वक्त पर सही नजरिया के साथ फैसला लेना बेहद जरूरी होता है गलत वक्त पर लिया गया सही फैसला भी गलत बन जाता है।

 नजरिये को लेकर मैं एक और बहुत ही फेमस कहानी आपको सुनाता हूं --

" आप सभी ने बाइबल की एक कहानी पढ़ी होगी अगर नहीं पड़ी है तो मैं आपको सुना देता हूं भाई बिल में डेविड और गोलियों की कहानी बड़ी फेमस है। गोलियान एक राक्षस था। हर आदमी की दिल में उसकी दहशत थी। एक दिन 17 साल का एक भीड़ चढ़ने वाला लड़का अपने भाइयों से मिलने उसे इलाके में आया। जब उसने राक्षस वाली बात सुनी तो उसने अपने भाइयों और वहां के लोगों से पूछा, "कि आप उसे राक्षस से लड़ते क्यों नहीं हो..? तो लोगों ने जवाब दिया, "कि तुमने उसे देखा नहीं है, वह इतना बड़ा है कि उसे मार नहीं जा सकता..? डेविड ने जवाब दिया, "बात यह नहीं है कि बड़ा होने की वजह से उसे मार नहीं जा सकता, बल्कि हकीकत यह है कि वह इतना बड़ा है कि उस पर लगाया गया निशाना चूक ही नहीं सकता.।" उसके बाद जो हुआ वह सब को मालूम है। कुछ ही सोनू में उसे रक्षा का दर्दनाक अंत कर दिया। बल्कि छोटे-छोटे गुलेल जैसे हथियारों से उसे मार डाला। दोस्तों रक्षा वही था लेकिन डेविड का उसके बारे में नजरिया अलग था। डेविड की इसी नजरिए की वजह से इतनी बड़ी समस्या का कुछ इस क्षणों में समाधान निकल गया। अब आपको भी समझ में आ रहा होगा कि आखिर नजरिया इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है..?

 दरअसल हम कामयाबी को कैसे देखते हैं यह हमारे नजरिए से तय होता है। आशावादी सोच वाले आदमी के लिए नजरिया कामयाबी की सीडी बन जाता है। दूसरी ओर निराशावादी सोच के आदमी के लिए यह रास्ते "राह का रोड़ा बन जाते हैं"। थिंक एंड ग्रो रिच ओर के न किताबों के लेखक नेपोलियन हिल का कहना है कि " हर समस्या अपने साथ अपनी बराबर का या अपने से भी बड़ा अवसर साथ लाती है।" अगर आप छात्र कर्मचारी या व्यापारी है तो इस बात को अपने लिए एक बहुत बड़ी सीख मानकर, अपनी नजरिया को सुधारने का प्रयास करें।


 नजारे बदल देता है नजरिया....



 क्या आपको कभी इस बात पर हैरानी हुई है कि कुछ लोग कुछ छात्र या कुछ देश दूसरों के मुकाबले इतने अधिक कामयाब क्यों हो जाते हैं..? क्या इसमें कोई राज छुपा है..?  जी नहीं, इसमें कोई राज नहीं छुपा है। वे इसलिए कामयाब होते हैं क्योंकि वह दूसरों के मुकाबले अधिक असरदार ढंग से अपने नज़रिये का इस्तेमाल करते है और बेहतर ढंग से सोचते हैं। अगर हम छात्रों से हटकर कारपोरेशन के बारे में बात करते हैं, तुम्हें आपको बताना चाहता हूं कि मैंने कई वर्षों तक कुछ बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया है। मैं वहां पर आल्हा अधिकारियों से पूछता था कि अगर आपको कोई जादू की छड़ी मिल जाए और आप कोई एक चीज बदलना चाहे, जिससे आपको तरक्की मिल जाए, और उत्पादन भी बढ़ जाए, तो आप किस चीज को बदलना चाहेंगे...? तो अधिकतर का कहना यही होता था कि वह नजरिया बदलना चाहेंगे..। क्योंकि नजरिया बेहतर होने पर लोगों में टीम भावना बढ़ती है बर्बादी कम होती है और वह ज्यादा वफादार हो जाते हैं कुल मिलाकर उनकी कंपनी में काम करने का बेहतर माहौल बन जाता है।


 सारी खूबियां वाले लोग....( TQP )


 मैं अक्सर छात्र कर्मचारी और व्यापारी सभी से TQP ( टोटल क्वालिटी पीपल ) बनने की मंशा जाहिर करता हूं। टोटल क्वालिटी पीपल यानी सारी खूबियां से भर लोग यानी वे लोग जो अच्छा चरित्र रखते हैं ईमानदार भी हैं नैतिक और सकारात्मक नजरिया रखते हैं। मुझे गलत ने समझे आजकल एक दो खूबियों से कई बार काम नहीं चलता है। हम तभी सफल होंगे जब हमारी नई सही होगी। और यह नया है टीक्यू पी। मैं कई बार अपनी खुद के बच्चों को प्लीज थैंक यू कहना और मुस्कुराना तथा हाथ मिलाना सिखाता हूं। लेकिन किसी आदमी में सेवा करने का जज्बा ही नहीं हो तो वह कब तक मुस्कुरा सकता है..? इसके अलावा लोग नकली मुस्कान को पहचान जाते हैं और अगर मुस्कान सच्ची ने हो तो उसे देखकर चिढ़ पैदा होती है। मेरा मानना है की असलियत को दिखाए पर हावी होना चाहिए, न की दिखावे को असलियत पर। यह बातें बड़ी महत्वपूर्ण है। लेकिन याद रखें कि अगर मन में सेवा करने की भावना है तो आम जिंदगी में बातें खुद पर खुद आसानी से शामिल हो जाती हैं।

 एक बार एक आदमी मशहूर फ्रांसीसी दार्शनिक विलेज पास्कल शिमला और उनसे कहा, "अगर मेरे पास आपके जैसा दिमाग हो तो मैं बेहतर इंसान बन सकता हूं।" इस पर पास करने जवाब दिया - "बेहतर इंसान बनो तुम्हारा दिमाग खुद दे खुद मेरे जैसा हो जाएगा।" आप छात्र हूं कोई संगठन हो या आप व्यापारी हो। आपको तनख्वाह से मापन गलत है। आपको मापने का सही नजरिया है भावना आपसी संबंध और भाईचारा ईमानदारी। भूगोल भीतर और वैज्ञानिक कहते हैं कि हिमालय की एवरेस्ट की ऊंचाई है 8848 मीटर है… उनका मानना है कि इससे कहीं अधिक हिमालय की जमीन के अंदर गहरी जडे हैं। जिनके सहारे हुए टिका है। इससे जाहिर होता है कि ऊंचा और भाव दिखने वाले कई पर्वत और इमारत की नई काफी मजबूत होती है जिस तरह किसी भव्य इमारत की टिकी रहने के लिए उसकी न्यू मजबूत होनी चाहिए इस तरह कामयाबी के टिके रहने के लिए भी मजबूत बुनियाद की जरूरत होती है और कामयाबी की बुनियाद होती है नजरिया।

 संपूर्णतावादी नजरिया...

 इसे हॉलिस्टिक अप्रोच भी कहते हैं। मैं संपूर्णतावादी नजरिया में यकीन रखता हूं। हम केवल हाथ, पांव, आंख कान,दिल और दिमाग नहीं बल्कि एक संपूर्ण इंसान है। हम जब काम करते हैं तो एक पूरा आदमी काम करता है। घर की परेशानियां हमारे कामकाज और कामकाज से जुड़ी परेशानियां हमारी पारिवारिक जिंदगी पर असर डालते हैं। पारिवारिक समस्याओं की वजह से तनाव का शिकार होने पर हमारी प्रोडक्टिविटी घट जाती है। इसी तरह कामका से जुड़ी परेशानियां ने केवल हमारे परिवार बल्कि हमारी जिंदगी के हर पहलू पर असर डालते हैं 


नजरिए को तय करने वाले कारक....

         

             प्रेरणा डायरी ब्लॉग  --  "छोटी सी आशा"


चलिए मैं आपसे कुछ सवाल पूछता हूं -मसलन...

1. क्या हम नजरी के साथ ही जन्म लेते हैं या उसे बड़ा होने पर विकसित करते हैं..?

2. हमारा नजरिया किन चीजों से बनता है..?

3. अगर माहौल की वजह से जिंदगी के प्रति हमारा नजरिया नकारात्मक हो जाए तो क्या हम उसे बदल सकते हैं..?

 दरअसल हमारे नजरिया का ज्यादातर हिस्सा हमारी जिंदगी की शुरुआती सालों में ही बन जाता है। यह सच है कि हम अपने मिराज की कुछ खासियतों के साथ पैदा होते हैं लेकिन बाद में हमारा जो नजरिया बनता है उसे खास तौर से तीन चीज तय करती है -

1. माहौल (एनवायरनमेंट)

2. तजुर्बा (एक्सपीरियंस)

3. शिक्षा (एजुकेशन)

 मैं इन तीनों चीजों को मिलाकर 3 -E कह सकता हूं। आई अब हम इन तीनों पर नजर डालते हैं।

1. माहौल ( एनवायरनमेंट)

- घर -  अच्छा या बुरा असर।

- स्कूल  - साथियों का असर।

- वर्क पैलेस - साथ काम करने वाले लोगों का असर।

- मीडिया - टेलीविजन,अखबार,पत्रिकाएं ,रेडियो ,फिल्में।

- सांस्कृतिक पृष्ठभूमि

 - धार्मिक पृष्ठभूमि

 - परंपराएं और मान्यताएं

 - सामाजिक माहौल

 - राजनीतिक माहौल।

 ऊपर बताए गए सारे माहौल मिलकर हमारी तहजीब बनाते हैं। घर हो संस्था हो देश हो - हर जगह की अपनी एक तहजीब होती है। जैसे आप एक दुकान में जाते हैं तो वहां पर आप स्टोर के मालिक को मैनेजर को सेल्समैन को विनम्र मददगार दोस्ताना और खुश मिजाज पाते हैं। फिर आप दूसरी दुकान पर जाते हैं तो वहां काम करने वालों को रुखा और बदतमीज पाते हैं। अगर आप एक घर में जाते हैं तो वहां मां-बाप को और बच्चों को तमीज वाला मिलनसार और दूसरों का ख्याल रखने वाला पाते हैं जबकि दूसरे घर में जाते हैं तो देखते हैं कि वहां इंसान कुत्ते बिल्लियों की तरह लड़ झगड़ रहे हैं। जिन देशों की सरकार और राजनीतिक माहौल में ईमानदारी होती है वहां के लोग भी अपने इमानदार देखे होंगे कानून का पालन करने वाले और मददगार देखे होंगे। जिस तरह बेईमान और भ्रष्ट माहौल में एक ईमानदार आदमी का जीना मुश्किल हो जाता है इस तरह ईमानदारी से भरे माहौल में बेईमान व्यक्ति को बड़ी मुश्किल होती है। अच्छी माहौल में मामूली कर्मचारी भी काम करने की शक्ति बड़ा लेता है जबकि बुरे माहौल में अच्छा काम करने वाला भी काम करने की शक्ति खो देता है। हमें खुद यह सूचना चाहिए कि हमने खुद के लिए और अपने आसपास के लोगों के लिए कैसा माहौल तैयार किया है। बुरे माहौल में लोगों से अच्छे व्यवहार की आशा नहीं की जा सकती। हमें समय निकालकर इस बात पर गौर करना चाहिए कि हमारा माहौल हम पर कैसे असर डालता है और हम जो माहौल तैयार करते हैं, वह दूसरों पर कैसे असर डालता है।

2. तजुर्बा  (एक्सपीरियंस)

 अलग-अलग लोगों से मिलने वाले तजुर्बे के मुताबिक ही हमारा व्यवहार भी बदल जाता है। अगर किसी इंसान के साथ हमें अच्छा अनुभव मिलता है तो उसके बारे में हमारा नजरिया अच्छा होता है पर बुरा अनुभव मिलने पर हम सावधान हो जाते हैं। अनुभव और घटनाएं हमारी जिंदगी के संदर्भ बिंदु बन जाते हैं। हम उनसे नतीजे निकलते हैं जो भविष्य के लिए मार्गदर्शन की भूमिका निभाते हैं।


3. शिक्षा  (एजुकेशन)

 शिक्षा औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरह की होती है। आजकल हम लोग सूचनाओं के सागर में गोते लगाते रहते हैं लेकिन ज्ञान और समझदारी का अकाल पड़ा हुआ है। ज्ञान को योजना बंद ढंग से समझदारी में बदला जा सकता है और समझदारी हमें कामयाबी दिलाती है। ऐसे में शिक्षक की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है उसका प्रभाव अनंत काल तक रहता है इसकी असर भी अनगिनत हैं। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो हमें केवल रोजी-रोटी कमाना नहीं बल्कि जीने का तरीका भी सिखाए।

 सकारात्मक नजरिया वाले लोगों को कैसे पहचाने...

 अब मैं आपको एक बड़ी खास बात बताने जा रहा हूं। जिस तरह सेहत खराब में होने का मतलब अच्छी सेहत होना नहीं होता उसी तरह किसी इंसान के नकारात्मक ने होने का मतलब यह नहीं होता कि वह सकारात्मक है।

 सकारात्मक नजरिया वाले लोगों की शख्सियत में कुछ ऐसी खासियत होती है जिसकी वजह से उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। ऐसे लोग दूसरों का ख्याल रखने वाले आत्मविश्वास से भरे धीरज वाले विनम्र और खुश मिजाज होते हैं। यह लोग खुद से और दूसरों से काफी अच्छी और ऊंची उम्मीदें रखते हैं उन्हें अच्छे नतीजे हासिल होने की आशा रहती है।

 सकारात्मक नज़रिये के फायदे...

 सकारात्मक नजर की कई फायदे होते हैं इसे आसानी से देखा जा सकता है लेकिन आसानी से दिखाई देने वाली चीज को उतनी ही आसानी से अनदेखी भी कर दिया जाता है। सकारात्मक नजरिए के  निम्न फायदे हैं --

* सकारात्मक नजरिया वाले लोग तनाव मुक्त और खुश मिजाज प्रवृत्ति के होते हैं। 

* सकारात्मक नजरिया वाले लोगों की शख्सियत खुशनुमा होती है।

* सकारात्मक नजरिया वाले लोग जोशीले होते हैं।

* जिंदगी का आनंद लेने वाले होते हैं।

* सकारात्मक नजरिया वाले लोग अपने आसपास के लोगों को प्रेरणा देते हैं।

* यह समाज को अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

* ऐसे नजरिया वाले लोग राष्ट्र के लिए संपत्ति की भांति होते हैं।

* उनकी उत्पादकता बड़ी हुई होती है।

* अच्छे नजरिया वाले लोगों के अंदर टीम भावना देखी जाती है।

* यह समस्याओं को हल करने वाले लोग होते हैं।

* इस तरह की नजरिया वाले लोगों की गुणवता बढ़ जाती है।

* यह माहौल को अपने मुताबिक बना लेते हैं।

* इनके अंदर वफादारी पाई जाती है।

* यह बेहतर संबंधों के मालिक होते हैं।

 हम अपना नकारात्मक नजरिया बदल क्यों नहीं पाते....


 मैंने यह महसूस किया है, और अपनी जिंदगी में भी मैं इस बात का अनुभव किया है कि आमतौर पर इंसान का स्वभाव बदलाव विरोधी होता है। हमें बदलाव बड़ी तकलीफ देता है। बदलाव का नतीजा अच्छा हो, या बुरा, पर अक्सर इससे तनाव बढ़ता है। कई बार हम अपनी बुराइयों के साथ जीने के आदी हो जाते हैं। इन्हीं में हमें आराम और सुख महसूस होने लगता है। हम इसमें इतना आराम महसूस करते हैं की बेहतरीन के लिए होने वाले बदलावों को भी कबूल नहीं करना चाहते। इसीलिए हम कई बार बुरे बने रहना चाहते हैं।

 चार्ल्स डिकेंस ने एक ऐसे कैदी के बारे में लिखा जो सालों तक एक काल कोठरी में कैद रहा. सजा काट लेने के बाद उसे आजाद कर दिया गया। उसे काल कोठरी से जब बाहर खुली धूप में लाया गया तब उसे आदमी ने अपने चारों ओर देखा। कुछ देर में ही वह अपनी इस नई आजादी से परेशान हो गया और उसने वापस काल कोठरी में जाने की इच्छा जाहिर की। वह आजादी और खली दुनिया के बदलावों को कबूल करने के बजाय काल कोठरी और अंधेरे तथा हथकड़ियां में ही सुरक्षा और आराम महसूस कर रहा था, क्योंकि वह उनका आदि हो चुका था।

 हम देखते हैं कि इन दोनों भी कई कैदी ऐसा ही व्यवहार करते हैं। एक अनजाने संसार के साथ तालमेल कायम करने का तनाव वह बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसीलिए भी जानबूझकर और अपराध करते हैं, ताकि उन्हें वापस जेल भेज दिया जाए। वहां उनकी आजादी पर भले ही पाबंदी रहती हो लेकिन उन्हें अपने बारे में काम फैसले लेने पड़ते हैं।

 अगर हमारा नजरिया नकारात्मक है तो हमारी जिंदगी सीमा में कैद हो जाती है। ऐसे नकारात्मक नजरिए की वजह से हमको अपने काम में कामयाबी नहीं मिल पाती। हमारे दोस्तों की तादाद बहुत कम हो जाती है और हम जिंदगी का आनंद नहीं उठा पाते।


 इसे जरूर पढ़ें -- प्रेरणा डायरी  (ब्लॉग )        prernadayari.com  -- इसे पढ़कर यकीनन आपको लाभ मिलेगा। हालांकि इसे तैयार किया जा रहा है इसलिए इसकी कुछ पोस्टों में कमियां है। पर यह बेहतरीन है। 


अगर आप अपने  को सकारात्मक बनाना चाहते हैं, तो टालमटोल की आदतें छोड़ दें, और तुरंत काम करने पर अमल करना सीखें। और आज ही अपनी डिक्शनरी से ऐसे शब्दों को निकाल दे। ये जिंदगी में सबसे दुखद शब्द हैं --

"ऐसा  हो सकता था.

 “मुझे ऐसा करना चाहिए था।”

“मैं यह कर सकता था।” 

“काश ! मैंने ऐसा किया होता ।" 

"अगर मैं थोड़ा और प्रयास करता, तो यह काम हो सकता था"।

ये बेहद अजीब शब्द है l आप आज ही इन्हें अपने जीवन के शब्द कोस से बाहर का रास्ता दिखा दे l जो काम आप आज कर सकते हैं,  उसे कभी भी कल पर न टालें। आपकी सोच और नजरिया सकारात्मक बनेंगे। दोस्तों, अच्छा नज़रिया और  सकारात्मक  नज़रिया प्रेरित  ज़िन्दगी  के लिए अहम भूमिका अदा करते हैं l मूल रूप से अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करें 


 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर -

Question 1. नजरिए को और किन-किन नामों से जाना जाता है..?

उत्तर -  नजर ये को नजरिया,दृष्टिकोण,अभिवृत्ति, एटीट्यूड, रवैया आदि नामों से भी जानते है। जब हम मनोवैज्ञानिक विषय का अध्ययन करते हैं तो नज़रिये के लिए "अभिवृत्ति" शब्द का प्रयोग करते हैं। हम यह भी कह सकते हैं कि यह सभी शब्द जो मैंने आपको ऊपर बताए हैं ये "नज़रिया" के पर्यायवाची शब्द है।

Question 2. नजरिया क्या होता है.?

उत्तर - नजरिया किसी चीज को देखने का तरीका और किसी विषय या किसी भी मुद्दे और घटना पर विचार प्रकट करने का एक ढंग होता है। नज़रिये की मदद से ही हम अपने आस पास की दुनिया को, चीजों को और, परिस्थितियों को देखते हैं, समझते हैं, और उन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। नजरिया एक तरह से मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति है। हमारा नजरिया इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सकारात्मक नजरिये के जरिए ही व्यक्ति अपनी अच्छी पहचान, और अपने अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करता है। यदि एक व्यक्ति का नजरिया अच्छा होता है तो वह अपने जीवन में अच्छी सफलता और बेहतर कामयाबी हासिल कर पता है। अच्छे नजरिया वाले इंसान का जीवन खुशहाल होता है, तथा वह हर तरीके से समृद्ध व्यक्ति माना जाता है, इसीलिए कहा जाता है कि हमें अपना नजरिया हमेशा सकारात्मक रखना चाहिए। नर्सरी की माध्यम से ही हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है।

Question 3. नजरिये को कैसे बदलें..?

उत्तर - हम अपने नजरिए को कैसे बदले...?  इस सवाल का जवाब जानने से पहले आपके लिए यह जानना जरूरी है कि नजरिया आखिरकार बनता कैसे हैं। जब आपको यह पता चल जाएगा की नजरिया बंडा कैसे हैं तो फिर आपको इसके बदलने का तरीका जानना आसान हो जाएगा। दोस्तों, जब हमारे मन में, और हमारे दिमाग में, जो भी विचार चल रहे होते हैं और उन विचारो में से जो भी विचार हमारे मन को ठीक लग जाते हैं, तो फिर धीरे-धीरे वह विचार हमारी वृती बन जाते है। और इसी से हमारा नजरिया बनता है।

 आइये एक उदाहरण के माध्यम से इस बात को मैं आपको भली - भांति समझता हूं। मान लेते हैं कि किसी इंसान के बारे में अपने सुन रखा है कि वह बदमाश है। तो आप जब भी उस इंसान को देखते हैं तो आपके मन में उस व्यक्ति को लेकर एक विचार उत्पन्न होता है। एक दृष्टिकोण उत्पन्न होता है। हमारे मन में उत्पन्न होने वाला भी यह विचार और दृष्टिकोण ही हमारा नजरिया है।

 जहां तक सवाल है नजरिए को बदलने का... तुम नजर को बदलने के लिए सबसे पहले हमें अपने मां के भावों को बदलना पड़ता है अपने मां के विचारों को बदलना पड़ता है।

 इसके अलावा नजरिया बदलने का एक और आसान तरीका मैं आपको बताता हूं..-- अगर आप अपना नजरिया बदलना चाहते हैं तो अपना दृष्टिकोण बदल ले…। आप अपनी दृष्टि  बदल लें...। फिर धीरे-धीरे आपका नजरिया भी बदलने लगेगा।  

 

 


 ब्लॉग --प्रेरणा डायरी ब्लॉग 

वेबसाइट- prerndayari.com


   फोटो - केदार लाल - चीफ एडिटर प्रेरणा डायरी ब्लॉग।



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