एस्ट्रोनॉट बनकर अंतरिक्ष की दुनिया में भरे करियर की उड़ान।
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एस्ट्रोनॉट हम सामान्य करियर से जुड़ी बातों के लिए कई तरह के आर्टिकलों का अध्ययन करते रहते हैं। लेकिन एस्ट्रोनॉट एक नया और रिसर्च का क्षेत्र होने के कारण इसके बारे में अभी कम जानकारियां उपलब्ध है।आज के इस आर्टिकल में हम इसी नए मुद्दे पर चर्चा करेंगे कि आप में से अगर कुछ छात्र अंतरिक्ष में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं अंतरिक्ष में अपने करियर की चलांग लगाकर उड़ान भरना चाहते हैं तो इसके लिए आपको क्या योग्यता और क्या तैयारी की आवश्यकता होगी इसी सब मुद्दे पर चर्चा करेंगे।
1. क्या होता है एस्ट्रोनॉट..? :
एक अंतरिक्ष यात्री वह व्यक्ति होता है, जिसे अंतरिक्ष में उड़ान भरने के लिए गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। यह शब्द ग्रीक भाषा के 'एस्ट्रोन' (तारा) और 'नौटेस' (नाविक) से बना है, जिसका अर्थ है "तारा नाविक"। ये लोग अंतरिक्ष मिशनों के दौरान अंतरिक्ष यान के कमांडर या चालक दल के सदस्य के रूप में काम करते हैं।
अंतरिक्ष यात्रियों का मुख्य कार्य अंतरिक्ष स्टेशन पर वैज्ञानिक प्रयोगों और अनुसंधान को अंजाम देना है। इसमें सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण में विभिन्न प्रयोगों का संचालन करना, उपकरणों का रखरखाव करना और पृथ्वी से संचार स्थापित करना शामिल है। वे स्पेसवॉक (अंतरिक्ष में चलना) के दौरान मरम्मत और नए उपकरण स्थापित करने का कार्य भी करते हैं। अंतरिक्ष यात्री मिशन के लिए ज़रूरी डेटा एकत्र करते हैं और पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को भेजते हैं।
इनकी प्रशिक्षण प्रक्रिया बहुत कठोर होती है और इसमें सालों लग सकते हैं। इस प्रशिक्षण में विमान उड़ाने, रोबोटिक्स और अंतरिक्ष यान प्रणाली के बारे में सीखना शामिल होता है। अंतरिक्ष यात्री बहुत बुद्धिमान और शारीरिक रूप से फिट होते हैं। इन्हें वर्षों के महंगे प्रशिक्षकों के दौरान तैयार किया जाता है। अंतरिक्ष यात्रियों को मिशन पर भेजने से पहले गहन प्रशिक्षकों से गुजरना पड़ता है।
इतिहास में, यूरी गागरिन अंतरिक्ष में जाने वाले पहले व्यक्ति थे। भारतीय मूल की कल्पना चावला जैसी प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्रियों ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अंतरिक्ष यात्री न केवल वैज्ञानिक हैं, बल्कि वे खोजकर्ता और साहसी भी हैं, जो मानवता की ओर से ब्रह्मांड का पता लगाते हैं।
भारत साल 2023 में 23 अगस्त को चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। ऐतिहासिक उपलब्धि के तौर पर हर साल 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने की शुरुआत हुई है। यह दिन समर्पित है अंतरिक्ष की दुनिया को। अंतरिक्ष की दुनिया से जुड़ा यह करियर भी आपको सफलता की ओर ले जा सकता है और देश का नाम रोशन करने में मदद करता है इस सेक्टर में एस्ट्रोनॉट बनाकर आप अपना नाम रोशन कर सकते हैं और अपना शानदार करियर का निर्माण कर सकते हैं। साथही पैसा और नाम दोनों कमा सकते हैं।
इसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने जा रहे हैं आज की पोस्ट में। आज की इस पोस्ट में कंटेंट कुछ इस प्रकार रहेगा -
टेबल ऑफ़ कंटेंट
1. कैसे बने एस्ट्रोनॉट।
2. यह भी योग्यता जरूरी।
4. क्या है अंतरिक्ष यात्री की ऊपरी आयु सीमा।
5. इन्हें दी जाती है प्राथमिकता।
6. पढ़ाई कहां से करें
7. निष्कर्ष।
8. महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर।
1. कैसे बने एस्ट्रोनॉट :
नासा के अंतरिक्ष यात्री छह दशकों से भी ज़्यादा समय से अंतरिक्ष यात्रा कर रहे हैं और 2000 से लगातार वहाँ रह रहे हैं। अब, नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम चंद्रमा पर पहली महिला और अगले पुरुष को उतारने की तैयारी कर रहा है। स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) रॉकेट के ऊपर से ओरियन अंतरिक्ष यान मनुष्यों को पहले से कहीं ज़्यादा दूर अंतरिक्ष में ले जाएगा—चंद्रमा और अंततः मंगल ग्रह के मिशनों के लिए।
खाने का मतलब अंतरिक्ष की दुनिया असीम रहते हो और चौंकाने वाली घटनाओं से भरी हुई है। तू जाहिर है ऐसी फिल्में करियर बनाने के लिए एक नहीं बल्कि कई उच्च योग्यताओं क्षमताओं और बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त एक अंतरिक्ष यात्री को निधर और निर्भीक होना भी जरूरी है आपने देखा होगा कि कई बार वायु सेवा के पायलटो का ऐसे मिशनों के लिए चयन किया जाता है उसके पीछे यही रीजन होता है, ऐसे खतरनाक मिशन के अभियान दलों में साहसी लोगों की जरूरत होती है
त्वरित तथ्य
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए आवश्यकताएँ :.
नासा और एसरो के लक्ष्यों और मिशनों के साथ अंतरिक्ष यात्री की आवश्यकताएँ बदल गई हैं। आज, अंतरिक्ष यात्री पद के लिए आवेदन करने के लिए, आवेदकों को निम्नलिखित योग्यताएँ पूरी करनी होंगी:
किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से इंजीनियरिंग, जैविक विज्ञान, भौतिक विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान या गणित सहित STEM क्षेत्र में मास्टर डिग्री* प्राप्त हो।
डिग्री पूरी होने के बाद कम से कम तीन वर्ष का संबंधित व्यावसायिक अनुभव प्राप्त किया हो (या पायलट-इन-कमांड के 1,000 घंटे, जिनमें से कम से कम 850 घंटे पायलटों के लिए उच्च प्रदर्शन वाले जेट विमान में हों) मेडिकल डॉक्टरों के लिए, रेजीडेंसी में बिताया गया समय अनुभव में गिना जा सकता है और इसे जून 2025 तक पूरा किया जाना चाहिए।
*मास्टर डिग्री की आवश्यकता निम्नलिखित तरीकों से भी पूरी की जा सकती है:
संबंधित विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग या गणित क्षेत्र में डॉक्टरेट कार्यक्रम के लिए दो वर्ष का कार्य।
डॉक्टर ऑफ मेडिसिन, ऑस्टियोपैथिक मेडिसिन, या संबंधित चिकित्सा डिग्री पूरी की हो
राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त परीक्षण पायलट स्कूल कार्यक्रम का समापन (या वर्तमान नामांकन जो जून 2025 तक पूरा हो जाएगा)।
अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों में नेतृत्व, टीमवर्क और संचार कौशल भी होना चाहिए।
नासा का अंतरिक्ष यात्री चयन बोर्ड आवेदनों की समीक्षा करता है और प्रत्येक उम्मीदवार की योग्यता का आकलन करता है। इसके बाद, बोर्ड सबसे योग्य उम्मीदवारों के एक छोटे समूह को ह्यूस्टन, टेक्सास स्थित नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में साक्षात्कार के लिए आमंत्रित करता है। साक्षात्कार में शामिल उम्मीदवारों में से लगभग आधे को दूसरे साक्षात्कार के लिए वापस बुलाया जाता है। उस समूह में से, नासा के नए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। वे जॉनसन में प्रशिक्षण के लिए रिपोर्ट करते हैं और अगले दो साल अंतरिक्ष में चहलकदमी, अंतरिक्ष स्टेशन का संचालन, टी-38 जेट विमान उड़ाना और रोबोटिक भुजा को नियंत्रित करने जैसे बुनियादी अंतरिक्ष यात्री कौशल सीखते हैं।
अन्वेषण के भविष्य के लिए नासा की योजनाओं के साथ, नए अंतरिक्ष यात्री चंद्र मिशनों पर पहले की तुलना में अंतरिक्ष में अधिक दूर तक उड़ान भरेंगे और संभवतः मंगल ग्रह पर उड़ान भरने वाले पहले मानव होंगे।
विज्ञान और गणित विषय की नींव इस फील्ड में आगे बढ़ने का पहला जरिया होती है अर्थात आपके पास एजुकेशन के समय गणित और विज्ञान विषय होनी चाहिए और उनमें आपकी अच्छा इंट्रेस्ट भी होना जरूरी है इस फील्ड में कदम रखने के लिए 12वीं में फिजिक्स केमिस्ट्री मैथ का होना जरूरी है इसके बाद ग्रेजुएशन को इंजीनियरिंग फिजिकल साइंसेज बायोलॉजिकल साइंसेज मैथ्स या एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग विषय में कर सकते हैं।
कई अंतरिक्ष यात्री बेटर इंजीनियर साइंटिस्ट और मिलिट्री ऑफिसर के तौर पर भी सेवाएं देते हैं। इनकी ड्यूटी अलग-अलग मिशन में लगाई जाती है इनका इस्तेमाल रिसर्च में भी किया जाता है इसके अलावा मिशन की ट्रेनिंग और प्लानिंग में भी यह अहम योगदान देते हैं जो विमान रॉकेट उड़ान में रुचि रखते हैं वह एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई करते हैं एक अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए ग्रेजुएशन की डिग्री के बाद मास्टर या डॉक्टरेट की डिग्री अपेक्षित होती है।
2. यह योग्यता भी जरूरी है :
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) विषयों में मास्टर डिग्री और कम से कम तीन साल का प्रासंगिक व्यावसायिक अनुभव होना आवश्यक है. इसके अतिरिक्त, शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होना, अच्छी दृष्टि और मानसिक संतुलन बनाए रखना, और माइक्रो-ग्रेविटी व जी-फोर्स जैसी चरम स्थितियों को सहन करने की क्षमता होना ज़रूरी है.
पायलट अनुभव:
पायलटों के लिए, उच्च-प्रदर्शन वाले जेट विमान में कम से कम 1,000 घंटे का पायलट-इन-कमांड का अनुभव आवश्यक है.
एक अंतरिक्ष यात्री के लिए सिर्फ डिग्री ही काफी नहीं होती है। उसके लिए शारीरिक और मानसिक फिटनेस बेहद जरूरी होती है अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स और टीमवर्क की भावना उसके अंदर कूट-कूट कर भरी हुई होनी चाहिए चुनौती पूर्ण परिस्थितियों के मुताबिक अनुकूल होने की क्वालिटी होनी चाहिए और मुश्किल हालातो में भी शांति के साथ उनका समाधान निकालने की खूबी होना बेहद जरूरी है। एक अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए एविएशन एयरोस्पेस या सैन्य सेवा विशेष रूप से पायलट के रूप में जैसे क्षेत्रों में कई वर्षों का प्रोफेशनल एक्सपीरियंस जरूरी होता है।
व्यावसायिक अनुभव:
डिग्री पूरी करने के बाद संबंधित क्षेत्र में कम से कम तीन साल का व्य
3. आखिर एक अंतरिक्ष यात्री के लिए आयु-सीमा कितनी होती है..?
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अंतरिक्ष यात्री के लिए कोई निश्चित ऊपरी आयु सीमा नहीं है, लेकिन अधिकांश अंतरिक्ष यात्रियों का चयन लगभग 26 से 46 वर्ष की आयु के बीच किया जाता है, जिसमें औसत आयु 34 वर्ष होती है। हालांकि, ईएसए (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) 50 साल तक के आवेदकों को स्वीकार करती है। जॉन ग्लेन जैसे व्यक्तियों ने 77 वर्ष की आयु में भी अंतरिक्ष यात्रा की है, जो आयु की कोई बाध्यता न होने का प्रमाण है। मुख्य बिंदु:
- कोई निश्चित आयु सीमा नहीं:नासा जैसी संस्थाएं आधिकारिक तौर पर कोई अधिकतम आयु सीमा नहीं रखती हैं। चयनित उम्मीदवारों की औसत आयु:
- नासा द्वारा पहले चुने गए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार आमतौर पर 26 से 46 वर्ष के होते हैं, जिनकी औसत आयु लगभग 34 वर्ष होती है।
- ईएसए की आयु सीमा:
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) अधिकतम 50 वर्ष तक के उम्मीदवारों को स्वीकार करती है।
- ऐतिहासिक उदाहरण:
- जॉन ग्लेन 1998 में 77 वर्ष की आयु में अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले सबसे बुजुर्ग व्यक्ति थे। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आयु के अलावा, अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए शिक्षा, कार्य अनुभव और शारीरिक फिटनेस जैसी अन्य महत्वपूर्ण योग्यताएं भी आवश्यक हैं।
4. इन्हें दी जाती है प्राथमिकता :
भारत में भारतीय वायु सी आईएफ में पायलट विशेष रूप से लड़ाकू विमान के रूप में विशेष अनुभव रखने वाले उम्मीदवारों को अक्सर प्राथमिकता दी जाती है पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को इंटर्नशिप के जरिए अंतरिक्ष प्रोग्राम और सेटेलाइट सिस्टम तथा स्पेस मिशन के बारे में जानकारियां दी जाती है।
5. कहां से करें पढ़ाई :
एस्ट्रोनॉट (Astronaut) बनना एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण और प्रतिष्ठित करियर है। इसके लिए आपको शारीरिक, मानसिक, शैक्षणिक और तकनीकी रूप से बहुत मजबूत होना पड़ता है। नीचे चरण दर चरण बताया गया है कि आप एस्ट्रोनॉट कैसे बन सकते हैं:
1. शैक्षणिक योग्यता (Educational Qualification)
स्नातक डिग्री (Bachelor's Degree): सबसे पहले आपको किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) में डिग्री प्राप्त करनी होती है। उदाहरण:
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
मैकेनिकल इंजीनियरिंग
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
भौतिकी (Physics)
खगोल विज्ञान (Astronomy)
बायोलॉजी/केमिस्ट्री
Postgraduate Degree (फायदेमंद): NASA और ISRO जैसे संस्थानों में पोस्टग्रेजुएट या PhD उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिलती है।
2. अनुभव (Experience)
NASA या ISRO में एस्ट्रोनॉट बनने के लिए आमतौर पर आपको कम से कम 3-5 साल का पेशेवर अनुभव या 1000+ घंटे का पायलट-इन-कमांड अनुभव (यदि आप test pilot हैं) होना चाहिए।
वैज्ञानिक अनुसंधान, सेना, पायलटिंग, इंजीनियरिंग, या डॉक्टरी पृष्ठभूमि होना फायदेमंद होता है।
3. शारीरिक और मानसिक परीक्षण (Medical & Psychological Fitness)
बहुत अच्छे स्वास्थ्य की जरूरत होती है। आपकी नजर, रक्तचाप, संतुलन, और मानसिक क्षमता उच्च स्तर की होनी चाहिए।
लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के लिए मानसिक रूप से स्थिर रहना भी जरूरी है
4. संगठन में आवेदन (Apply to Organizations)
भारत में आप ISRO या गगनयान मिशन से जुड़ सकते हैं।
अमेरिका में आप NASA के लिए आवेदन कर सकते हैं।
अन्य देश भी एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाते हैं, जैसे ESA (यूरोप), JAXA (जापान), आदि।
5. एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग (Astronaut Training)
चुने जाने के बाद उम्मीदवारों को कई महीने/सालों तक गहन प्रशिक्षण दिया जाता है:
जी-फोर्स ट्रेनिंग
अंडरवॉटर ट्रेनिंग (Microgravity Simulation)
रशियन भाषा सीखना (ISS में उपयोग के लिए)
स्पेसवॉक, टेक्निकल स्किल्स और इमरजेंसी सिचुएशन हैंडल करना
भारत में कैसे बनें एस्ट्रोनॉट?
भारत में एस्ट्रोनॉट बनने के लिए:
1. UPSC या ISRO Scientist/Engineer परीक्षा पास करें।
2. गगनयान मिशन जैसे कार्यक्रमों में चयन के लिए भारतीय वायुसेना या वैज्ञानिक क्षेत्र में अनुभव होना चाहिए।
3. ISRO गगनयान के लिए भारतीय वायुसेना के पायलट्स को प्राथमिकता दे रहा है।
कुछ प्रमुख संस्थान:
ISRO (भारत)
NASA (अमेरिका)
Roscosmos (रूस)
ESA (यूरोप)
JAXA (जापान)
अगर आप चाहें तो मैं आपके लिए भारत में एस्ट्रोनॉट बनने का सटीक रोडमैप बना सकता हूँ, जिसमें आपकी उम्र, शिक्षा और रुचियों को ध्यान में रखा जाएगा।
क्या आप अपनी उम्र और शैक्षणिक स्थिति बता सकते हैं? इससे मैं बेहतर मार्गदर्शन कर पाऊंगा।
देश के नामी संस्थानों जैसे आईआईटी बॉम्बे आईआईटी कानपुर आईआईटी मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी जैसे संस्थानों से इसके बारे में पढ़ाई की जा सकती है इसके अलावा 12वीं के बाद एनडीए में आवेदन कर सकते हैं या इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके वायु सेवा अकादमी में शामिल होकर भी एस्ट्रोनॉट बनने का सपना सच कर सकते हैं
भारत में आप इन संस्थानों में पढ़ाई कर सकते हैं:
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST)
आईआईटी (IIT) बॉम्बे, कानपुर, मद्रास, खड़गपुर
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT)
भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) बेंगलुरु
अन्य प्रतिष्ठित संस्थान जैसे बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी आदि.
अन्य महत्वपूर्ण रास्ते
भारतीय वायु सेना:
भारतीय वायु सेना में शामिल होकर आप अंतरिक्ष में जाने का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं.
ISRO की इंटर्नशिप:
इसरो द्वारा आयोजित इंटर्नशिप कार्यक्रमों के माध्यम से आप अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकते हैं.
6. निष्कर्ष / सारांश
*अंतरिक्ष यात्री: अंतरिक्ष अन्वेषण के नायक*
अंतरिक्ष यात्री वे व्यक्ति होते हैं जो अंतरिक्ष में यात्रा करते हैं और विभिन्न वैज्ञानिक और अनुसंधान कार्यों में शामिल होते हैं। वे अत्यधिक प्रशिक्षित और अनुभवी होते हैं, और उन्हें अंतरिक्ष यात्रा के दौरान होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होते है।
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए, व्यक्तियों को कठोर प्रशिक्षण से गुजरना होता है। इसमें शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण शामिल होता है, जैसे कि वजनहीनता में रहने की आदत डालना, अंतरिक्ष यान का संचालन करना, और आपातकालीन स्थितियों में प्रतिक्रिया
अंतरिक्ष यात्री की भूमिका अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्वेषण में महत्वपूर्ण होती है। वे न केवल वैज्ञानिक प्रयोग करते हैं, बल्कि वे अंतरिक्ष में रहने और काम करने के नए तरीके भी विकसित करते हैं।
अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष अन्वेषण के नायक होते हैं। वे अत्यधिक प्रशिक्षित और अनुभवी होते हैं, और वे अंतरिक्ष यात्रा के दौरान होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। उनकी भूमिका अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्वेषण में महत्वपूर्ण होती है, और वे भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए नए रास्ते खोलते हैं।
महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर --
क्वेश्चन 1. एस्ट्रोनॉट( अंतरिक्ष यात्री ) क्या होता है..?
उत्तर - एक अंतरिक्ष यात्री वह व्यक्ति होता है, जिसे अंतरिक्ष में उड़ान भरने के लिए गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। यह शब्द ग्रीक भाषा के 'एस्ट्रोन' (तारा) और 'नौटेस' (नाविक) से बना है, जिसका अर्थ है "तारा नाविक"। ये लोग अंतरिक्ष मिशनों के दौरान अंतरिक्ष यान के कमांडर या चालक दल के सदस्य के रूप में काम करते हैं।
अंतरिक्ष यात्रियों का मुख्य कार्य अंतरिक्ष स्टेशन पर वैज्ञानिक प्रयोगों और अनुसंधान को अंजाम देना है। इसमें सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण में विभिन्न प्रयोगों का संचालन करना, उपकरणों का रखरखाव करना और पृथ्वी से संचार स्थापित करना शामिल है। वे स्पेसवॉक (अंतरिक्ष में चलना) के दौरान मरम्मत और नए उपकरण स्थापित करने का कार्य भी करते हैं। अंतरिक्ष यात्री मिशन के लिए ज़रूरी डेटा एकत्र करते हैं और पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को भेजते हैं।
इनकी प्रशिक्षण प्रक्रिया बहुत कठोर होती है और इसमें सालों लग सकते हैं। इस प्रशिक्षण में विमान उड़ाने, रोबोटिक्स और अंतरिक्ष यान प्रणाली के बारे में सीखना शामिल होता है।
क्वेश्चन 2 दुनिया के प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्रियों के नाम बताइए..?
उत्तर - दुनिया के प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्रियों के नाम निम्नलिखित हैं:
1. *भारतीय अंतरिक्ष यात्री:*
*राकेश शर्मा*: भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री जिन्होंने 1984 में अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी और पृथ्वी का चक्कर लगाया।
*सुनीता विलियम्स*: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री जिन्होंने एक महिला अंतरिक्ष यात्री के रूप में 195 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है।
*अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री:*
- *नील आर्मस्ट्रॉंग*: चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति जिन्होंने 1969 में अपोलो 11 मिशन के दौरान चंद्रमा की सतह पर कदम रखा।
*सुनीता विलियम्स* (ऊपर उल्लिखित)
*सोवियत/रूसी अंतरिक्ष यात्री:*
*यूरी गागरीन*: अंतरिक्ष में जाने वाले पहले मानव जिन्होंने 1961 में वोस्खोद 1 अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी।
*श्वेतलाना सेवित्स्काया*: अंतरिक्ष में जाने वाली दूसरी महिला और अंतरिक्ष में दो बार उड़ान भरने वाली पहली महिला।
*अन्य प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्री:*
*डेनिस टीटो*: पहले अंतरिक्ष पर्यटक जिन्होंने 2001 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा किया।
इन अंतरिक्ष यात्रियों ने अपने काम से अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं
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