पहचानो अपनी रुचियों कि ताकत को। बच्चों में रुचि पैदा करने के असरदार उपाय और मनोवैज्ञानिकों की राय।( identify your intrest power)

प्रेरणा डायरी (ब्लॉग)

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  पहचानो अपनी रुचियां की ताकत को।

dentify the power of interest) 


     
        प्रेरणा डायरी ब्लॉग  -- "छात्रों का हमसफर "


प्रेरणा डायरी ब्लॉग कि आज 22 वी पोस्ट में आप सभी मित्रों का हार्दिक स्वागत। दोस्तों, रूचियों के बारे में मेरी एक स्पष्ट और आजमायी हुई बात है कि -"हमारी रुचियाँ ही हमारा निर्माण करती है, हमें इनकी ताकत को नजरंदाज नही करना चाहिए।" यदि आपने अपने करियर का चुनाव करते समय, विषयों का चयन करते समय, अपनी रुचियां को विशेष महत्व दिया है तो निश्चित तौर पर आपको कामयाबी मिलने के चांस ज्यादा है। मैं यहां पर 'कामयाबी' शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूं, न कि 'सफलता'। सफलता और कामयाबी में अंतर है। सफलता से भी आगे की चीज का नाम है - 'कामयाबी'। और कामयाबी इंसान को तब हासिल होती है, जब वह उन कामों को करता है जिनमें उसकी रुचि होती है।अच्छी रुचियां/आदत हमारा उत्तम/उमदा निर्माण करती हैं, जबकी बुरी रुचिया अर्थात 'बेड हैबिट्स' हमारा विनाश करती है। हमारा आज का  ये प्रेरणादायी आर्टिकल् आपको  "motivate"/प्रेरित करेगा। अपनी रुचियों कि ताकत ( power) को समझने के लिए। रुचियों के बारे में पूरा अध्ययन और अनालेसिस करेगे ताकि आप भी अपनी इन खूबियों का लाभ उठा सकें। 

 आज के इस आर्टिकल को समझने में आसानी के लिए, कुछ पॉइंट में विभाजित किया गया है जिसे आप नीचे टेबल ऑफ कंटेंट में देख सकते हैं। हां एक खास बात में आपको बता देना चाहता हूं जो पेरेंट्स के लिए बहुत इंपॉर्टेंट है। बड़ी खास और मेन रखने वाली बात। हम पेरेंट्स के सामने सबसे बड़ा सवाल एक कठिन चुनौती यह होती है कि वह अपने बच्चों में रुचि उत्पन्न कैसे करें..? तो टेबल ऑफ़ कंटेंट में छठे नंबर का पॉइंट या बिंदु- "बच्चों में रुचि उत्पन्न करने की विधियां /उपाय।". उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि इसमें बच्चों में रुचि जागृत करने के बारे में न केवल उपाय बताए गए हैं बल्कि कुछ प्रसिद्ध देश-विदेश के मनोवैज्ञानिकों की राय भी दर्ज की गई है। 


टेबल ऑफ़ कंटेंट


 1.रूचि का मतलब समझे.. (अर्थ,मीनिंग )

2. आखिर कैसे पहचाने अपनी रुचियों को.?

3. रूचि कि - परिभाषा। defination

4. रुचियों कि विशेषताये।

5. रुचियों के पहलू। (Aspect ) 

6. बच्चों में रूचि पैदा करने कि विधियाँ/उपाय। 

7. निष्कर्ष / सारांश।

8. संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर।



1. रूचि का अर्थ (meaning of interest) 

रुचि को अंग्रेजी में 'interest' करते है | Interest शब्द कि उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द "interesse" से हुई है. इस शब्द का अर्थ है कि "यह महत्वपूर्ण होती है"। या "इसमें लगाव होता है। इस प्रकार जिस में हमें रूचि होती है वह हमारे लिए दूसरी वस्तुओं से भिन्न और महत्वपूर्ण होती है। उसमें हमारा लगाव होता है । उस को करने कि हमारी इच्छा होती है। 

अगर में अपने शब्दों में कहूँ तो - ऐसा कार्य या ऐसा काम जिसमें हमारा लगाव हो। जिस काम को करने से हमें खुशी मिले। प्रसन्नता प्राप्त हो। जिस कार्य को करने में हमें कोई दबाव या थकान महसूस ना हो, तो समझ लो वो कार्य हमारी रूचि का कार्य है जैसे - example -- मान लिजिए आपको कृषि Agriculture या sports अच्छा लगता है। कृषि और खेल कूद कार्य में आपको खुशी मिलती है। इसे करके आप प्रसन्नता महसूस करते हैं। इनको करते वक़्त आपको ताजगी का एहसास होता है। तो यह समझ लीजिये कि Agricutture और स्पोर्ट्स में आपकी रूचि है। आप अपनी पूरी लगन और शक्ति को अपने कृषि कार्य पर केंद्रित कर देते हैं। परिणाम स्वरुप आप कामयाबी तक भी पहुंचते हैं।

ठीक इसी तरहा किसी स्टूडेंट को पढ़ना (studay) अच्छा लगता है। वह अपनी इच्छा से बिना किसी के कहे यह काम करता हैं। लम्बे समय तक पढ़ने के बाद भी आप के अन्दर थकान और उबाऊपन नही आता बल्कि आपको खुशी होती है। आपका मन प्रसन्न रहता है। आपका मन पढ़ने के लिए लालायित होता है। तो इसका सीधा सा मतलब यही है पढ़ाई (studay) में आपकी रूचि है। आपको यह कार्य करना चाहिए। आपको आगे अपनी स्टडी को जारी रखते हुए इस पर पूरा फोकस करना चाहिए और अच्छी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता हासिल करके अपने जीवन को कामयाब बनाना चाहिए।

आइये रूचि के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कुछ विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएँ देखते हैं -- 

1. क्रो & क्रो 

रुचि को परिभाषित करते हुए कहते हैं कि "रुचि वह प्रेरक शक्ति है जो हमे किसी व्यक्ति या काम के प्रति ध्यान देने के लिए प्रेरित करती है।"

इस परिभाषा से रूचि कि एक और महत्व पूर्ण विशेषता से हमारा परिचय होता है और वो है "ध्यान (Attention) अर्थात जिस कार्य में हमारी रूचि होगी उस कार्य पर हमारा पूरा ध्यान/Attention होगा इसलिए रुचिकर कार्यों में हमें शीघ्र और अच्छी सफलता प्राप्त होती है। जबकि जिन कार्यों में हमारा रूचि नहीं होती उन पर हम ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते और, ना ही उस कार्य में अपना 100% दे पाते हैं। परिणाम स्वरूप हमारे हाथ में असफलता लगती है। आइये रुचि पर दी गई एक और बहुत अच्छी तथा फेमस परिभाषा को पढ़ते हैं --

 2. B. N. Jha-- 

"रुचि वह मानसिक विधि है जो ध्यान क्रिया को सतत बनाये रखती है।"

3. भाटिया 

भाटिया कहते है  "रुचि का अर्थ है अन्तर करना । हमें वस्तुओं में इसलिए रूचि होती है क्योकि हमारे लिए उनमें और दूसरी वस्तुओं में अन्तर होता है। " 

"Interest means making a difference. We are Interested in objects because they make a difference to us"।  

 रुचि पर की गई हमारी इस चर्चा से और इसके अर्थ एवं परिभाषा को जानने के बाद उसकी कुछ विशेषताएँ निकलकर हमारे सामने आयी है, तो इन्हें भी जानना बेहद जरूरी है - 


अपनी रुचियों की ताकत को पहचानने के लिए आत्म-चिंतन करें, अपने पिछले अनुभवों पर विचार करें, दूसरों से प्रतिक्रिया लें और आत्म-मूल्यांकन उपकरण का उपयोग करें। अपनी रुचियों को पहचानने से आपको अपनी प्राकृतिक शक्तियों को उजागर करने, आत्मविश्वास बढ़ाने और व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। 


2. आखिर...कैसे पहचाने अपनी रुचियों को..?

अपनी रुचि कैसे पहचाने..?

अपनी रुचियों की पहचान करने के लिए, उन गतिविधियों की सूची बनाएं जिनमें आपको मज़ा आता है। अपनी पिछली रुचियों और अनुभवों पर विचार करें, और नई चीजें आज़माएं. आप रुचि योग्यता परीक्षा या ऑनलाइन परीक्षण ले सकते हैं। और उन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जो आपको खुशी देती हैं। आप अपने ऐसे  कार्य की पहचान करना शुरू करें जिन कार्यों को करने का आपका मन करता है। जिन्हें करके आपको 'खुशी' और 'आनंद' प्राप्त होता है। और आपको अपनी असली पहचान कराती हैं। 

1. अपनी रुचियों की सूची बनाएं:

शौक और खाली समय की गतिविधियाँ:

सोचें कि आपको खाली समय में क्या करना पसंद है, जैसे लिखना, समाचार देखना, या कोई विशेष खेल खेलना. 

संतुष्टिदायक अनुभव:

अपनी पिछली नौकरी, इंटर्नशिप या प्रोजेक्ट्स के बारे में सोचें जो आपको सबसे संतोषजनक लगे. 

पसंदीदा कक्षाएँ:

उन कक्षाओं पर ध्यान दें जो आपको सबसे दिलचस्प लगीं और जिनमें आपको अच्छा महसूस हुआ. 

2. नए अनुभवों को अपनाएं: 

नई चीजें आज़माएं:

नई गतिविधियों, शौक या कक्षाओं में भाग लेकर खुद को विभिन्न क्षेत्रों में परखें.

किताबें और पॉडकास्ट पढ़ें:

अपनी रुचि के विषयों पर किताबें पढ़ें, पॉडकास्ट सुनें, या वृत्तचित्र देखें.

दूसरों से मिलें:

विभिन्न रुचियों वाले लोगों से बात करें और उनसे नए विचारों और अनुभवों के बारे में जानें.

3. मूल्यांकन और परीक्षण का उपयोग करें:

रुचि योग्यता परीक्षण:

अपनी रुचियों को पहचानने में मदद के लिए ऑनलाइन रुचि योग्यता परीक्षण लें. 

व्यक्तित्व मूल्यांकन:

मायर्स-ब्रिग्स टाइप इंडिकेटर (MBTI) जैसे व्यक्तित्व परीक्षण आपको अपनी प्राथमिकताओं, काम के माहौल और गतिविधियों को समझने में मदद कर सकते हैं. 

4. अंतर्दृष्टि प्राप्त करें: 

खुद का मूल्यांकन करें:

अपनी रुचियों और मूल्यों के बीच संबंध देखें.

खुशी पर ध्यान दें:

उन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें जो आपको खुशी देती हैं और आपको अपना असली रूप महसूस कराती हैं.

सार्थक काम खोजें:

अपनी रुचियों का उपयोग करके ऐसा काम करने के तरीके खोजें जो आपको संतुष्टि दे.


4. रूचि कि विशेषताये 


1.  जैसा कि भाटिया जी ने कहा कि रूचि वस्तुओं में अन्तर स्थापित करती है। 


2.  रुचि ध्यान (Attention) शक्ति का विकास करती है एवं उसे बढ़ा देती है. Jaise example  - मान लिजिए कविता लिखने में आपकी रूचि है, तो आप जब भी इस कार्य को करगे तो आपको खुशी का अहसास होगा आपका मन प्रसन्न होगा और आपका पूरा ध्यान इस पर केन्द्रित रहेगा। आप पूरे ध्यान और मनोयोग से यह कार्य करोगे । रूचि धीरे धीरे आपकी ध्यान शक्ति को विकसित करती है। 


 3. रुचि अधिगम् ( learning) में सहायक होती है । अधिगम का अर्थ है सीखना (Learning) और यह प्रमाणिक तथ्य है कि रुचि अधिगम में सहायक होती है। अर्थात जिस विषय में आपकी रूचि होगी वह विषय उतना हि जल्दी और अच्छे तरीके से आपको Learn होगा। जैसे maths या  Histary विषय (subject) में आपकी रुचि है। इनमें रूचि होने के कारण आप इन्हें पढ़ते वक्त पूरे ध्यान से और खुशी के साथ पढ़ेंगे । पूरे मनोयोग से पढ़गे । आपका ध्यान केन्द्रित रहेगा | अत: गणित और इतिहास आपको जल्दी याद होगा ।लम्बे समय तक याद रहेगा ।यह प्रमाणिक और सत्य तथ्य है कि जिस विषय ( subject) में आपकी रुचि होगी उसे आप अन्य विषयों के मुकाबले अच्छे ढंग से सीखते है। Learn करते हैं। 


4 रुचि सक्रियता को बढ़ा देती है-- 

दोस्तों, रूचि एक ऐसी शक्ति है जो कार्य में आपकी सक्रियता (Activeness) को बड़ा देती है। इसके विपरीत आप अगर रूचि के विरुद्ध कोई कार्य करते है अर्थात आप ऐसा कोई काम करते है जिसमे आपकी रुचि नही है। तो ना आप active रहकर कार्य कर पाएगे ना ही ढंग से उस कार्य को सीख पाएंगे -जैसे-- painting  में आपकी रुचि नही है तो आप पेन्टिंग पढ़ते या करते वक्त सक्रिय नहीं रह पाएगे ना ही उसे ढंग से सीख पाएंगे । इसिलिए कहा जाता है कि कार्य वो करो जिसमें आपकी रुचि हो ।" 


5. रूचियाँ जन्म जात एवं अर्जित दोनों प्रकार कि होती है । 


6. रुचियाँ व्यक्ति को खुशी और ताजगी प्रदान करती है - क्योकि पंसदीदा कार्य करने से तन मन प्रसन्न रहते हैं। 


7. समय और उम्र के साथ रूचियों में बदलाव होता है। रुचियाँ अर्जित भी होती है तो जन्मजात भी और समय तथा उम्र के साथ-साथ इनमें बदलाव देखने को मिलता है। जैसे--  10 class तक के बच्चे कि रुचियाँ अलग होती है ।उसकी रुचिया खेलकूद एवं भिन्न-भिन्न पौसाखो (dresses) में अधिक होती है। 12 th class में पहुंचने पर उसकी रूचियों में बदलाव आता है । ग्रेजुएशन तक आते आते उसकी रुचियों में और भी भिन्नता आ जाती है। पर याद रहे रुचियाँ  समाप्त या खत्म नहीं होतीं।IAS, RAS intrevew मैं प्रतियोगियों से सबसे jada सवाल रुचियों से ही पूछे जाते है। IAS पैनल के विद्वानों का मनना है कि "बिना रूचि वाला इंसान किस काम का" बात सही भी है। पढाई तो सब करते है। पर इसके अलावा और क्या चीज या काम ऐसा है, जिसमें आपकी दिलचस्पी है। ये बात बहुत मायने रखतीं है। 


8. रूचि कैरियर निर्माण में सहायक होतीं हैं---

रुचियाँ एक युवा/student / व्यक्ति के भविष्य (कैरियर) में भी बड़ा योगदान देती है। जैसे-- आपकी संगीत (music) में रूचि है। थोड़ा समय अपनी पढ़ाई के साथ संगीत को भी देते है, तो आगे चलकर आप संगीत के क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं क्योंकि आपकी रुचि होने के कारण इस कार्य को आप दिल और मन से करते हैं अत: आपके सफल होने के चांस 100% ह । संगीत कि दुनिया में बड़ी-2 कम्पनियाँ रोजगार भी देती है। और मनचाहा पैसा भी प्राप्त होता है। ठीक इसी प्रकार अगर आपकी लेखन में रूचि है तो आप लेखन में अपना भविष्य बना सकते है आपकी क्रिकेट खेलने में रुचि है तो क्रिकेट कि दुनिया में अपना कैरियन बनाकर नाम और पैसा कमा सकते है । आपकी कुटबाल खेलने में रुचि है तो आप अच्छे फुटबॉलर, बन सकते है । आपकी समाचारों और देश-दुनियाँ कि खबरों में रूचि है तो आप अच्छे रिपोर्टर, पत्रकार बन सकते है । 

9. रुचियाँ हमें खुशी और दिमाग़ (minde) को ताजगी प्रदान करने में सहायता प्रदान करती है।


5. रुचि के पहलू (aspect of interest)



'अवधान' के समान 'रुचि' के भी तीन पहलू हैं- जानना, अनुभव करना और इच्छा करना (Knowing, Feeling and Willing)। जब हमें किसी वस्तु में रुचि होती है, तब हम उसका निरीक्षण और अवलोकन करते हैं। ऐसा करने से हमें सुख या सन्तोष मिलता है और हम उसे परिवर्तित करने या न करने के लिए कार्य कर सकते हैं। इस प्रकार, जैसा कि भाटिया ने लिखा है-"रुचि-ज्ञानात्मक, क्रियात्मक और भावनात्मक होती है।" "Interest is cognative, conative and affective." 


6. बालको में रूचि उत्पन्न करने के उपाय या विधि--

(METHODS OF AROUSING INTEREST IN CHILDREN) 


1. निरन्तर मौखिक शिक्षण और अत्यधिक पुनरावृत्ति, पाठ को नीरस बना देती है। अतः शिक्षक और पेरेंट्स  को चाहिए कि वह बालकों को प्रयोग, निरीक्षण आदि के अवसर देकर कार्य में उनकी रुचि उत्पन्न करे। 

2. बालकों को खेल और रचनात्मक कार्यों में विशेष रुचि होती है। अतः शिक्षक को खेल-विधि का प्रयोग करना चाहिए और बालकों से विभिन्न प्रकार की वस्तु बनवानी चाहिए। मॉडल बनवाने चाहिए। चार्ट मैप आदि बनवाने चाहिए। बालक कि किसी और वस्तु को बनाने कि इच्छा हो, उसे वह वस्तु बनाने देनी चाहिए। इस कार्य में बालक की help करनी चाहिए। मां-बाप को भी बच्चों के इस तरह के रचनात्मक कार्यों में सहयोग देना चाहिए। 

3. बालकों को उसी विषय में रुचि होती है, जिसका उनको पूर्व ज्ञान होता है। अत शिक्षक को ज्ञात से अज्ञात (Known to Unknown) का सम्बन्ध जोड़कर उनकी रुचि को बनाये रखना चाहिए। 


4.भाटिया (Bhatia) के अनुसार- आयु के साथ-साथ बालकों की रुचियों में परिवर्तन होता जाता है। अतः शिक्षक को इन रुचियों के अनुकूल पाठ्य-विषय का आयोजन करना चाहिए। अर्थात बालको कि जिस प्रकार के विसयो में रुचि हो, उसी प्रकार के विषय पाठय् क्रम में रखने chahiye। रुचियों में थोड़ा बदलाव आने पर सिलेबस में भी बदलाव करना उचित रहता है। 

5.  झा (Jha) के अनुसार- बालकों की अपनी मूलप्रवृत्तियों, अभिवृत्तियों ( Attitudes) आदि से सम्बन्धित वस्तुओं में रुचि होती है। अतः शिक्षक को उनकी रुचि के अनुकूल चित्रों, स्थूल पदार्थों आदि का प्रयोग करना चाहिए। 

6.  भाटिया (Bhatia) के अनुसार- बालकों की रुचि का मुख्य आधार उनकी जिज्ञासा की प्रवृत्ति होती है। अतः शिक्षक को इस प्रवृत्ति को जाग्रत रखने और तृप्त करने का प्रयास करना चाहिए। 

7. क्रो एवं क्रो (Crow and Crow) के अनुसार- निरन्तर एक ही विषय को पढ़ने से बालक थकान का अनुभव करने लगता है और उसमें रुचि लेना बन्द कर देता हैं। अतः शिक्षक को उसकी रुचि के अनुसार विषय में परिवर्तन करना चाहिए। भाटिया (Bhatia) के अनुसार विभिन्नता, रोचकता को सुरक्षा प्रदान करती है (“Variety is a safeguard of Interest.”) । अतः शिक्षण के समय अध्यापक को निरन्तर पाठ्य-विषय की बातों को ही न बताकर उससे सम्बन्धित विभिन्न रोचक बातें भी बतानी चाहिए। 

8.  भाटिया (Bhatia) के अनुसार- बालकों को जो कुछ पढ़ाया जाता है, उसमें वे तभी रुचि लेते हैं, जब उनको उसके उद्देश्य और उपयोगिता की जानकारी होती है। अतः शिक्षक को पाठ आरम्भ करने से पहले इन दोनों बातों को अवश्य बता देना चाहिए। 

9.  स्किनर एवं हैरीमैन (Skinner and Harriman) के अनुसार- शिक्षण के समय बालकों में विभिन्न वस्तुओं, पक्षियों, मशीनों आदि में रुचि उत्पन्न हो जाती है। अतः शिक्षक को उन्हें भ्रमण के लिए ले जाकर उनकी रुचियों को तृप्त और विकसित करना चाहिए। 

10. कोलेसनिक (Kolesnik) के अनुसार- बालकों को किसी विषय के शिक्षण में तभी रुचि आती है, जब उनको इस बात का ज्ञान हो जाता है कि उस विषय का उनसे क्या सम्बन्ध है, उसका उन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, वह उनके लक्ष्यों की प्राप्ति में कितनी सहायता दे सकता है और वह उनकी आवश्यकताओं को किस प्रकार पूर्ण कर सकता है। अतः शिक्षक को बालकों और शिक्षण-विषय दोनों का ज्ञान होना चाहिए। कोलेसनिक के शब्दों में-"किसी विषय में छात्र की रुचि उत्पन्न करने के लिए, शिक्षक को छात्र के बारे में कुछ बातें और विषय के बारे में बहुत-सी बातें जाननी चाहिए।" 

"In order to interest a student in a subject, a teacher must know something about the student and a great deal about the subject." 


7. निष्कर्ष ( concluesion) 

रूचि कार्य को करने के लिए हमें चालक शक्ति प्रदान करती है। रुचि के कारण व्यक्ति कि एकाग्रता और ध्यान शक्ति विकसित होती है। हमारे जीवन में खुशी और प्रसन्नता बहुत जरूरी होती है। हमें ऐसे कार्यों में ही सफलल प्राप्त होती है, जिनसे हमें खुशी मिले। इस बात का निर्धारण हमारी रूचियाँ ही करती है। एक व्यक्ति या छात्र अपने जीवन में क्या होगा ..? और कैसा होगा...? यह उसकी रुचियो के द्वारा ही तय होता है। मैं तो अंत में एक यही कहूँगा " अपनी रूचियों को कभी नजरंदाज नही करें, अपनी रुचियों के जहाँ को खूबसूरत बनाये , आपकी जीन्दगी भी खूबसूरत बन पड़ेगी""। 



8. रूचि से सम्बंधित महत्वपूर्ण question- answer


Question 1.छात्रों  के लिए रूचि क्यो जरूरी है ...?

 

Answer ----  सामान्यतः रूचि का तात्पर्य हमारी पसन्द से होता। जिस वस्तु या कार्य में हमारी रूचि होती है। उसमें हमारा ध्यान केन्द्रित रहता है। और रुचिकर कार्य करने से छात्र/ व्यक्ति को अच्छी सफलता प्राप्त होती है। एक छात्र अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन क्षेत्र चुनकर बड़ी कामयाबी हासिल कर सकता है । इसिलिए स्टूडेंट को अपनी पढ़ाई के साथ साथ अपनी रुचियों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि जीवन में सफलता और खुशी दोनों महत्वपूर्ण चीजें हासिल की जा सके। 

Question 2. क्या अधिगम ( learning) में रूचि मदद(help) करती है..? 

Answer ----   दोस्तो आधिगम यानी सीखना एक मानसिक प्रक्रिया है। कोई भी बालक उस कार्य को बेहतर ढंग से सीखता है जिसमें उसकी रुचि होती है। क्योंकि रूचि वाले कार्यों को बालक ध्यान (Attention) से एवं पूरी लगन के साथ करता है। साथ ही साथ रूचिकर कार्य करने से उसे मानसिक प्रसन्नता और ताजगी  का अहसास होता है। और ये सभी बातें उसे अधिगम में बहुत अधिक सहायता देती है। इसिलिए रूचि और अधिगम का गहरा सम्बन्ध है। जहाँ रुचि होती है वहाँ अधि गम बहुत आसान, सरल और रोचक हो जाता है। 


Question 3. रुचि का सिद्धांत क्या है ( what are the principle of tnterest) 


Answer ---- जिस क्रिया या विषय ( subject)  में हमारी रूचि होती है उसको हम आसानी से सीख लेते है क्योंकि उसे हम बड़ी तत्परता के साथ करते है इसिलिए कुशल शिक्षक, एक योग्य शिक्षक शिक्षण कार्य करते समय बच्चों कि रुचियों  पर विशेष ध्यान देते है। 


Question 4. रूचि कितने प्रकार की होती है..? 

Answer-- रूचि 2 प्रकार की होती है - जन्म जात व अर्जित

 

Question 5 रूचि और सफ़लता में क्या संबंध है..?? 

Answer----    बालक (छात्र) रुचि के कारण कार्य को आकर्षण, ध्यान, पसन्द और खुशी के साथ करता है, फलस्वरूप रूचि वाले कार्यों में अधिक एवं अच्छी सफलता प्राप्त होती है 


Question 6. रूचि के कितने पहलू ( aspects) है..? 

Answer  ---   रूचि के तीन पहलू है  1. जानना (Knowing) (2) अनुभव करना  feeling  3. इच्छा करना willing.। 


Question 7. क्यो कुछ छात्रों कि पढाई में रुचि कम होती है..??

Answer  --  जब एक छात्र अरुचिकर (un interesting) विषय पढता है , या फिर दबाब या तनाव में पढ़ता है , तो उसकी रूचि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । और पढ़ाई में उसकी रुचि  कम हो जाती है। इस कमी को दूर करने के लिए तनाव और दबाव से मुक्त होकर पढ़े। मन और ध्यान लगाकर पढ़े। 

Question 8. अपनी रुचि की पहचान कैसे करें..?

उत्तर -- अपनी रुचि कैसे पता करें? आपको क्या करना ज्यादा अच्छा लगता हैं जिसको करने से आपको खुशियाँ मिलती हैं और वही काम आप पूरे मन के साथ करते हो वही आपकी रूचि हैं।


Question 9. हमारी रुचि और हमारी क्षमताओं में क्या अंतर है?

"क्षमता" शब्द किसी व्यक्ति की कुछ भी करने की क्षमता को दर्शाता है। दूसरी ओर, रुचि किसी व्यक्ति की विशेष रूप से प्रभावी ढंग से कुछ करने की क्षमता को दर्शाती है। रुचियां ऐसी चीजें हैं जो आपकी रुचि को बढ़ाती हैं या आपका ध्यान खींचती हैं।


ब्लॉग नाम -  प्रेरणा डायरी।

वेबसाइट -   prernadayari.com

राइटर   -  केदार लाल ( सिंह साब)


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