"क्रिकेटेरिया" ( क्रिकेट पर बनी अब तक की सबसे बड़ी हास्य,व्यंगात्म, प्रेरणादायक कविता ) "क्रिकेटेरिया"
प्रेरणा डायरी (ब्लॉग)
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टुडावली,टोडाभीम, करौली, राजस्थान 321610 भारत।
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दोस्तों नमस्कार,
मैंने अब तक कि अपनी जिंदगी में खेलों में जो बदलाव देखे हैं, वो क्रिकेट क्रिकेट की दुनिया से जुड़े है। मैं खुद क्रिकेट को बहुत पसंद करता हूँ । जब मैं अपनी पढ़ाई के समय ग्रेजुएशन के दौर में था, उस जमाने में दुनिया में जो महान बल्लेबाज खेला करते थे उनमें -- सचिन तेंदुलकर, सौरभ गाँगुली स्ट्राइकर जॉर्डन, ब्रायन लारा, हैन्सी क्रोजे (हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु) शाहिद अफरीदी, वीरेंद्र सहवाग, राहुल द्रविड़, जैसे दिग्गजों के सामने दुनिया के हर गेंदबाज कापते थे। मैं बोर्ड के एग्जाम और ग्रेजुएशन के एग्जाम के बीच में भी वर्ल्ड कप के मैच देखता था। सचिन तेंदुलकर की बैटिंग तो मैं हर हाल में देखा था। सचिन तेंदुलकर को मैं क्रिकेट का भगवान बताता हूं।
एक बदलाव में क्रिकेट में यह लग रहा है कि दुनिया में सबसे ज्यादा पैसा है अगर किसी खेल में है तो वह है- क्रिकेट। दूसरी बात यह भी है कि क्रिकेट में सबसे ज्यादा पैसा भारत में है। दोस्तों भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों की दुनिया में सबसे ज्यादा कमाई है। और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बोर्ड को दुनिया का सबसे धनवान खेल बोर्ड में माना जाता है। इसके राष्ट्रपति पद के लिए बड़े-बड़े राजनेता तरसते हैं और इसके अधिकांश पद पर बड़ी-बड़ी राजनीतिक हस्तियां ही स्थापित होती हैं।
खैर जो भी है, पर आज बात हो रही है क्रिकेट पर बनी कुछ अच्छी व्यंगात्मक कविताओं की जिन्हें पढ़कर आनंद आ जाए। ऐसी ही एक चुनी हुई कविता में आज के सामने प्रस्तुत कर रहा हूं। यह कविता क्रिकेट से जुड़ी हुई है लेकिन इसमें जहां व्यंग भी जुड़ा हुआ है तो विश्व के देशों की राजनीति को भी इसमें शामिल किया गया है। खिलाड़ियों की आदतों को भी इस कविता में अच्छे तरीके से शब्दों में पिरोया गया है। यही कारण है कि यह बड़ी उम्दा कविता बन पड़ी है। आप भी इसे पढ़ने का आनंद उठाइए --
दोस्तों, खेलों को लेकर आपने कई कविताएँ पढ़ी होंगी। कई फिल्में दिखेंगी और गाने भी सुने होंगे। आज मैं आपके सामने प्रेरणा डायरी ब्लॉग में एक ऐसी कविता प्रस्तुत करने जा रहा हूं जिसे पढ़कर आप आनंदित हो जाएंगे। यह क्रिकेट राजनीति हर्ष और प्रेरणा का मिश्रित रूप है जिसे पढकर आप आनंदित हो उठेंगे --
क्रिकेटेरिया (व्यंग्यात्मक कविता)
मेरा एक दोस्त
उनका नाम "क्रिकेटास्कर"
क्रिकेट ही उनका तन मन धन
घर का नाम "पावेलियन"।
उनका क्रिकेट प्रेम किस तरह उनके कुनबे को ढोता है,
यह उनके बच्चों के नाम से प्रकट होता है।
पहले का नाम "लैग बैक"
दूसरे का नाम "नो बॉल"
और तीसरे का नाम "लैग कट"
एक दिन हम उनके घर पहुंचे और पूछा-
"हमने देखे है बड़े-बड़ों के ताम-झाम।"
पर कभी सुनने में नहीं आये बच्चों के ऐसे ऐसे नाम
आपने क्यों किया यह काम, रख दिए
बच्चों के ऐसे ऐसे नाम।
वो लाला अमरनाथ की तरह एक्सपर्ट
कमेंट करते हुए बोले -
"यू नो"
उन दिनों किस्मत हमसे रूठी थी
"लैग बैक" तब पैदा हुआ था जब मेरी टाँग टूटी थी
दूसरी ना चाहते हुए भी पैदा हो गई अगले ही साल
इसलिए उसका नाम रख दिया "नो बाल"
और जब बुढापे में बाप बनने का स्वाद चख लिया
तो तीसरे का नाम "लैग कट" रख दिया।
एक दिन वह श्रीनाथ की तरह
नथुने फुलाये मेरे घर आये।
अखबार का बाउंसर मेरे मुंह पर मारा
चयन समिति का गुस्सा मुझ पर उतारा
और बोले
देख लो.. देख लो.... रोज़ के फ़ायर पर फ़ायर
यह देश के नेता या पाकिस्तानी एम्पायर
मैंने कहा छोड़ो यार नेताओं की "दलदल"
चलो करते हैं 'ड्रिंक इंटरवल'
वह अजय जडेजा की तरह कुर्सी पर रपटे
फिर नास्ते की प्लेट पर श्री नाथ की तरह झपटे
समोसे को मुंह में कैच करते हुए बोले -
" चटनी की तरह मन खट्टा हो रहा है,
क्रिकेट हो या राजनीति हर जगह सट्टा हो रहा है।
सांप्रदायिकता जिंबॉब्वे के जोश की तरह बढ़ रही है
और महंगाई शाहिद अफरीदी के रन रेट की तरह चढ़ रही है।
भ्रष्टाचार में सचिन के जैसा जोश है,
और सच्चाई संजय मांजरेकर की तरह खामोश है।
देश के कर्णधार ही देश को रन आउट करने पर अड़े हैं
और विवशताओं के फील्डर कैच करने के लिए घेरे हुए खड़े हैं।
देश झेल रहा है चारों तरफ से बुराई की गेंद के प्रहार
कभी आतंकवादियों का "इन स्वंगर"
कभी दलालों का "आउट स्वीनगर"
आजादी के बाद खूब चौके छक्के उड़ाते रहे भ्रष्टाचारी,
मैदान की हरियाली चरते रहे अत्याचारी
देश ने बस आंसू पिए और जख्म खाए
75 साल बीत गए पर हम अभी तक
अच्छाइयों का अर्धशतक भी नहीं लगा पाए।
ब्लॉग नेम - प्रेरणा डायरी ब्लॉग
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चीफ एडिटर - kedar lal ( सिंह साब )
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