खुशी और उपहार कि भावनाओ से जुड़ा है -- क्रिसमस।


प्रेरणा डायरी (prerndayari.com)
टुडेवाली, टोडाभीम, राजस्थान - 321610 

भूमिका -


उपहार देना हमारी संस्कृति में गहराई से समाया हुआ है।  त्यौहार, जन्मदिन, विवाह या खुशियों के विभिन्न उत्सवों पर उपहार देने की परंपरा चली आ रही है। असल में उपहारों के माध्यम से हमारा आपसी प्रेम बढ़ता है। क्रिसमस का यह त्यौहार भी खुशियाँ और उपहार देने की परंपरा से जुड़ा है।  ये खुशियों को बांटने का एक तरीका है। देखा जाए तो उपहार देना मात्र भौतिक वस्तुओं का 'आदान-प्रदान ही नहीं है बल्कि यह एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें भावनाओं को व्यक्त करने के साथ-साथ सामाजिक समबन्ध भी मजबूत होते हैं। उपहारों को बाँटना मधुरता फैलता है। प्रेमपूर्ण उपहारों को बाँटना एक प्रमुख आकर्षण है।

 अब मैं आपको एक रोचक तथ्य बताने वाला हूं। दुनिया के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले तीन लेखकों में से एक है - ओ. हेनरी। और वह हेनरी की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली कहानियों में शामिल है " द गिफ्ट ऑफ मैगी"। यह कहानी गरीब मगर गहरा लगाव और प्रेम करने वाले पति-पत्नी की कहानी है। इस कहानी में एक रोचक प्रसंग आता है जब पत्नी डेला अपने गाने और खूबसूरत बालों को बेचकर अपने पति की घड़ी के लिए प्लैटिनम की चेन लाती है। और अंत में पता चलता है कि पति जिम अपनी वह प्रिया घड़ी बेचकर अपनी प्रियतमा के खूबसूरत बालों के लिए कांगे कानगियां ले आया।
 दोस्तों,  दुनिया भर के करोड़ों लोगों का दिल छूने वाली यह कहानी बताती है कि उपहार दिल से दिए जाते हैं। इस कहानी की पृष्ठभूमि क्रिसमस पर्व की है। और क्रिसमस का एक अहम पहलू है-  उपहार देना। क्रिसमस के अवसर पर दिए जाने वाले उपहार खुशियों को बढ़ाते हैं। उपहार लेने और देने वाले दोनों को ही प्रसन्नता महसूस होती है।

 विज्ञान में यह भी प्रमाणित किया गया है कि उपहार देने वाले से केवल प्राप्तकर्ताओं को ही संतुष्टि मिलती है, बल्कि उपहार देने वाले को भी मानसिक सुख और संतुष्टि का अनुभव होता है। जब हम किसी को उपहार देते हैं तो हमारे मस्तिष्क में "डोपामाइन" और ऑक्सीटोसिन जैसे हारमोंस रिलीज होते हैं जो हैप्पी हारमोंस के नाम से जाने जाते हैं।
 उपहार दें महेश उपहार देना महज एक भौतिक क्रिया ही नहीं है बल्कि यह भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है। हम यूं ही किसी को उपहार नहीं देते किसी को उपहार देने का अर्थ होता है कि वह हमारे लिए खास है। उपहार देना भावनाओं का आदान-प्रदान होता है जो रिश्तो को और गहरा तथा मजबूत बनाता है। उपहार देने का उद्देश्य किसी व्यक्ति को खुश करना भर नहीं बल्कि उसे यह महसूस करना होता है कि वह हमारे लिए कितना खास है...। कितना अहम है..। उपहार के माध्यम से हम यह संदेश देते हैं कि हम आपके बारे में सोचते हैं.!  आपकी परवाह करते हैं....!  और आपको अपनी खुशियों में शामिल करना चाहते हैं।

जब आप कुछ कहें ना तो उपहार दें -


यह तो सर्वविदित है कि उपहार सामाजिक बंधन भी मजबूत बनाते हैं, खुशियाँ देते हैं... अच्छी हमारी भावना को बढ़ाते हैं। जानिए उपहार किस तरह से विविधता में मधुरता घुलता है --
""जब आप किसी को उपहार देते हैं तो यह उन्हें स्पेशल फील करवाता है। कभी-कभी कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं को बोल कर नहीं कह पाता, तो उपहार उन भावनाओं को अभिव्यक्त करने में मदद करता है। यह एक तरह से वायरलेस भाषा बन जाती है।  यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिक इमिलियन साइमन थैमस ने कहा  कि "अपने पास रखें और पैसे खर्च करने से हमें सबसे ज्यादा खुशी मिलती है। उपहार लें और दें दोनों से ही खुशी मिलती है।" 
 

 कृष्ण  पर उपहार देने की परंपरा -

यूरोपीय इतिहास कर एंड्रूहान के अनुसार नव पाषाण काल ​​में 21 या 22 दिसंबर को लोग नए साल के जश्न के लिए एस्टनहेंज जैसी जगह पर एक पर एक समूह को दूसरे उपहार देते थे। पूर्व रोमन काल में भी नए साल पर उपहारों की परंपरा थी।  लोग पवित्र पैड की शाखाएं भी ढूंढते थे।  13वीं शताब्दी में  हेनरी तृतीय के शासन काल से  सत्रहवीं शताब्दी तक नए वर्ष पर उपहारों की परंपरा जारी रही। 19वीं शताब्दी से उपहार देने की परंपरा नए साल से हटकर  क्रिस्मश पूर्व संध्या पर सांता क्लॉज के आगमन से जुड़ी हुई। 


25 दिसंबर को क्रिसमस क्यों माना जाता है -

ईसाई धर्म के अनुसार  प्रभु यीशु मसीह का जन्म 25  को हुआ था, इसी कारण इस दिन को क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। ईसा मसीह का जन्म मरियम के घर हुआ था। सिद्धांत यह है कि मरियम को एक सपना आया था। इस सपने में प्रभु के पुत्र जीसस के जन्म की भविष्यवाणी की गई थी।

बच्चों की चिटिया--

छुटियो के मौसम की आपाधापी में हम कभी-कभी छोटी-छोटी बातें भूल जाते हैं, जो हमें खुशियां देती हैं। काफी दिनों से निहान सांता क्लॉज़ को चिट्ठी लिखने  की जिद करा रहा है। वह पांच साल का है। खैर उसे यह नहीं पता कि सांता क्लॉज क्या असल में हैं या नहीं, लेकिन उसके अंदर एक उम्मीद जरूर है कि वह तकिए के नीचे अपना विश् लिखकर सोएगा तो अगली सुबह वन्ह जरूर पूरी होगी। ये नन्हीं-सी उम्मीद सिर्फ एक ही की नहीं, बल्कि करोड़ों बच्चों की होती है। सांता को लेटर राइटिंग आज से शुरू नहीं हुई, बल्कि दो सदी पूर्व से यह सिलसिला चला आ रहा है। आपको बताते है सांता को ख़त लिखने से जुड़ी ऐसी ही रोचक बातों के बारे में ...

 

  बच्चे ने पूछा क्या सच में आते हैं, सैंटा -



सांता क्लॉज को 1821 में न्यूयॉर्क के संपादक एफ.पी.चर्च ने अंग्रेजी मासिक पत्रिका में प्रकाशित किया था । यह पत्र एक बच्चे का नाम संप्रेषित किया गया था, जिसने अपनी मां से पूछा था कि सांता क्लॉज असल में है या नहीं। साता की तरह यह भी रहस्य है कि पहली बार साता को कब पत्र लिखा गया था। इसको लेकर अलग-अलग अवधारणाएँ हैं। साथ ही बात करें इन पत्रों की डिलिवरी की तो सुरुवात में अमेरिकी डाक सेवा इन  खतो को डिलीवार करने योग्य नहीं मानती थी। और उन्हें डेड लैंटर कार्यालय में भेज दिया जाता था।  20वीं सदी के अंत में दानदाताओं ने इन खतों के प्रति रुचि दिखाई। 


सेंटा क्लाज ने ख़त लिखकर सिखाया सिस्टाचार -


19वीं सदी की शुरुआत में सांता क्लॉज़.... एक हँसमुख व्यक्ति नहीं था, बल्कि उसकी छवि एक कठोर अनुषासक के रूप में थी। वह बच्चों को खत लिखकर शिष्टाचार का पाठ...पढ़ाता था। सांता के प्रारंभिक पत्र उपदेशात्मक होते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में सेंट निकोलस डे की पहली छवि, जिसे 1810 में न्यूयॉर्क में हिस्टॉरिकल सोसाइटी की ओर से प्रकाशित किया गया था। फिर माता-पिता भी बच्चों को क्रिसमस पर पत्र लिख ने लगे  जिसमें पिछले वर्ष के उनके व्यवहार और उसमे सुधार के निर्देश शामिल थे। 

 इस तरह बनी आधुनिक संता क्लाज कि छवि -


आज के आधुनिक सांता क्लॉज़ का अस्तित्व 1930 में आया था। हेडन सैंडब्लोम नामक एक कलाकार एक ठंडे पेय के विज्ञापन सांता के रूप में 33 वर्ष (1931 से लेकर 1964 ) तक दिखाई दिया। सांता का यह नया अवतार लोगों को खूब पसंद आया और आखिरकार इसे सांता का नया अवतार माना गया, जो आज तक लोगों के बीच काफी मशहूर है। इस तरह धीरे-धीरे क्रिसमस और सांता का साथ गहराता चला गया और सांता पूरी दुनिया में मरहूर होने के  साथ बच्चों के चहेते बन गये। 


ख़ुद बनाये प्यारा सा गिफ्ट -


क्रिसमस पर अपने प्रियजनों  ओर बच्चों को ग्रिफ़्ट देना है; तो क्यू ना खुद  कुछ बनाकर दिया जाय। ये गिफ्ट उन्हें बाजार के गिफ्ट से अच्छा लगेगा। 

आप किसी की पसंद को देखकर खुश हो सकते हैं। जैसे किसी को केक आदि बहुत पसंद है, तो घर पर केक जरूर बताएं। इसी तरह और भी खाने-पीने की चीजें बना सकते हैं। इसे घर पर ही पैक करें। पैकिंग में घर पर पडी हुई चीजों का उपयोग करे। 


परिवार में बढ़ता है प्रेम -



क्रिसमस ट्री घर में प्रेम को पुनः प्राप्त करें। यह तनाव को कम करता है। जब सब सामूहिक रूप से क्रिसमस ट्री सजाते हैं तो अच्छा लगता है। नकरमकता घर में दबंग नहीं हो शहर। घर की नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म हो जाती है। इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा ख़त्म हो जाती है। डेकोरेशन में काम आने वाली चीजें घर में बनी रहती हैं और घर को आकर्षक लगती हैं। जैसे--नामोलोक से अच्छी ऊर्जा का आगमन होता है। 


 इसलिए कहते हैं, मैरी क्रिसमस -
  

हैप्पी की जगह मैरी क्रिसमस इसलिए बोला जाता है  क्यूकी इसमे भावनाएं थोड़ी और जुड़ जाती हैं। यह प्यार जटने, मजा और जिंदादिली से जुड़ा है। साहित्य कार चार्ल्स डिकेंस ने मैरी वर्ड को लोकप्रिय बना दिया। कुछ लोगों का मानना ​​है कि इशू की मां का नाम मरियम था। जो मैरी के नाम से भी मशहूर थी। 


प्रश्न 1. क्रिसमस कब मनाया जाता है..? 


क्रिसमस की शुरुआत चौथी शताब्दी में हुई थी मणि लेकिन इसकी तारीख  ईसा मसीह की जन्मतिथि के आधार पर कोई बदलाव नहीं किया गया था। कहा जाता है कि  पोप जूलियस 1 ने इसे तब चल रहा था जब पृथ्वी के मौसम में मनाए जाने वाले त्योहारों को देखते हुए यह तारीख दी गई थी ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग यह पर्व मना सकें। 

प्रश्न 2. क्रिसमस क्यों मनाया जाता है..?

क्रिसमस को बड़े दिन के नाम से भी जाना जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि यूरोप में कुछ लोग जो ईसाई समुदाय से नहीं थे वे सूर्य के उत्तरायण के उत्सव के रूप में 25 दिसंबर को मनाते थे। ऐसा माना जाता है कि 25 दिसंबर से दिन में वाहन चलाना शुरू हो जाता है। इसलिए इस तिथि को सूर्य के पुनर्जन्म का दिन माना जाता है। कहा जाता है कि इसी वजह से ईसाई समुदाय के लोग भी 25 दिसंबर को प्रभु यीशु का जन्मदिन मनाते हैं और इस दिन क्रिसमस मनाते हैं, इससे पहले ईस्टर ईसाई समुदाय के लोगों का खास त्योहार होता था। 




ब्लॉग का नाम -   प्रेरणा डायरी
वेबसाइट -  prernadayari.com
केदार लाल - प्रमुख एसोसिएट प्रेरणा डायरी ब्लॉग।

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