हम क्यों नहीं बदल पातें हैं अपनी आदतें..? आदत बदलने के 7 सटीक रामबाण उपाय। जुलाई -2024
प्रेरणा डायरी ब्लॉग। www.prernadayari.com
तुड़ावली , राजस्थान , भारत
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टेबल ऑफ़ कंटेंट --
1. आदत क्या होती है - परिभाषा।
2. आदत के प्रकार।
- यांत्रिक आदत।
- शारीरिक इच्छा संबधित आदत।
- नदी मंडल संबंधी आदत।
- भाषा या बोलने संबंधी।
- आदत नैतिक आदत।
-भावना संबंधी आदत
- विचार संबंधी आदत।
3. जल्दी लगती हैं गलत आदत।
4. अच्छी आदत डालें।
5. बदलाव का विरोध करता है हमारा मन।
6. संकल्प शक्ति से पराजित होती हैं अवांछनीय आदत।
7. 3r के नियम की मदद से बदलें आदत।
8. आदत बदलने के बेहतरीन उपाय -
- संकल्प
- अभ्यास
- आत्म सुझाव
- नई आदतों का निर्माण
- संगति में परिवर्तन
- पुरस्कार
- आदत का एक साथ या धीरे-धीरे त्याग
9. निष्कर्ष।
10. महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर।
जो कार्य हमें पहले कठिन जान पड़ता है, वह सीखने के बाद सरल हो जाता है।हम उसे जितना दोहराते हैं वह उतना ही सरल होता चला जाता है। कुछ समय के बाद हम उसे बिना ज्ञान किए बिना प्रयास किए बिना सोचे समझे जिओ का क्यों करने लगते हैं। इसी प्रकार के कार्य को आदत कहते हैं। दूसरे शब्दों में आदत एक सीखा हुआ कार्य या अर्जित व्यवहार है जो सत्य होता है।
आदत के अर्थ को और अधिक स्पष्ट रूप से समझने के लिए लिए हम प्रसिद्ध विद्वानों की परिभाषाओं को देखते हैं-
1. गैरेट -
"आदत उसे gव्यवहार को दिया जाने वाला नाम है जो इतनी अधिक बार दोहराया जाता है कि यात्रावत हो जाता है।"
2. लेडेल -
"आदत कार्य का वह रूप है जो आरंभ में सुवेछा से और जानबूझकर किया जाता है, पर जो बार-बार किए जाने के कारण स्वतः हो जाता है।"
3. मरसेल -
" आदतें व्यवहार करने की और परिस्थितियों एवं समस्याओं का सामना करने की निश्चित विधियां होती हैं।"
आदतों के प्रकार -
आदते अच्छी और बुरी दोनों प्रकार की होती हैं इनका संबंध सोने जन कार्य करने और अनुभव करने से होता है। कई विद्वानों और मनोवैज्ञानिकों ने आदतों का वर्गीकरण किया है लेकिन वैलेंटाइन का वर्गीकरण सबसे प्रमुख है। वेलेंटाइन आदतों को 7 भागों में विभाजित किया है, जो इस प्रकार है --
1. यांत्रिक आदत -
इनका संबंध शरीर की विभिन्न एक्टिवीटीयों यानी गतिविधियों से होता है। यह ऐसी आदतें हैं जिन्हें मानव स्वतः करता है। ऐसी आदतों को हम बिना किसी प्रयास के कर सकते हैं जैसे कोर्ट के बटन बांधना जूते के फीते बांधना अपनी टाई बांधना आदि आदतें इस तरह यांत्रिक आदतों में शामिल होती हैं।
2. शारीरिक इच्छा संबंधी आदतें -
इनमें उन आदतों को शामिल किया जाता है जिनकी इच्छा हमारे शरीर को उत्पन्न होती है. इन आदतों का संबंध शरीर की अभिलाषाओं की पूर्ति से होना है होता है जैसे -- खाना खाना स्नान करना सिगरेट पीना धूम्रपान करना आदि।
3. नाडी मंडल संबंधी आदतें -
इनका संबंध मस्तिष्क तंत्र से जुड़ा होता है। यह व्यक्ति के मानसिक संतुलन और संवेगात्मक संतुलन को व्यक्त करती हैं। जैसे नाखून का चबाना, पढ़ते वक्त बार-बार कलाम को चबाना, किसी दूसरे से बात करते वक्त सर में या और स्थान पर बार-बार खुजलते रहना आदि।
4. भाषा संबंधी आदतें / बोलने से संबंधित आदत है -
ऐसी आदतों का संबंध बोलने से होता है। जिस प्रकार हम दूसरों को बोलते हुए देखते हैं, उसी प्रकार हम बोलकर अपनी इन आदतों का निर्माण करते हैं। जैसे आपने देखा होगा कि कुछ पेरेंट्स अनेक ऐसे शब्द होते हैं जिनका उच्चारण ठीक से नहीं कर पाते और उन्हें गलत बोलते हैं, तो उनके बच्चे भी उसे गलत उच्चारण को ही बोलने लग जाते हैं। क्योंकि बड़ों को ऐसा बोलते देखकर उन्होंने भी धीरे-धीरे इसे अपनी आदत बना लिया। कई बार हम देखते हैं कि शिक्षक शब्दों का गलत उच्चारण करता है तो बालकों को भी वैसी ही आदत लग जाती है।
5. भावना संबंधी आदतें -
इन आदतों का संबंध व्यक्ति की भावनाओं से होता है। यह है प्रेम, घरणा, एवं सहानुभूति की भावना से संबंधित आदतें होती हैं। इनमें से जिस तरह के माहौल में एक बालक या व्यक्ति बड़ा होता है, उसमें इस तरह की भावनाओं की प्रबलता होती है। जैसे प्रेम के माहौल में प्ले बड़े बालकों में आगे चलकर सबके प्रति प्रेम एवं सहानुभूति की भावना है देखी जाती।
6. नैतिक आदतें -
इसके अंतर्गत उन आदतों को शामिल किया जाता है जिन आदतों का संबंध नैतिकता से होता है। नैतिकता होती है जैसे- सत्य बोलना दया करना पवित्र चरित्रवान बनना।
7. विचार संबंधी आदतें -
इनका संबंध आंशिक रूप से व्यक्ति के ज्ञान और उसकी रुचियां एवं इच्छाओं से संबंधित होता है। जिस तरह के इंसान के विचार होते हैं उसे वैसी ही आदतें पड़ जाती हैं। जैसे एक व्यक्ति के विचार हिंसात्मक है तो उसे हिंसा करने की आदत लग जाती है अर्थात ऐसा आदमी झगड़ालू एवं मारपीट करने वाला हो जाता है।
जल्दी लगती है गलत आदतें --
"गलत आदते इंसान को बड़ी जल्दी लग जाती हैं। वहीं कई कोशिशें करने के बाद भी ये आदतें छूटने का नाम नहीं लेती। आपकी रोजाना की जिंदगी में ऐसी कई आदतें हैं जो आपके आने वाले जीवन में गहरा नुकसान पहुंचा सकती हैं। ऐसे में इन आदतों को छोड़ने के लिए आपको मजबूत कदम उठाने होते हैं। चाहे वो सिगरेट की लत हो या सोशल मीडिया पर लगे रहने की बुरी आदत..। ये सभी इसी तरह की आदतें हैं, जिन्हें शुरू तो हम अपनी मर्जी से करते हैं मगर खत्म नहीं कर पाते।
प्रेरणा डायरी की एक और बेहतरीन पोस्ट में आज आदतों संबंधी इसी मुद्दे पर चर्चा केंद्रित रहेगी। आज के लेख में हम अपनी आदतों पर चर्चा करेंगे। एक इंसान को बनाने या बिगड़ने में उसकी आदतों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसीलिए तो महान मनोवैज्ञानिक ड्राइडेन ने कहा है कि "पहले हम अपनी आदतों का निर्माण करते हैं फिर हमारी आदतें हमारा निर्माण करती हैं"। हम सभी सफल जीवन जीने के लिए पैदा हुए मगर हमारी आदतें और माहौल हमें असफलता की ओर ले जाते हैं। हमारा जन्म जीत के लिए हुआ है मगर हम इस ढंग से ढल जाते हैं कि हारना सीख लेते हैं। हम अक्सर ऐसी बातें सुनते रहते हैं कि फलां आदमी की किस्मत अच्छी है, मिट्टी छूता है तो सोना बन जाती है या फिर वह बहुत बदकिस्मत है कुछ भी छुए तो मिट्टी हो जाता है"। अगर हम जांच पड़ताल करें, और घटनाओं पर बारीकी से गौर करें, तो पता चलता है कि जाने अनजाने सफल लोग अपने हर काम मैं सही कदम उठा रहे हैं। जबकि असफल लोग बार-बार उन्ही गलतियों को दोहरा रहे हैं। कुछ लोग अपनी गलतियों को ही अपनी प्रेक्टिस बना लेते हैं और वह उसी में पूर्णता हासिल कर लेते हैं। वह गलतियां करने में माहिर हो जाते हैं। और गलतियां उनसे खुद ब खुद होने लगती है। पिच पर लोग अपना काम आसानी से इसलिए कर जाते हैं क्योंकि उन्होंने उस काम में पूरी महारत हासिल कर ली है। बहुत से लोग काम सिर्फ तरक्की को दिमाग में रखकर करते हैं लेकिन जिनकी इच्छा काम करने की आदत बन जाती है, तरक्की के असली हकदार वही है।
" श्रेष्ठता और सफलता किसी एक काम से नहीं बल्कि एक समूची आदत के परिणाम के तौर पर हासिल होती है"।
-- अरस्तु।
अच्छी आदतें डालें --
हमारा ज्यादातर व्यवहार आदतन होता है। यह बिना सोचे समझे अपने आप होता रहता है। चरित्र हमारी आदतों का मिला-झुला रूप होता है। अच्छी आदतों वाला इंसान अच्छे चरित्र वाला माना जाता है। ठीक इसी तरह बुरी आदतों वाला इंसान बुरे चरित्र वाला माना जाता है। आदतें शुरू में मामूली सी लगती है वह इतनी मामूली होती है कि हम उन पर ध्यान नहीं देते और बाद में वह इतनी मजबूत हो जाती है कि उनसे छुटकारा मिलना मुश्किल होता है। आदतों का विकास या तो अनजाने में होता है या फिर निश्चय पूर्वक होता है। यदि हम सोच समझकर आदतें बनाने का फैसला नहीं करते तो हम अनजाने में बुरी आदतों के शिकार हो जाते हैं।
बदलाव किसी भी समय लाया जा सकता है चाहे हमारी उम्र कुछ भी हो या आदत कितनी भी पुरानी हो यदि हम दिल से चाहते हैं कि हमें यह बुरी आदत बदलना है तो हम उसे बदल सकते हैं। एक पुरानी कहावत है कि "बूढ़े कुत्ते को नई कलाबाजियां नहीं सिखाई जा सकती"। पर यह कहावत गलत है। हम लोग कुत्ते नहीं हैं इंसान हैं। और हम कलाबाजियां नहीं सीख रहे हैं, हम बुरी और नुकसान पहुंचाने वाली आदतों से छुटकारा पाना चाहते हैं । और अच्छी आदतें डाल सकते हैं। नाइटेंगल ने कहा है कि- "सफल लोगों का राज यह है कि वह उन कामों को करने की आदत डाल लेते हैं जो असफल लोग करना नहीं चाहते हैं, और ना ही करते हैं"। जरा उन चीजों बारे में सोचिए जो असफल लोग नहीं करना चाहते हैं। जैसे मैं एक उदाहरण देकर आपको बताता हूं -- आपने देखा होगा की असफल लोग अनुशासन और मेहनत करना पसंद नहीं करते सफल लोग भी अनुशासन और कड़ी मेहनत ( एक खिलाड़ी रोज उठकर सुबह प्रेक्टिस करने का अनुशासन ना तो चाहता है, नाहीं पसंद करता है, लेकिन फिर भी ऐसा नियमित रूप से करता है। क्योंकि इन लोगों ने उन कामों को करने की आदत डाली जो असफल लोग नहीं कर पाते। अच्छी आदतें बदलाव का नतीजा होती है। हम बुरी आदतों को बदलकर अच्छी आदतों बनाते हैं।
सभी आदतें बहुत छोटे रूप में शुरू होती हैं लेकिन बाद में इनसे छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है। सोने का गलत तरीका एक आदत है और इसे बदला जा सकता है। जरूरत इस बात की है की पुरानी बुरी आदतों को बदलकर नई अच्छी आदतों को अपनाया जाय। हम बदलाव करके अच्छी आदतों का निर्माण कर सकते हैं। अपनी पुरानी बुरी आदतों को छोड़कर नई अच्छी आदतें बना सकते हैं।
बदलाव का विरोध --
बदलाव एक तकलीफ देह प्रक्रिया है। आदमी का स्वभाव बदलावों का विरोध करता है। अर्थात बदलाव विरोधी होता है। अब इन बातों को पढ़कर आपके मन में एक सवाल उठ रहा होगा कि जब हम अपनी बुरी आदतों को पहचान लेते हैं, तो फिर उन्हें बदलते क्यों नहीं..? इसका कारण यह है कि इन्हें बदलने की जिम्मेदारी कबूल करने से उनका मन इनकार कर देता है। अपनी आदतों को बनाए रखने में उन्हें मजा आता है। एक इंसान के सामने जब भी गंदी आदतों को छोड़कर अच्छी आदतें अपनाने की बात आती है तो वह बहाने बनाने लगता है। क्योंकि अच्छी आदत डालने से और बुरी आदत को छोड़ने से जो शारीरिक और मानसिक बदलाव इंसान की जिंदगी में होते हैं उन्हें स्वीकार कर पाना एक बड़ी चुनौती होती है। बल्कि बदलाव में दर्द होता है क्योंकि किसी लंबी पुरानी आदत को बदलने में आदमी को अनेक क़स्ट और समस्याओ के दौर से गुजरना पड़ता है।
संकल्प शक्ति से पराजित होती हैं अवांछनीय आदतें --
अवांछनीय आदत को पहचानें. इससे पहले कि आप वास्तव में अपने किसी भी पहलू को बदल सकें, आपको यह स्वीकार करना होगा कि कुछ बदलने की जरूरत है। और उस आदत की पहचान करें जिसे आप तोड़ना चाहते हैं। शायद किसी ने आपसे कहा हो कि आप कुछ परेशान करने वाला काम कर रहे हैं, या हो सकता है कि आपने पहले ही पहचान लिया हो कि आपकी कोई आदत किसी तरह से आपकी भलाई को प्रभावित कर रही है। आपकी स्थिति चाहे जो भी हो, यह पहचानना कि आपके जीवन में एक गलत आदत के कारण कुछ अच्छा नहीं हो रहा है। और आप उसे पूरी आदत को छोड़ने का संकल्प लेते हैं तो बदलाव की दिशा में यह पहला कदम होगा । अपने जीवन में वर्तमान में मौजूद सभी अवांछनीय स्थितियों के बारे में सोचें। क्या आप पैसों की समस्या से परेशान हैं..? मोटापा या धूम्रपान करने वालों की खांसी जैसी स्वास्थ्य समस्याएं..? स्वच्छता संबंधी समस्याएँ..? अपने आप का एक ईमानदार मूल्यांकन करें और अपने जीवन के उन क्षेत्रों की पहचान करें जो आपके लिए समस्याएँ पैदा कर रहे हैं।
एक बार जब आप अपने जीवन में अवांछित स्थितियों की पहचान कर लेते हैं, तो एक कदम पीछे हटें और यह निर्धारित करने के लिए अपने व्यवहार और अपने कार्यों का विश्लेषण करें कि आप क्या कर रहे हैं जो उन स्थितियों का कारण/बन रहा है। क्या आपकी पैसों की समस्या अनिवार्य खरीदारी के कारण है? शायद वज़न की समस्या ख़राब आहार या व्यायाम की कमी के कारण होती है? धूम्रपान करने वाले की खांसी निर्विवाद रूप से धूम्रपान के कारण होती है, जिससे धन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
अधिकांश अवांछनीय आदतें तीन श्रेणियों में से एक में आती हैं: मन की आदतें (जैसे कि अपने बारे में नकारात्मक विचार सोचना), उपभोग की आदतें (जैसे अधिक खाना या सिगरेट पीना), और व्यवहार की आदतें (जैसे उत्सुकता से नाखून काटना, या होंठ काटना और गाल भींचना ) यह पहचानने से कि आपकी आदत इस स्पेक्ट्रम में कहाँ आती है, आपको अन्य कारकों की पहचान करने में मदद मिल सकती है।
थ्री -आर नियम की मदद से बदलें आदत है -
इस नियम के मुताबिक आदतें तीन तरह से बनती है और तीन तरह से ही बदली भी जा सकती है। लेखक जेम्स क्लियर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 3r में इस सिद्धांत का विस्तार से वर्णन किया है। मैं संक्षिप्त में आपको इसकी अर्थ बता रहा हूं। प्रसिद्ध विद्वान जेम्स क्लियर का यह सिद्धांत बताता है कि कोई भी अच्छी या बुरी आदत बदलने के तीन तरीके हैं। और वह तरीके हैं - थ्री - आर अर्थात
1 रिमाइंडर।
2. रूटिंग, और
3. रिवॉर्ड ।
अपने आप को याद दिलाते रहे कि आपका कौन सा व्यवहार आपकी किस आदत के लिए जिम्मेदार है। यह देखते रहे कि आपकी कौन सी आदत आप पर हावी होती है..? और किसी वक्त हावी होती है..? रूटिंग यानी अनियमितता के बगैर कोई भी आदत नहीं बन सकती। हम लंबे समय तक और नियमित रूप से जिस कार्य को करते हैं वह हमारी आदत बन जाती है। रूटिंग का परिणाम होती है आदतें इसीलिए अपनी रूटीन पर काम कर करके आप आदतों को छोड़ सकते हैं और रिवॉर्ड यानी पुरस्कार अर्थात प्रोत्साहन यानी की अच्छी आदत है अपनाते वक्त आप खुद की तारीफ करें छोटी-छोटी चीजों का उत्सव मना है।
अगर आप अपनी कोई आदत बदलना चाहते हैं तो 3r के हिसाब से काम शुरू कर सकते हैं।
अब हम इस आर्टिकल के सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव की ओर आते हैं। इस पड़ाव में हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि "ठीक हैं,... हमें बुरी आदतें लग गई, पर अब हम ऐसा क्या करें कि अपनी इन बुरी आदतों को बदल सकें..? अब हम इन्हें कैसे बदल सकते हैं..? अपनी बुरी आदतों को छोड़कर कैसे नई और अच्छी आदतों का निर्माण कर सकते हैं...?
दोस्तों अब मैं आपको 10 ऐसे उपाय या टिप्स देने जा रहा हूं जिनके माध्यम से किसी भी अच्छी आदत को अपना सकते हैं तथा बुरी आदत को अपने जीवन से निकाल कर बाहर कर सकते हैं।
1. संकल्प -
यदि आप अपने जीवन में किसी एक अच्छी आदत को अपनाना चाहते हैं। या फिर किसी बुरी आदत का शिकार है और उसे छोड़ना चाहते हैं। इन दोनों में से आपको कुछ भी करना हो, तो सबसे पहले आपको जिस चीज की जरूरत पड़ेगी वह है आपकी - संकल्प शक्ति। संकल्प शक्ति एक ऐसी ताकत है जिसके सहारे आप बड़े से बड़े मुश्किल काम को भी आसानी से कर सकते हैं। यदि आप किसी भी अच्छी बात से प्रभावित हैं और उसे अपने जीवन में उतरना चाहते हैं..। अपनी आदत बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे पहले आपकी संकल्प शक्ति का मजबूत होना जरूरी हैं। एक बार संकल्प लेकर पीछे ना हटे। संकल्प शक्ति एक ऐसी ऊर्जा है जिसके सहारे आप किसी भी मुश्किल से मुश्किल कार्य को आसानी से कर सकते हैं।
छात्रों को अपनी बुरी आदतों को छोड़ने के लिए दृढ़ संकल्प करना चाहिए। मनोवैज्ञानिक जेम्स सुझाव देते हैं कि छात्रों को बुरी आदतों को छोड़ने का संकल्प एकांत में न करके अपने मित्रों, संबंधियों, तथा माता-पिता आदि के समक्ष करना चाहिए। ऐसा इसलिए कि उन्हें मित्र और माता-पिता बीच-बीच में अपनी बुरी आदतों को छोड़ने का संकल्प याद दिलाते रहे। संकल्प शक्ति के सहारे आप अपनी बेड हैबिट से मुक्ति पा सकते हैं।
जैसे -- मान लेते हैं कि आपको धूम्रपान करने की गंदी आदत लग गई है। और अब आप यह जान चुके हैं कि धूम्रपान से अनेक मानसिक और शारीरिक रोग होने का खतरा है साथी यह आर्थिक रूप से भी नुकसानदायक है। अब आप इस लत से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे पहले आपको अपनी संकल्प शक्ति को मजबूत करना होगा। यदि आपके अंदर धूम्रपान छोड़ने की दृढ़ संकल्प शक्ति है तो आप इसे आसानी से छोड़ सकते हैं। संकल्प शक्ति के अभाव में आपके बाकी प्रयास भी धरे रह जाते हैं।
2. ठीक अभ्यास -
यदि व्यक्ति में कोई गलत कार्य करने की आदत पड़ गई है तो वह उसका ठीक अभ्यास करके उसका अंत कर सकता है। बार-बार अभ्यास करके आप किसी भी बुरे कार्य से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण अर्थ यदि आपको कुछ शब्दों को गलत बोलने की आदत लग गई है तो उन शब्दों को बार-बार शुद्ध बोलकर या शुद्ध लिखकर आप उनका सही उच्चारण कर सकते हैं, और गलत उच्चारण करने को छोड़ सकते हैं।
3. आत्म सुझाव -
आत्मा सुझाव से तात्पर्य है कि एक व्यक्ति बुरी आदत को छोड़ने के लिए अपने मन को बार-बार जो अच्छा संदेश देता है उसे ही आत्म सुझाव कहा जाता है। उदाहरण के लिए यदि आपको सिगरेट पीने की आदत है और आप इसे छोड़ना चाहते हैं तो आपको बार-बार यह कहते रहना चाहिए कि - सिगरेट पीने से कैंसर हो जाता है। इस तरह का मैसेज आप अपने मस्तिष्क में बार-बार पहुंचते हैं तो धीरे-धीरे हमारा दिमाग इस बात को समझने लगता है और वह उसे सिगरेट से नफरत होने लगती है तथा इस तरीके से धूम्रपान करने की गंदी आदत छूट जाती है।
4. नई आदतों का निर्माण करें -
यदि आपको किसी बुरी आदत का प्रत्य करना है तो उसके स्थान पर किसी नई और अच्छी आदत का निर्माण करना चाहिए। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक भाटिया के शब्दों में-" अच्छी आदत, बुरी आदत की प्रकृति कारण को अवसर नहीं देती आत: उसका स्वयं ही अंत हो जाता है।
उदाहरण अर्थ आपको तंबाकू चबाने की गंदी लत लगी हुई है। और आप इसे छोड़ना चाहते हैं, तो आप तंबाकू या गुटखा चबाने के स्थान पर अपने मुंह में अदरक का टुकड़ा या सौंफ के कुछ दाने रखकर उन्हें धीरे-धीरे चूसते रहे। इससे आपको चबाने की आदत से छुटकारा मिलेगा और तंबाकू चबाने की बुरी आदत को छोड़ने में मदद प्राप्त होगी।
5. संगति में परिवर्तन --
दोस्तों संगति के बारे में कहा जाता है कि यह अपना असर जरूर दिखाई है। यानी आप अच्छी संगत में रहेंगे तो आपके आचरण पर अच्छा असर पड़ेगा और यदि आप बुरी संगति में रहेंगे तो आपके ऊपर निश्चित रूप से बुरी आदतों का असर दिखाई देगा. कभी-कभी बालक में बुरे बालकों के संगत के कारण चोरी झूठ बोलने विद्यालय से भागने और नशा करने जैसी बुरी आदतें लग जाती हैं। जिन गलत आदतों के शिकार आप बुरी संगति के कारण हुए हैं तो ऐसी गलत संगत को तुरंत छोड़ देना चाहिए। ऐसी दशा में शिक्षक की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है शिक्षक को यह प्रयास करना चाहिए कि वह बालक की बुरी संगति को छोड़ने के लिए प्रेरित करें और उसे इस कार्य में बालक के माता-पिता का भी सहयोग प्राप्त करना चाहिए।
6. पुरस्कार -
पुरस्कार हमें अच्छी कार्य करने की प्रेरणा देता है। पुरस्कार के माध्यम से हम बालको से उनकी बुरी आदतों को छुड़वा सकते हैं। इस संबंध में प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक बोरिंग कहते हैं कि" पुरस्कार दंड से उत्तम है जबकि प्रशंसा निंदा से उत्तम है"। ज्ञानी पुरस्कार और प्रशंसा का प्रयोग करके हम बालक को अच्छे कार्यों की ओर प्रेरित कर सकते हैं।
7. आदत का एकदम या धीरे-धीरे त्याग -
किसी भी बुरी आदत को छोड़ने के दो तरीके होते हैं. एक तरीके के तहत तो हम तुरंत बुरी आदत को एक साथ छोड़ देते हैं। जबकि कुछ प्रयासों के तहत इसे धीरे-धीरे प्रयास करके छोड़ा जाता है। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक जेम्स के अनुसार बालक कुछ आदतों का परित्याग उनको एकदम तोड़कर तो कुछ को धीरे-धीरे तोड़कर कर सकता है उदाहरण के लिए यदि उसमें किसी नशीली वस्तु का प्रयोग करने की आदत है तो वह उसका प्रयोग सदा के लिए एक साथ बंद कर सकता है यदि आदत इससे काम खराब है तो वह धीरे-धीरे इस आदत को छोड़ सकता है. उदाहरण अर्थ यदि किसी बालक को चाय पीने की आदत है। अब यदि यह वह इस आदत को छोड़ना चाहता है तो वह धीरे-धीरे चाय पीना कम कर सकता है या एक साथ संकल्प लेकर उसे बिल्कुल बंद कर सकता है।
निष्कर्ष -
आदतें बालक के चरित्र का निर्माण करती हैं। वह अपनी आदतों के कारण ही कर्मठ या अकर्मण्य, उदार या स्वार्थी, दयाल या कठोर बनता है। इसीलिए कहा गया है कि "चरित्र आदतों का पुंज है"। आदतें बालक के व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं उनके अभाव में उसका व्यक्तित्व प्रभावहीन हो जाता है आदतें व्यक्तित्व का ही आवरण होती हैं। आदतें बालों को समाज के अनुकूल कार्य करने में सहायता देती हैं
ब्लॉग -- प्रेरणा डायरी ब्लॉग।
राइटर -- केदार लाल
वेबसाइट -- www.prernadayari.com
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