बच्चो को अपनी राह खुद चुनने दें
14/08/2023
Tudawali, Rajasthan 🇮🇳India
नमस्कार दोस्तों प्रेरणा डायरी / motivation dayri की 23 वी post पर आज आप है। हजारों कि तादाद मे बच्चे तैयारी के लिए कोचिंग संस्थानों में प्रवेश लेते है। यहां आने वाले विद्यार्थियों में भी हम वर्गीकरण कर सकते हैं। कुछ विद्यार्थियों में परीक्षाओं में सफल होने का एक जुनून होता है। वे हर हाल में सफलता हासिल करना चाहते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन पर अभिभावक अपनी इच्छाएं थोप देते हैं, लेकिन उनको उसमें दिलचस्पी नहीं होती। वे किसी दूसरी राह पर चलना चाहते हैं। घर के कठोर अनुशासन के कारण बच्चे कुछ बोल ही नहीं पाते और पढ़ने आ जाते हैं। ऐसी स्थिति में उनमें कुंठा पैदा होने लग जाती है। मन की इच्छा, घुटन में बदल जाती है। कठोर अनुशासन वाले .अभिभावक अपने बच्चों के मन के अंदर झांकने की कोशिश ही नहीं करते। हर बच्चा एक सा नहीं होता। इसलिए दबाव में आना स्वाभाविक है। आज के स्पर्धा के दौर में, बच्चे दूसरों की नकल क्यों करें। अपना स्टेटस बनाने के लिए बच्चों के जीवन से खिलवाड़ क्यों? कई बार विद्यार्थी प्रवेश के समय कोचिंग में मोटी रकम फीस के रूप में जमा करने के बाद पढ़ाई में अव्वल नहीं आते हैं, तो वे सोचने लग जाते हैं, अब क्या होगा? जो चाह रहे थे, वह तो अब नहीं बन पाएंगे और गलत कदम उठा लेते हैं। इसके अलावा एक वर्ग विद्यार्थियों का ऐसा भी है, जो गलत संगति में पड़ जाता है। आए कुछ करने और हो क्या गया? तब बात आती है कि किया क्या जाए? सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अभिभावक बच्चों को घर में ऐसा माहौल दें कि बच्चे अपने मन की बात बेझिझक होकर कह सकें और अभिभावक भी उनकी बातों को ध्यान से सुनें, उनकी बातों पर गौर करें। विवेक से उचित निर्णय लें। हर बच्चा डॉक्टर और इंजीनियर नहीं बन सकता। करियर बनाने के और भी रास्ते हैं। बच्चों की पसंद के अनुसार पढ़ने दें। उनको कुछ करके दिखाने का मौका दें। वे जरूर सफल होगे। बच्चों पर अपनी इच्छा न थोपें ।
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