सकारात्मक सोच ही कामयाबी का आधार है।
प्रेरणा डायरी (ब्लॉग )
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टुड़ावली, करौली, राजस्थान- 321610
फरवरी 16, 2025
जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का होना बेहद जरूरी है। इसके अभाव में हम नकारात्मकता की गिरफ्त में आ जाते हैं। सकारात्मक का भाव हमें निरंतर आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। जबकि नकारात्मक भाव एक व्यक्ति की ऊर्जा को नष्ट कर देते हैं उसका उसे समाप्त हो जाता है और साहस तो उसके कोष से विदा ही हो जाता है। आज तो वैज्ञानिक भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि सकारात्मक सोच एक व्यक्ति को कामयाब और सफल बनाती है। नकारात्मक व्यक्ति अधिकतर समय अपने को हारा हुआ महसूस करता है अच्छी से अच्छी अनुकूल परिस्थिति में भी पहले उसकी सृष्टि अपने नकारात्मक पहलू पर ही पड़ती है और वह सकारात्मक पहलू पर ध्यान देने से पूर्व ही निस्तेज हो जाता है।
सकारात्मक सोच की एक खास बात यह भी है कि सकारात्मक सोच से युक्त व्यक्ति अपनी शक्तियों को पहचान एवं उनके उपयोग के लिए प्रेरित रहता है उसकी रचनात्मकता प्रकट हो जाती है हर विषय को वह आगे बढ़ाने के लिए ही देखा है। हर अमरुद को चुनौती के रूप में स्वीकार करता है तभी तो उसका जीवन आनंद से परिपूर्ण हो जाता है और कामयाबी तथा सफलता उसके कदम चूमती हैं। चुनौतियों से पर प्रकार लक्ष्य तक पहुंचाने का सुख केवल सकारात्मक भाव के साथ ही प्राप्त हो सकता है।
कई बार हम सहज ही सकारात्मक सोच को नहीं अपना पाते, क्योंकि हमारा दृष्टिकोण पहले से नकारात्मक हो जाता है। ऐसी क्षमता प्राप्त करना केवल अभ्यास की बात है। जीवन में संस्कारों को तो आसानी से नहीं बदला जा सकता किंतु हम अपनी आदत,व्यवहार और परंपराओं को बदल करके सकारात्मक सोच की शरण प्राप्त कर सकते हैं। व्यक्ति का मन बड़ा चंचल होता है और मन के भाव ही व्यक्ति को चलाते हैं। मन की इच्छा पूर्ति के लिए ही शरीर और बुद्धि कार्य करते हैं। हमारा कार्य अच्छा हो, हम अपने कार्यों में सदा सफल हो, इसके लिए आवश्यक है कि हमारे भाव भी सरल हो। भाव की सरलता से हमारा मन भी सरल होता है और हमारा व्यवहार भी सरल होता है। भाव के सरल होने से जिंदगी के अवरोध काम हो जाते हैं दूसरी बात है कि भाव खुद दृढ़ हूं बिना दृढ़ता के आप लक्ष्य तक कैसे पहुंच सकते हैं..? सकारात्मक भाव कई बार स्थूल भी होते हैं और दृढ़ भी। यह व्यक्ति में साहस जागते हैं। विकट परिस्थितियों में संघर्ष करने की क्षमता देते हैं तथा सदा हमारे अंदर स्फूर्ति रखते हैं।
दोस्तों जैसे हर सिक्के की दो पहलू होते हैं इसी प्रकार हमारी जिंदगी में भी प्रत्येक विचार दो तरह का होता है - सकारात्मक तथा नकारात्मक। कामयाबी के लिए दृष्टिकोण हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए अन्यथा नकारात्मक भाव पर दृष्टि हमें सफल नहीं होने देती। इस बात को एक उदाहरण से समझते हैं। ज्ञान की विधि सीखने के लिए एक युवक एक योगी संत के पास गया और उनके समीप जाकर प्रार्थना की। तब योगी ने उसे युवक से पूछा कि तुम्हें कौन सी वस्तु सबसे अच्छी लगती है - तो युवक बोला कि गए और बंदर। योगी ने कहा कि इन दोनों में से एक को चुनो। वह युवक दोनों में से किसी एक का चयन नहीं कर पा रहा था तब योगी ने कहा कि तुम गाय का ध्यान करो बंदर का नहीं। वह युवक बंदर का जितना ध्यान नहीं करने की कोशिश करता, उतना ही बंदर उसकी ध्यान में ज्यादा आता। गाय का चिंतन तो वह कर ही नहीं पता था। उसने अपनी यह समस्या तब योगी संत को बताई तो वह बोले कि तूने मेरी बात सकारात्मक पक्ष की अपेक्षा नकारात्मक पक्ष को पकड़ लिया तब गाय का ध्यान कैसे संभव होगा..? जीवन में आपको क्या पाना है यही सोच आगे बढ़ाने में सहायक होती है। व्यक्ति का दृष्टिकोण विशेष महत्वपूर्ण होता है। उसके सुख की परिभाषा भी महत्वपूर्ण है। व्यक्ति यदि सकारात्मक भाव नहीं रखता तो वह मन की गहराइयों तक नहीं पहुंच सकता। अन्य व्यक्तियों के प्रति वह सम्मानजनक हो ही नहीं सकता। तब सुख कहां से आएगा..? सुख को बांटने के लिए भी हमें लोगों की जरूरत पड़ती है, दुख को बांटने के लिए भी लोगों की जरूरत पड़ती है। नकारात्मक दृष्टिकोण से आलोचना का भाव बढ़ता है। वह व्यक्ति को मुख्य धारा से दूर ले जाता है। आप कितने ही बड़े हो..। कितने ही धनी हो...। आपको सभी प्राणियों का सम्मान करना आना चाहिए। वसुदेव कुटुंबकम का सूत्र हमारे जीवन में सकारात्मक को प्रकट करता है। अपनी अपनी जगह हर इंसान महत्वपूर्ण होता है। सभी के अंदर कुछ अच्छाई भी होती है तो कुछ बुराइयां भी होती हैं। हम अच्छे काम भी करते हैं और बुरे काम भी हमसे हो जाते हैं। जिनके परिणाम करने वाला भुगत्ता है। फिर आप क्यों नकारात्मकता और आलोचना का मार्ग पड़कर अपनी बुद्धि को खराब करते हैं। किसी का कुछ बिगड़े या नहीं लेकिन आपका शुभचिन तो छीन जाए गाना आती जीवन में आनंद का भाव तभी आ सकता है जब आप हर परिवेश में। हर परिस्थिति में,सकारात्मक रहे हैं।
आई मैं एक छोटा सा उदाहरण आपको और बताता हूं - एक छोटे से गांव में राजीव नाम का एक युवक रहता था वह अत्यंत मेहंदी था लेकिन उसे जीवन में बड़ी विफलताओं का सामना करना पड़ा और वह निराश हो चुका था। सफलता और कामयाबी के लिए वह तरस गया। ऐसे में वह एक दिन एक साधु के पास पहुंचा और बोला बाबा में कितना भी परिश्रम करूं सफलता मेरे पास नहीं आती मेरी सोच और मेरा दृष्टिकोण नकारात्मक हो चुका है। साधु बोल -'बेटा आओ तुम्हें बसंत का एक रहस्य दिखाऊ। संत ने एक पेड़ की तरफ हाथ करके पूछा कि क्या यह सर्दियों में फल देता है..? युवक बोला नहीं बाबा सर्दियों में तो यह सूखा रहता है। साधु बोले कि 'क्या यह पेड़ मृत है..? नहीं। यह सर्दियों में अपनी जड़ों को मजबूत करता है ठंड सहन करता है ताकि बसंत आते ही उसकी हरी-भरी टहनियां मीठे फलों से भर जाए। जीवन में भी नकारात्मकता के दिन सर्दियों के दिनों के समान होते हैं यदि आप धैर्य के साथ उनका मुकाबला करोगे। तो आपकी जिंदगी में भी कामयाबी का बसंत अवश्य आएगा।
राजीव ने साधु की बात को गांठ बांध लिया, उसने सकारात्मक सोच के साथ अपना परिश्रम जारी रखा कुछ वर्षों बाद में गांव का सबसे सफल व्यक्ति बन गया।
Kedar lal - चीफ एडिटर प्रेरणा डायरी ब्लॉग।
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