स्टूडेंट हेल्थ - कैसे बचें स्टूडेंट सर्दी, बुखार ओर निमोनिया से..?

प्रेरणा डायरी (ब्लॉग )
www.prernadayari.com
टोड़ाभीम, राजस्थान - 321610

 प्रेरणा डायरी की एक और बेहतरीन पोस्ट में आप सभी दोस्तों का स्वागत है। 
सर्दियों का मौसम दस्तक दे रहा है। सर्दी हो गई है..?जुखाम हुआ है..? ऐसा करो कि दो दिन आराम कर लो तीसरे दिन अपने आप सही हो जाएगा। सर्दी के लिए भी क्या दवा लेना..! ऐसा ही सुना होगा ना आपने जब आपको जुकाम खांसी बुखार या हरारत महसूस होती है। इन छूट मुठ परेशानियों पर हम अधिक ध्यान नहीं देते पर ऐसा करना भविष्य में कई समस्याओं को जन्म देता है यह समस्याएं हर उम्र में हो सकती हैं लेकिन खास खतरा छात्र, शिशु और बुजुर्गों के लिए है। क्योंकि सामान्य दिखने वाला जुकाम और बुखार उलझती सांसों वाला निमोनिया भी हो सकता है विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में विश्व में निमोनिया के कारण 5 वर्ष से कम आयु के 8 लाख से अधिक बच्चों की मृत्यु हुई थी। इतना ही नहीं यह वयस्कों के लिए भी हल्की से लेकर जानलेवा बीमारी तक का कारण बन सकता है।

 आखिर क्या है निमोनिया  -

 निमोनिया एक तरह का तीव्र स्वसन संक्रमण है जो आमतौर पर वायरल या बैक्टीरिया के कारण होता है। यह संक्रमण आमतौर पर संक्रमित लोगों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। दरअसल फेफड़ों में छोटी-छोटी थालिया बनी होती है जिन्हें अलवियोंली कहते हैं। जब व्यक्ति श्वसन क्रिया करता है तो इनमें हवा भर जाती है। लेकिन जब निमोनिया ग्रसित व्यक्ति होता है तो अलवियोंली संक्रमित तरल पदार्थ से और लंबे समय तक बीमार रहने से मवाद से भर जाती हैं। जिस कारण फेम्पादों में संक्रमण तेजी से फैलता है और सांस लेने पर दर्द होता है। धीरे-धीरे रक्त और फेफड़ों में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इस तरह की संक्रमण को ही निमोनिया कहा जाता है।


 क्या है निमोनिया के लक्षण--

 निमोनिया के कई लक्षण है जिनसे आप इसे पहचान सकते हैं। निमोनिया की प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार खांसी ठंड लगना सीने में दर्द सांस का तेज चलना सांस फूलना सीने में जकड़न पैदा होना थकान मतली मांसपेशियों में कमजोरी सांस लेने पर घर-घर आहट की आवाज हरे रंग का बलगम और कभी-कभी खून वाला बलगम है। बच्चों में निमोनिया के कुछ अलग लक्षण भी देखने को मिलते हैं। इसकी चपेट में आने पर बच्चों में एकदम सुस्ती आना ऐंठन और दूध पीने की कमी देखी जाती है। निमोनिया के शिकार बच्चों के होंठ और नाखूनों का रंग नीला दिखने लगता है।

 निमोनिया से पैदा होने वाली बीमारियां --

 निमोनिया एक गंभीर संक्रमण है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को और श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। यह फेफड़ों के लिए कई समस्या खड़ी कर सकता है इसे नजरअंदाज करना घातक हो सकता है खासकर शिशु छात्र और बुजुर्गों के लिए। यह एक ऐसा रोग है जो सांसों के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। समय पर इलाज नहीं करने से यह आगे चलकर के ही गंभीर बीमारियों को जन्म देता है--

1. क्रॉनिल पलमोनरी डिजीज -
 लंबे समय तक निमोनिया के रहने से सीओपीडी जैसी दीर्घकालिक बीमारी हो सकती है। इससे सांस लेने में तकलीफ खांसी और बलगम जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।

2. फेफड़ों की कार्यक्षमता में गिरावट -

 फेफड़े हमारे श्वसन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इनके कमजोर होने से शरीर के बाकी हिस्सों का सिस्टम गड़बड़ा जाता है। बार-बार निमोनिया होने या उसका इस उचित इलाज न होने पर फेफड़े कमजोर हो जाते हैं इस कारण भविष्य में सांस लेने में कठिनाई फेफड़े का संक्रमण एवं स्वसन तंत्र संबंधी अन्य गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

3. हृदय संबंधी बीमारियां -

 निमोनिया के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी आ जाती है। ऑक्सीजन की कमी हमारे दिल पर भारी पड़ती है। इसके कारण हृदय की धड़कन ए नियमित हो जाती है और आगे चलकर व्यक्ति हृदय रोग से पीड़ित हो सकता है। ऐसी हालत में दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।

4. रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट -

 अधिक सर्दी जुकाम एवं निमोनिया के कारण हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण सिस्टम स्वसन तंत्र गड़बड़ा जाता है। श्वसन तंत्र की गिरावट हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी लाती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने से व्यक्ति बार-बार अनेक बीमारी और संक्रमणों की चपेट में आ जाता है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले छात्रों को अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न होने लगते हैं।

5. फेफड़ों में घाव की समस्या -

 लंबे समय तक सर्दी जुकाम और निमोनिया को अनदेखा करने से फेफड़ों में ने केवल संक्रमण का खतरा बढ़ता है बल्कि धीरे-धीरे फेफड़ों में पास या घाव हो सकते हैं। इससे फेफड़े गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और बाद में इनका इलाज भी जटिल हो जाता है।



 छात्रों के लिए उपचार और सावधानियां --

 अब सर्दियों के मौसम की शुरुआत हो चुकी है। और इन्हीं दोनों छात्रों का परीक्षा शेड्यूल व्यस्त रहता है। फरवरी और मार्च के महीना में बोर्ड तथा इन कक्षाओं की एग्जाम कंडक्ट किए जाते हैं। ऐसे में बीमार होना कई दृष्टियों से नुकसानदायक होता है। आते स्टूडेंट सावधानी बर्तन और स्वस्थ रहें। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि यदि सर्दियों के मौसम में आप अपने स्वास्थ्य को ख्याल रखते हैं और अपने आप को फिट रखते हैं तो सर्दियों के मौसम में सेहत अच्छी रहती है। इन दोनों भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करके आप अपने हेल्थ को इंप्रूव कर सकते हैं। सर्दियों में भोजन आराम से बच जाता है और भूख भी अच्छी लगती है। बस आप अपने आप को खांसी जुकाम निमोनिया जैसी बीमारियों से बचा कर रखें इसके लिए मैं आपको संबंध सी लगने वाली मगर बेहद लाभदायक टिप्स दे रहा हूं।

1. सर्दियों में अपने शरीर को अच्छी तरह से ढक कर रखें।

2. कई बार हम शरीर को अच्छी तरह ढक लेते हैं लेकिन सर कान और पैरों को खुला रखते हैं. कहते हैं सर्दी का प्रवेश या तो पैरों की तरफ से होता है या कानों की तरफ से होता है अतः सर्दियों के मौसम में अपने पैरों और सर तथा कानों को भी कम मफलर या टोपी से टक्कर रखें।

3. सर्दियों के दिनों में अधिक देर तक या स्विमिंग पूल में स्नान न करें।

4. प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें.

5. सर्दियों में भोजन आराम से बच जाता है इसलिए ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें ताकि आप अपने शरीर को पुष्ट कर सकते हैं।

6. सर्दियों में डाल एंड और दूध का भरपूर प्रयोग करें।

8. रूप प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए विटामिन सी युक्त फलों का सेवन अधिक करें।

9. अंकुरित दाल और अंकुरित अनाज का अपने भोजन में अवश्य शामिल करें।

10. दिन में कई बार हल्का गुनगुना पानी पिए। यह कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है साथ ही साथ पेट को साफ रखता
है।

11. सर्दियों में रोज सुबह एक्सरसाइज अवश्य करें इससे आपका शरीर चुस्त दुरुस्त रहेगा।
                   प्रेरणा डायरी ब्लॉग -- "स्वस्थ जीवन" 


12. सर्दी खांसी जुकाम या निमोनिया की शिकायत होने पर चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लें और बताए गए निर्देशों का पालन करें।

 बच्चों के लिए सावधानियां --

1. बच्चों के लिए सबसे महत्वपूर्ण सावधानी है कि उनकी स्वच्छता का ख्याल रखें। उन्हें छूने और खाने से पहले हाथ साफ रखें।

2. अगर घर के किसी सदस्य को जुखाम है तो बच्चों से दूरी बना कर रखें। अगर उनके नजदीक जाना हो और उन्हें चुन हो तो मास्क का प्रयोग करें।

3. शिशु को कुछ वर्ष तक केवल मां का दूध ही दें क्योंकि मां के दूध में सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्व हार्मोन एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबॉडीज होती है जो बच्चों को निमोनिया सहित कई अन्य संक्रमणों से बचने के लिए आवश्यक है।

4. अगर सिंह शिशु को सर्दी हो जाए और डॉक्टर दावों का कोई कोर्स दे तो उसे बीच में ही बंद ना करें, कोर्स को पूरा जरूर करें।

5. इन्फ्लूएंजा की वैक्सीन साल में एक बार दे सकते हैं।

6. निर्धारित समय पर शिशु को तक अवश्य लगे।

7. गीले डायपर को अधिक देर तक न रखें।

8. सर्दियों में शिशु के सर कान एवं शरीर को गर्म सुख कपड़ों से ढक कर रखें।


ब्लॉग - प्रेरणा डायरी ब्लॉग।
वेबसाइट - www.prernadayari.com
Kedar lal - चीफ एडिटर प्रेरणा डायरी ब्लॉग।



 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्रेरणा ( मोटिवेशन ) क्या होता है ...? और क्यु जरुरी हैं...?

नए रास्ते सब..तेरे वास्ते बस...मेरे हमनशी ओ मेरे हमसफ़र ( प्रेरणा डायरी के रोमांटिक और प्रेरणादायक सोंग - 1)

प्रेरित रहने के 7अचूक उपाय - 2025

50 छोटी-छोटी प्रेरणादायक कहानियाँ - ( short motivational storyies) बच्चों के लिए छोटी -छोटी प्रेरणादायक कहानियां..। शिक्षाप्रद कहानियां।

क्या है प्रेरणा डायरी ब्लॉग..? यह स्टूडेंटस में इतना पॉपुलर क्यों है..?

क्या एक इंसान के लिए सब कुछ सम्भव है..?

जीवन बदलने की थेरेपी - सकारात्मक सोच