हिंदी दिवस पर विशेष - हिंदी शर्म का नहीं गर्व का विषय, युवा पीढ़ी में बढ़ रहा है हिंदी का वैभव। हिंदी भाषा से प्रेम करें..।
प्रेरणा डायरी (ब्लॉग ) prernadayari.com
टुडावली, टोडाभीम, राजस्थान - 32 16 10
14 सितंबर, हिंदी दिवस पर विशेष।
प्रेरणा डायरी ब्लॉक की एक और बेहतरीन पोस्ट में आप सभी मित्रों का हार्दिक अभिनंदन। दोस्तों आज 14 सितंबर 2024 है। 14 सितंबर को हम हिंदी दिवस के रूप में मनाते है। हिंदी के महान कवि सुमित्रानंदन पंत ने हिंदी के महत्व को इंगित करते हुए कहा है कि -"हिंदी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है।" भले ही हम दिन-रात हिंदी पढ़ते हैं ओर बोलते है, पर आज भी अधिकतर लोग हिंदी के मूल और विशेषताओं की जानकारी बारे में नहीं होती है। हिंदी के महत्व एवं इसके विस्तार तथा कमजोरी के बारे में छात्र के पास सूचना कम होने के कारण आज का यह आर्टिकल उनके लिए लाभप्रद साबित होगा-
दोस्तों, ताजा रुझानों से पता चला है कि अनेक उपेक्षाओं के बावजूद हिंदी भाषा ने विकास का लंबा सफर तय किया है। और आज उसकी बढ़ोतरी में थोड़ा इजाफा भी हुआ है। धीमी गति से ही सही पर हिंदी का विकास भी हुआ है और विस्तार भी। राजस्थान और देश के नाम चीन अखबार राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर ने हाल ही में एक सर्वे कराया था जो हिंदी भाषा, उसके विकास, महत्व, प्रभाव, को लेकर था। इस सर्वे के तहत आज भी 59.9 % लोगों ने यह माना की हिंदी भाषा का महत्व बढ़ रहा है। जब लोगों से पूछा गया कि क्या हिंदी बोलते वक्त उन्हें शर्म महसूस होती है..? तो आप यकीन नहीं करेंगे 89.5% लोगों का यह जवाब था कि हिंदी बोलते वक्त उन्हें शर्म नहीं गर्व महसूस होता है।अक्सर यह माना जाता है की अंग्रेजी के मुकाबले हिंदी रोजगार प्रदान करने वाली भाषा नहीं है। पर यह मिथक भी टूटा है क्योंकि हिंदी माध्यम से, और आज तो प्राइवेट सेक्टर में भी हिंदी भाषी छात्रों के लिए काफी रोजगार के अवसर है। लोगों का खुद मानना है कि हिंदी के उत्थान और प्रसार में सबसे बड़ी बाधा यही है कि हम लोग अंग्रेजी को ज्यादा अहमियत देते हैं। जबकि हिंदी भाषा एक समृद्ध भाषा है। दोस्तों आज के आर्टिकल में इन चीजों पर काफी विस्तार से चर्चा करते हैं, हिंदी दिवस का महत्व, देश के कार्यालय, साहित्य, रोजगार, सिनेमा, आदि क्षेत्रों में हिंदी के विकास पर बातचीत करेंगे। आगे का आर्टिकल शुरू करने से पहले मैं बता दूं कि आज के इस पूरे कंटेंट को हम निम्न बिंदुओं के तहत विभाजित करके इन सभी प्वाइंटों पर चर्चा करें -
टेबल ऑफ़ कंटेंट
1. सरल सहज भाषा है हिंदी।
2. तकनीकी विकास -हिंदी के लिए भी उपलब्ध है एआई टूल्स।
3.. साहित्य जगत की वह महान विभूतियां जिन्होंने हिंदी को समृद्ध बनाया।
- मुंशी प्रेमचंद।
- भारतेंदु हरिश्चंद्र।
- रामधारी सिंह दिनकर।
- मैथिली शरण गुप्त।
- हजारी प्रसाद द्विवेदी।
4.. हिंदी के प्रति प्रेम की जरूरत।
5. हिंदी शर्म का नहीं गर्व का विषय।
6. सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में हिंदी की उपेक्षा।
7. अच्छा छात्र और बाल साहित्य छपना चाहिए हिंदी में..…
8. सिनेमा जगत में हिंदी की हालत।
9. साहित्य में हिंदी का दबदबा…
10. हिंदी में भी बना सकते हैं शानदार करियर।
- राजभाषा आदिकारी
- ट्रांसलेटर
- जर्नालिज्म
- इंटरप्राटेटर
- वॉइस ओवर
1. सहज और सरल भाषा है हिंदी --
हिंदी भाषा को इसका "हिंदी" नाम फारसी शब्द हिंद से मिला है। जिसका अर्थ है सिंधु नदी की भूमि। आज 14 सितंबर है और हिंदी दिवस है। संविधान सभा ने 14 सितंबर को यह फैसला लिया की हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। यह भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। हिंदी केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों तक में बोली जाती है। हिंदी का वजूद आज भी कायम है।तकनीकी युग में भी यह तेजी से फल फूल रही है। आज चारों तरफ जब अंग्रेजी और अन्य कुछ भाषये "ग्लोबल भाषा" बनी हुई हैं हिंदी ने अपने वजूद को दुनियाँ मे कायम रखा है।
2. हिंदी की विषय सामग्री के लिए एआइ़ टूल्स
1. गूगल ट्रांसलेट - हिंदी में अनुवाद के लिए उपयोग किया जाता है।
2. इक्रोसॉफ्ट ट्रांसलेटर हिंदी में अनुवाद और बोलने की क्षमता प्रदान करता है।
3.लैग्वेज टूल व्याकरण और वर्तनी की शुद्धता के लिए उपयोग किया जाता है।
4. ग्रैम्मार्ली हिंदी में लेखों को शुद्ध और संशोधित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
5. किलबॉट हिंदी में लेखों को पुनर्लिखित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
6. हेमिंग्वे एडिटर हिंदी में लेखों को सरल और स्पष्ट बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
7. वर्डलिफ्ट हिंदी में लेखों को कीवर्ड अनुसार अनुक्रमित Bhag के लिए उपयोग किया जाता है।
8.रीडेबिलिटी स्कोर हिंदी में लेखों को पढ़ने की योग्यताओं की जांच करने के लिए उपयोग।
9.सारांशबॉट हिंदी में लेखों का सारांश बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
10. कंटेंट ब्लॉसम हिंदी में विषय-सामग्री को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है।
3. हिंदी की वह महान विभूतियां जिन्होंने हिंदी को समृद्ध बनाया
1. मुंशी प्रेमचंद
सेवा सदन प्रेमश रे रंगभूमि निर्मला गण गोदान कर्मभूमि आदि लगभग डेट जर्डन अमर उपन्यास हिंदी जगत तथा हिंदी भाषा को समर्पित किया। 300 से अधिक उम्र में स्पर्शी कहानी लिखी। मुंशी प्रेमचंद का हिंदी के विकास और हिंदी साहित्य का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।
2. भारतेंदु हरिश्चंद्र
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपना संपूर्ण जीवन हिंदी साहित्य की सेवा में समर्पित कर दिया। प्रेमचंद की भांति भारतेंदु को आरंभ हिंदी विकास का पुरोधा माना जाता hai👍. हिंदी साहित्य में खड़ी बोली और खड़ी बोली का नाटकों में प्रयोग इन सब प्रयोग की शुरुआत का श्रेय भारतेंदु हरिश्चंद्र को ही जाता है
3. रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के एक प्रमुख लेखक कवि और निबंधकार से वह आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हुए।
4. मैथिलीशरण गुप्त ने हिंदी के प्रसिद्ध कवि थे हिंदी साहित्य के इतिहास में में खड़ी बोली के प्रथम महत्वपूर्ण कवि रहे हैं उन्हें साहित्य जगत में दत्त नाम से संबोधित किया जाता था मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएं आज भी हिंदी जगत में अमर है।
5. हजारी प्रसाद द्विवेदी
हिंदी साहित्य की भूमिका उनके सिद्धांतों की बुनियादी पुस्तक है जिसमें साहित्य को एक अभी चिन्ह परंपरा तथा उसमें प्रतिफलित क्रियाकलापों के रूप में देखा गया है नवीन दिशा निर्देशन की दृष्टि से इस पुस्तक का ऐतिहासिक महत्व है।
4. हिंदी के प्रति प्रेम की जरूरत--
हिंदी की चुनौती उसकी वर्तमान स्थिति और उसके विकास को यदि हम भविष्य के आईने में देखते हैं तो महसूस होता है कि जो काम पिछले 50-60 वर्ष में हो जाने चाहिए थे उनकी तरफ हमारा ध्यान नहीं गया है। क्या कारण है कि आज हिंदी हमारी नई पीढ़ी के बीच इतनी लोकप्रिय नहीं है..? हमारे बच्चे हिंदी के प्रति इतना लगाव महसूस क्यों नहीं करते..? क्या हिंदी वाले बच्चे सिर्फ इसलिए लगाव महसूस नहीं करते कि उनके पाठ्यक्रम की किताबें फीकी और बजरंग है पाठ्यक्रम रोचक नहीं है या फिर मौलिक व वैज्ञानिक बाल साहित्य और उनकी रुचि और समय के अनुसार उन्हें नहीं मिलता है। आखिर क्या कारण है कि हिंदी अपना आकर्षण बरकरार रखने में कामयाब होने से चूकती रही। अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में आकर्षण बरकरार है और वह शानदार स्कूल है दूसरी और हिंदू माध्यम हिंदी माध्यम के बुरे हाल के स्कूल हैं जहां अध्यापक भी कोताही बरत ते हैं।
5. हिंदी शर्म का नहीं गर्व का विषय --
कभी-कभी हिंदी के साथ एक अजीबोगरीब वाक्य यह होता है कि हम लोग हिंदी लेखन को का म ही नहीं मानते। हमने एक ऐसा वातावरण तैयार कर लिया है कि हिंदी पढ़ना एक श्रम का विषय समझा जाता है। अंग्रेजी में भले ही आपकी हालत खराब है लेकिन फिर भी आप अंग्रेजी मीडियम में पढ़ रहे हैं तो यह अच्छे और ऊंचे स्टेटस का प्रतीक समझा जाता है। मुझे आश्चर्य होता है कि हम लोग हिंदी पर गर्व क्यों नहीं करते इस श्रम का विषय क्यों समझते हैं..? हिंदी अपने आप में एक समृद्ध और गौरवान्वित भाषा है. हिंदी में विपुल और विस्तृत साहित्य उपलब्ध है। लेकिन ना हम हिंदी की इज्जत करते हैं और ना उसकी हैसियत को ही सम्मान देते हैं। हिंदी लेखन और हिंदी साहित्य को भी हम इज्जत की नजरों से नहीं देखते है।
हालांकि वर्तमान समय में परिस्थितियों में थोड़ा परिवर्तन आया है और आज स्थितियां वैसी नहीं रही जैसी पहले थी आज हिंदी के युवा लेखकों का एक बड़ा वर्ग अपनी इस भाषा के माध्यम से अपनी पहचान का परचम लहरा रहा है वह गर्व से कहता है कि वह हिंदी का लेखक है वह हिंदी का उपन्यासकार है और हिंदी का कहानीकार है। आज का युवा लेखक गर्व से कहता है कि वह हिंदी में कविताएं लिखता है हिंदी में गीत गजल कहता है यह लेखक इल्म से लेकर फिल्म तक अपना डंका बज रहे हैं उनके लिए हिंदी श्रम का नहीं गर्व का विषय है। उड़िया लेखन का अपूर्ण योगदान है और अगर इस तरह युवा लेखक हिंदी को संभल प्रदान करते रहे तो यह और भी विकसित स्वरूप प्राप्त कर सकेगी
6. सरकारी और निजी दफ्तर में हिंदी की उपेक्षा --
साड़ियों की पराधीनता के बाद देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ संविधान सभा में स्वतंत्र भारत की भाषा क्या हो इस पर तीखी चर्चा हुई। संपूर्ण देश को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण भाषा हिंदी को 14 सितंबर 1949 को राजभाषा के रूप में दर्जा मिला। 1963 में राजभाषा अधिनियम भी लाया गया ताकि राजभाषा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा सके। राजभाषा नीति के लगातार क्रियान्वयन में यह महत्वपूर्ण पड़ाव था। सर्वसाधारण को लक्ष्य करके कार्यालय में धारा 33 के अंतर्गत 14 प्रकार के दस्तावेजों को अंग्रेजी के साथ-साथ अनिवार्य रूप से हिंदी में जारी करने को कहा गया। प्रावधान किया गया कि इसका उल्लंघन होने पर इन दस्तावेजों पर अंतिम रूप से हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। दुर्भाग्य से आज राजभाषा को लागू हुए 75 वर्ष पूरे होने के बाद भी संपूर्ण भारतवर्ष में के सरकारी कार्यालय में हिंदी को पूरी तरह से नहीं अपनाया गया है। 👌 संविधान में हिंदी को राजभाषा का पद मिला प्रदेश के प्रशासनिक कार्यालय उन्हें उसे अपेक्षित रखा राजभाषा का अर्थ है राजकाज की भाषा अर्थात प्रशासनिक कार्यों की भाषा राजभाषा हिंदी संपर्क भाषा की भूमिका निभाते हुए एक विशाल जैन समूह को आपस में जोड़ती है हिंदी में अपनी जान स्वीकार्यता एवं लोकप्रियता के कारण ही भारतीय संविधान में राजभाषा का दर्जा प्राप्त किया है। राजभाषा के प्रति उपनिवेशवाद की मानसिकता से मुक्ति आवश्यक है समस्त नीति नियमों तथा अपबंधों के होते हुए भी आम प्रशासनिक अधिकारी एवं कर्मचारियों में यह धारणा है कि हिंदी का प्रयोग साहित्य होता है जो आम पत्राचार में इसका प्रयोग हास्यपद है। इसी भ्रम में आकर लोग हिंदी को अपने से कतराते हैं इन सब चिताओं को देखते हुए राजभाषा विभाग गृह मंत्रालय के ने आसान हिंदी के प्रयोग पर बोल दिया है देश के प्रधानमंत्री दुनिया के मंचों पर जिस तरह हिंदी में अपनी बात रखते हैं उसे हमें प्रेरणा लेते हुए हिंदी को उसका संवैधानिक स्थान दिलाने में सहायक एवं सार्थक भागीदारी निभानी चाहिए।
7. अच्छा बाल साहित्य छपना चाहिए हिंदी में -
मैं कई बार ग्रामीण क्षेत्रों और विद्यालयों में इस बात को महसूस करता और देखता हूं कि बच्चे चित्रात्मक सुंदर कहानियां की किताबें कविताओं वाली पुस्तकों और बाल साहित्य वाली पुस्तकों को कितने चाव से पढ़ते हैं वह किताबों को बहुत प्यार से अपने पास रखना चाहते हैं जैसे कोई खजाना हो। यह कितनी सुंदर बात है..? यह हिंदी के लिए एक शुभ और अच्छा संकेत है। लेकिन एक सवाल यह भी है कि क्या ऐसी पुस्तक हर बच्चे के पास मिल पाती हैं..? अपने देश की कुल आबादी का एक चौथाई हिस्सा 14 साल तक की उम्र के बच्चों का है इस देश के लगभग 44% लोगों की पहली भाषा हिंदी है जिसका साहित्य 100 साल से ज्यादा पुराना है इस हिंदी साहित्य की दुनिया में बच्चों की किताबों का जिक न के बराबर होता है। हिंदी में अच्छे बाल साहित्य का आज भी अभाव है।
हिंदी साहित्य में जितना भी प्रकाशन होता है उसमें बाल साहित्य का प्रकाशन काफी कम है। बाल साहित्य की मुद्दे पर कभी चर्चा भी होती है तो बाल साहित्य की परंपरा का अभाव, हिंदी के प्रतिनिधि लेखकों द्वारा बाल साहित्य न लिखना, हिंदी के अच्छे पाठकों का अभाव, साहित्य की गुणवत्ता का अभाव, सूचना तकनीक का प्रभाव, वीडियो गेम, मोबाइल के दुष्प्रभाव, आदि मुद्दे गए बागी उबरते रहते हैं। हिंदी भाषी राज्यों के छोटे शहरों और काशन में आज एक ढंग की किताबों की दुकान दुर्लभ है जहां बाल साहित्य या पत्रिकाएं उपलब्ध हो सके। कई बड़े अखबार कभी-कभी बाल साहित्य अपने पत्र पत्रिकाओं में छपते रहते हैं पर यह पर्याप्त नहीं है और ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को उपलब्ध नहीं हो पता है। विशेष रूप से हिंदी भाषी राज्यों में स्कूलों में बच्चों की संख्या के लिहाज से अभी इस दिशा में प्रयास हुए हैं वह कमतर ही प्रतीत हो रहे हैं। इस दिशा में प्रयास यह भी होने चाहिए कि जो बाल साहित्य अभी हमारे पास उपलब्ध है उसकी पहुंच पाठकों तक सुनिश्चित होनी चाहिए।
8. सिनेमा जगत में हिंदी भाषा की हालत --
सिनेमा मनोरंजन का एक ऐसा माध्यम है जो भाषा और साहित्य तथा समाज एवं संस्कृति सभी तक अपना प्रभाव छोड़ता है। 70 80 के दशक तक पोस्ट पर एक कोने में हिंदी अनिवार्य रूप से दिख जाती थी पर अब मुश्किल से ही नजर आती है।
वास्तव में किसी भी भाषा और संस्कृति को जानने से अधिक महत्वपूर्ण उसे स्वीकार करना है. हिंदी सिनेमा के लोगों के साथ मुश्किल यह है कि वह ने तो हिंदी जानना चाहते हैं और ने ही इसे स्वीकार करना चाहते हैं आश्चर्य नहीं की फिल्म के शीर्षक से शुरू हुई अंग्रेजी हिंदी सिनेमा के संवादों पर भी हावी हो चुकी है शायद हिंदी सिनेमा पर बढ़ते अंग्रेजी के इस दबाव को देखते हुए 2018 में सूचना प्रसारण मंत्रालय ने हिंदी सिनेमा उद्योग के लिए एक सलाह पत्र जारी किया जिसमें फिल्म कारों से आग्रह किया गया था कि वह हिंदी फिल्में मैं क्रेडिट सिर्फ हिंदी में या दो भाषाओं में जिनमें से एक अनिवार्य रूप से हिंदी हो में दिया करें। पत्र में कहा गया था कि अधिकांश हिंदी फिल्मों के क्रेडिट अंग्रेजी में दिए जा रहे हैं जो तार के रूप से सही नहीं है। क्रेडिट उसी भाषा में हो जिस भाषा की फिल्म है ताकि अंग्रेजी ने जानने वाले दर्शक फिल्म के कास्ट और गुरु के बारे में सूचना पाने से वंचित न रहे। पर इस सलाह को पूरी तरह से अनसुना कर दिया गया और एक भी दिन एक भी फिल्म में इस सलाह को मैं तो देने की कोशिश नहीं देखी। अंग्रेजी के प्रति हिंदी सिनेमा के आक्रामक प्यार को इसी से समझ सकते हैं कि इस सलाह पत्र के बाद हिंदी सिनेमा ने अपने पोस्ट को पूरी तरह हिंदी विहीन कर दिया।
9. साहित्य में हिंदी का दबदबा - fact file -
-- वर्ष 2022 में पहली बार हिंदी उपन्यास को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिया गया गीतांजलि श्री ने अपने उपन्यास रेट समाधि के लिए बुकर पुरस्कार जीता
-- दुनिया की सबसे लंबी हिंदी कविता का रिकॉर्ड उत्तर प्रदेश के बदायूं की ममता लाेगारिया ने बनाया उनकी कविता जल बचाओ कल बचाव में 17500 शब्द थे।
-- राजा हरिश्चंद्र को भारतीय सिनेमा की पहली स्वदेशी हिंदी फिल्म के रूप में स्वीकार किया जाता है इसे दादा साहब फाल्के द्वारा निर्देशित किया गया था।
-- भारतेंदु हरिश्चंद्र फिल्म 1913 में तेरे में रिलीज हुई थी हालांकि यह मूक फिल्म थी।
-- अंग्रेजी की फिल्म अलादीन डिज्नी की एनीमेटेड मूवी थी जिसे हिंदी में डब किया गया यह 1992 में रिलीज हुई थी
-- हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकारों की ओर से लिखे गए अनेक उपन्यासों और कहानियों पर फिल्में बनी है इनमें प्रमुख फिल्में इस प्रकार हैं तमस, गोदान, सूरज का सातवां घोड़ा, शतरंज के खिलाड़ी, सद्गति , गबन, उसने कहा था, मारे गए गुलफाम, फाल्गुन, आदि कुछ प्रमुख हैं।
-- पहले हिंदी टाइपराइटर 1930 के दशक के दौरान लॉन्च किया गया था।
-- देश में बिहार पहला राज्य था जिसने 1881 में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाया था।
-- हिंदी फिजी देश में आधिकारिक भाषा है। सूरीनाम, गुयाना, और मॉरीशस जैसे देशों में हिंदी को क्षेत्रीय भाषा माना जाता है।
-- इंटरनेट पर वर्ष 1999 में हिंदी का पहला वेब पोर्टल शुरू किया गया।
-- हिंदी के महत्व को समझते हुए याहू ने अपने मैसेंजर प्लेटफार्म पर हिंदी सहित सात भारतीय भाषाओं का पोर्टल अक्टूबर 2006 में शुरू किया साथ ही याहू हिंदी मेल भी शुरू किया गया।
-- हिंदी में आया लिंकडइन - जॉब सर्चिंग प्लेटफार्म लिंकडइन का साल 2021 में हिंदी वर्जन प्रारंभ हुआ।
-- जीमेल पर हिंदी लिखने की सुविधा दी गई है।
-- चीन में चीन रेडियो इंटरनेशनल हिंदी में भी प्रसारित होता है।यूएई में भी कई रेडियो स्टेशन हिंदी में प्रसारण करते हैं
फोटो - प्रेरणा डायरी के लेखक केदार लाल अपनी पत्नी के साथ।
10 छात्र हिंदी में भी बना सकते हैं अपना शानदार करियर
दोस्तों भले ही अनेक समस्याएं हो पर हिंदी का रुतबा दुनिया भर में बढ़ रहा है विदेशी कंपनियों के लिए हिंदी एक अहम जरूरत बन गई है अगर आप भी हिंदी पर मजबूत पकड़ रखते हैं तो कई क्षेत्रों में करियर बना सकते हैं। आज 14 सितंबर हिंदी दिवस के अवसर पर लिए इसी बहाने हम जानते हैं की हिंदी में विशेषज्ञ रखने वाले छात्र किन-किन क्षेत्रों में अपना कैरियर बना सकते हैं.
1. राजभाषा अधिकारी
हिंदी की पढ़ाई करने के बाद इस पर पकड़ रखने वाले बेटर राजभाषा अधिकारी के तौर पर कैरियर बना सकते हैं। राजभाषा अधिकारी बनने के लिए हिंदी विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए यह राष्ट्रीयकृत बैंकिंग संस्थान में राजभाषा ऑफिसर के रूप में कार्य करते हैं। उनकी नियुक्ति बैंक की सभी शाखों में होती है उनकी प्राथमिक भूमिका ग्राहकों की मदद करने के अलावा रोज के कामों में राजभाषा के प्रयोग को बढ़ावा देना होता है विभिन्न आधिकारिक दस्तावेजों का हिंदी में अनुवाद भी करते हैं।
2. पत्रकारिता ( जर्नालिज़्म )
हिंदी की पढ़ाई के साथ अगर हिंदी भाषा में जर्नलिज्म का कोर्स किया है तो आप पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना भविष्य बना सकते हैं। आप पत्रकारिता के क्षेत्र में लंगर न्यूज़ एडिटर न्यूज़ लेखक और रिपोर्टर जैसी जॉब प्रोफाइल पर रहकर अच्छी सैलरी हासिल कर सकते हैं। यहां पर आपको न्यूज़ पेपर रेडियो चैनल समाचार चैनल पत्रिकाओं अखबारों डिजिटल समाचार चैनल एवं मीडिया जैसे कई करियर ऑप्शन मिल जाएंगे वर्तमान में डिजिटल दौर में उनकी मांग बड़ी हुई है इसके अलावा चैनल की संख्या भी बढ़ रही है यहां हिंदी के काम करने वाले पत्रकारों की मांगों में भी इजाफा हुआ है
3. ट्रांसलेटर
विदेशी कंपनियों के भारत में बढ़ते प्रसार के कारण हिंदी ट्रांसलेटर ऑन को मौके मिल रहे हैं अब वह जब से बंद कर ही नहीं फ्रीलांसर के तौर पर भी कमाई कर रहे हैं हिंदी ट्रांसलेटर के तौर पर आप घर बैठकर भी काम कर सकते हैं हालांकि एक बेहतरीन ट्रांसलेटर बनने के लिए आपकी हिंदी के साथ कुछ और भाषाओं पर भी अच्छी पकड़ होनी चाहिए कई बड़ी कंपनियां अपने कंटेंट को हिंदी में मुहैया करने के लिए उनकी नियुक्तियां करती हैं।
4. इंटरप्रिटेशन
हिंदी पर कमान रखने वालों को इंटरप्रेटेटर के तौर पर भी काम करने का मौका मिलता है इनका काम भी ट्रांसलेटर की तरह एक लैंग्वेज का दूसरी लैंग्वेज में अनुवाद करना होता है हालांकि इंटरप्रेटर लिखकर नहीं बल्कि बोलकर यह काम करते हैं एक इंटरप्रेटेटर उन शब्दों को ट्रांसलेट करता है जो दूसरा व्यक्ति अलग भाषा में कहता है। इंटरप्रेटर के तौर पर राजनीतिक मिशन संयुक्त राष्ट्र और विदेशी छात्रों के साथ काम कर सकते हैं हालांकि इसके लिए एक अन्य भाषा भी आनी चाहिए।
5. वॉइस ओवर आर्टिस्ट
भारत में विदेशी फिल्मों की रिलीज बढ़ रही है इसलिए उन्हें वायरस ओवर आर्टिस्ट की जरूरत पड़ती है अगर आप अच्छा बोलते हैं और आपकी आवाज भी अच्छी है तो आप वॉइस ओवर को करियर ऑप्शन के रूप में अपना सकते हैं यह भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
ब्लॉग - प्रेरणा डायरी (ब्लॉग )
वेबसाइट - www.prernadayari.com
राइटर - केदार लाल ( कंटेंट क्रिएटर )
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