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जयपुर, राजस्थान, भारत।
प्रेरणा डायरी।
अवसाद क्या हैं....? छात्र कैसे प्रबंधित करें अवसाद को....?
दोस्तों,
प्रेरणा डायरी की आज की पोस्ट में आप लोगों का दिल से स्वागत करते हुए बहुत खुशी हो रही है। आज हम इस लेख में छात्रों से संबंधित, एक बड़े ही गंभीर विषय पर चर्चा करेंगे। चूँकि, यह एक बड़ा ही संवेदनशील विषय है, इसलिए इस लेख कि रचना के वक़्त मैंने कई पत्र-पत्रिका, अखबार, और खुद की शोध की मदद ली है, मैं स्वयं काफी रिसर्च करने के बाद खुद के विचारों से इस लेख को लिख रहा हूँ।
फोटो विश्लेषण --
निराश ना हों,
आपकी एक "छोटी सी आशा"
और आपकी "उम्मीदों की उड़ान"
प्रेरणा डायरी, है आपके साथ।।
डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। महिला, पुरुष, युवा, बुजुर्ग, छात्र.. कोई भी इसकी आंच से तप सकता है। अच्छे रिजल्ट कि चिंता, भविष्य की चिंता, पढ़ाई कि फ़िक्र, रोजगार, नौकरी, आदी अनेक विषयों को लेकर छात्र अवसाद का शिकार हो रहे हैं। जो लोग दुर्व्यवहार, गंभीर नुकसान या अन्य तनावपूर्ण घटनाओं से गुजर रहे हैं, उनमें अवसाद के जन्म लेने की संभावना अधिक होती है। कुछ लोग अवसाद की स्थिति में गलत तरीके अपना कर खुद को और खराब स्थिति में शामिल कर लेते हैं। गांव में तो लोग अवसाद से पीड़ित व्यक्ति को देखकर बाबा, झारखंड का भूत प्रेत के चक्कर में पड़े रहते हैं। डिप्रेशन पर यदि पढ़ना चाहते हैं, तो शायद काफी कुछ पढ़ चुके होंगे। पर जो छात्र, या कोई व्यक्ति जो डिप्रेशन का शिकार हो चुका हैं, उसके सामने सबसे बड़ा सवाल यह होता है कि अब वह इस स्थिति से बाहर कैसे निकले...? और इस सवाल का जवाब खोजने वाले आर्टिकल बहुत कम है। आज के इस आर्टिकल में मैं आपके इसी सवाल का जवाब दूंगा अर्थात आपको यह बतलाऊंगा कि आप अवसाद ग्रस्त जीवन से निकलकर एक खुशहाल जिंदगी कैसे जी सकते हैं..? अवसाद से बाहर निकलने का क्या रास्ता क्या है..? इस आर्टिकल में अवसाद को मैनेज करने या प्रबंध करने के उपायों पर फोकस किया जा रहा हैं। अब इस आर्टिकल में हम आगे बड़े उससे पहले एक बार यह जान लेते हैं कि "अवसाद आखिर होता क्या है...?
अवसाद आखिर हैं क्या....?
हम इस मुद्दे पर अपनी बातचीत शुरू करते हैं, सबसे पहले यह जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर अवसाद क्या है और इसकी सही पहचान कैसे की जा सकती है...?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यू एच ओ, world Helth orgnisation ) के अनुसार अवसाद एक समान मानसिक विकार है, जिसमें उदासी लंबे समय तक रहने की स्थिति में आनंद की कमी या अच्छी अवधि वाले कार्य में भी रुचि कि कमी शामिल होताी है। अर्थात डिप्रेशन का शिकार छात्र या व्यक्ति उदास रहेगा और जो भी कार्य करेगा उसमें कम रुचि लेगा। वैसे तो अवसाद किसी को भी हो सकता है, पर जो लोग गंभीर क्षति, आर्थिक क्षति, पारिवारिक कलह, गंभीर नुकसान या अन्य तनावपूर्ण घटनाओं का सामना करते हैं उन्हें डिप्रेशन जल्दी जकड़ लेता है। वैसे देखा जाए तो पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अधिक और जल्दी डिप्रेशन का शिकार हो जाती है। उनमें अवसाद की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती हैं। अब सवाल यह है कि हम अवसाद के शिकार है या नहीं इस बात की सही परख कैसे हो...? इस बात को हम कैसे जान सकते हैं या इसका पता कैसे लगा सकते हैं..? तो लिए यहां हम जान लेते हैं, अवसाद के कुछ लक्षण को --
डिप्रेशन / अवसाद के लक्षण--
1. एकाग्रता में कमी आना।
2. आत्म सम्मान में कमी आना।
3. खुद के प्रति प्रतिरोध की भावना।
4. नींद में खलल।
5. भूख में बदलाव।
6. वजन में कमी।
7. अधिक थकान महसूस होना।
8. ऊर्जा और जोश की कमी।
9. मृत्यु या आत्महत्या से सम्बंधित सलाह का मन में उत्पन्न होना।
10. कार्य में अरुचि।
11. उदासीन रहना।
अवसाद से लड़ने के उपाय --
डिप्रेशन से लड़ने के जिन उपायों पर हम आज चर्चा करेंगे पहले उन्हें एक बार सारणीबद्ध कऱ लेते हैं --
1. लेखन कार्य आरंभ करें।
2. अच्छे डॉक्टर/थेरेपिस्ट के संपर्क में रहें।
3. अच्छे दोस्तों से जुड़ें, और दिल की बात करें।
4. व्यायाम करें।
5. व्यसन से तौबा करें।
6. परिवार का सहयोग लें।
7. आहार पर ध्यान दें।
8. निष्कर्ष।
9. अवसाद से सम्बंधित प्रश्न -उत्तर।
1. लेखन कार्य प्रारंभ करें --
आज मैं आपको अवसाद से निपटने कि एक बेहतरीन तरकीब बताने जा रहा हूं। यकीन मान कर चलिए की यह पद्धति डिप्रेशन के लक्षणों को दूर करने का रामबाण उपाय है। यह उपाय ना केवल अवसाद कम करता है, बल्कि अवसाद के प्रबंधन में भी मदद करता है। आपकी डायरी में अवसाद से लड़ने का एक बेहतरीन उपाय है। यह अवसाद कार्य को अभ्यास करने में भी सहायक होता है। यदि आप अवसाद के शिकार हैं तो आज से ही एक कार्य करें अपनी एक डायरी और अपने आलेख में अपने विचार, अपनी भावनाएं, और चिंताओं के बारे में खुलकर बात करें । लिखने से दबी हुई भावनाएं दूर होती है।इससे आपके मस्तिष्क में होने वाला तनाव कम होगा। फ्रेंक बातें करने से तनाव कम होता है। अपनी डायरी के प्रति पूरी तरह से ईमानदार रहे। दोस्तों निसंदेह, यह उपाय अवसाद से निपटने में आश्चर्य चकित मदद कर सकताहै, क्योंकि मैं खुद इसका गवाह हूं।मैं खुद का उदाहरण देता हूं --
मैं पिछले काफी समय से अपने जॉब से सेटिस्फाई नहीं कर रहा था। और मैंने कई निजी जगहें बनाईं, कई जगह प्रयास किए। इस मामले को लेकर मैं आज भी संघर्ष कर रहा हूं। इन हालातों में कुछ साल तक मैं डिमोटिवेट रहा, मैं तनाव के कई दौरौ से गुजरा हुआ इंसान हूं। जब मुझे लगा कि मेरे अंदर प्रेरणा की कमी आ रही है, इसके कुछ समय बाद ही मैंने तनाव सिंह ने फटने के लिए अपनी लेखन शैली का इस्तेमाल किया। और मैंने "प्रेरणा डायरी ब्लॉग" नाम से अपनी एक ब्लॉक वेबसाइट बना ली। यहां मैं अपनी रुचि के विषय में प्रेरणा परीक्षा की तैयारी तथा डिप्रेशन आदि विषयों पर आर्टिकल लिखने लगा। अपने विचार, अपनी भावनाओं को, अपने अपने आर्टिलों के माध्यम से दुनिया के सामने शेयर करने लगा। मुझे सबसे ज्यादा फायदा इसी थेरेपी से हुआ। और भगवान एक रास्ता और खोल दिया मैं लिखकर अपनी तनाव को तो काम करता ही था साथ ही में इन आर्टिलों को प्रेरणा डायरी के माध्यम से ब्लॉगर पर प्रकाशित कर रहा था जिन्हें बाद में गूगल में इंटेक्स कर लिया और ईश्वर ने मेरी कमाई का एक नया जरिया भी खोल दिया। तो आप समझ सकते हैं कि लिखकर आप तनाव तो कम कर सकते हैं साथ ही अपने लिए और नए रास्ते भी खुल सकते। ज्यादा फायदा इस थायरेपी से हुआ। आज आज भी प्रेरणा डायरी में लगातार लेख लिख रहा हूं। बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन मैं आपको बताऊंगा कि अवसाद से राहत पाने का यह एक सबसे अच्छा उपाय हो सकता है। लिखने से अपने मन में दबी हुई भावनाएं दूर हो जाती हैं। अवसाद कम करने में यह "लेखन थेरेपी" आपके जीवन में परिवर्तन ला सकता है। अगर आपको लिखना पसंद है, और आप रोजाना कुछ घंटे के लिए यह काम करते हैं, तो यह देखकर आप चकित हो जाएंगे कि एक पेपर और कलम ने आपकी सारी समस्याओं को हल कर दिया है। आपकी जिंदगी में मुस्कुराहटों का एक नया दौर ला सकती है। अगर आप तनावग्रस्त हैं तो इसे जरूर अपना कर देखें।
2. किसी अच्छे डॉक्टर के संपर्क में रहे --
एक डॉक्टर का साथ अवसाद को झेलने में बहुत मदद करता है। एक मनोचिकित्सक न केवल अवसाद ग्रस्त लोगों को दवा देता है, बल्कि बड़ी बात यह है कि मनोचिकित्सक एक रोगी की जीवन शैली कुछ समायोजित करने में मदद करता है। अच्छी चिकित्सा तनाव से मुक्ति में आपका ध्यान केंद्रित करता है। यह बात सबसे जरूरी है। अच्छे थायरपिस्ट और मनोचिकित्सक आपको यह सिखाते हैं, कि नकारात्मक से सकारात्मक सोच क़ी और कैसे जाना है...? तनाव का प्रबंधन और अभ्यास कैसे करना है..? डॉक्टर के संपर्क में रहने से आपको समय-समय पर एक उम्दा एडवाइस प्राप्त होती रहती है। यदि हममें से कोई भी अवसाद का शिकार है या होता है तो सबसे पहले चिकित्सक से संपर्क करें और उनकी बताई गई दवा एवं सलाह पर अमल करें।
3. अच्छे दोस्तों से जुड़ें, और दिल की बात करें--
दोस्ती को लेकर मेरी एक अच्छी धारणा है कि "एक अच्छा दोस्त, हर दर्द की दवा होता है ।" दोस्त का सबसे बड़ा फायदा ये है, कि उसके साथ आप अपने दिल की, दुख की, दर्द की, समस्याओ क़ी, कायदे क़ी, या फायदे क़ी, कैसी भी बातें शेयर कर सकते हैं। अवसाद में अकेलापन पसंद होता है। यह अबसाद का गुण है। उसका लक्षण है। इसलिए आपने देखा होगा कि डिप्रेशन के व्यक्ति अकेले और गुमसुम रहते हैं। इसलिए हमेशा ही ध्यान रखें की अकेलेपन में अधिक समय नहीं गुजारे, अधिकांश समय अपने परिजनों और दोस्तों के बीच में रहे। दोस्तों के साथ अपने दिल की बात शेयर करें और हंसी - मज़ाक करें। मुस्कुराए। डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति इंसान को एकांत प्रिय होता है। ऐसे में लोगों से संपर्क कट जाता है दोस्तों की एवं सामाजिक आवश्यकताओं की कमी हो जाती है। अच्छे दोस्त के जरिये आप सामाजिक जांच की कमी को भी दूर कर सकते हैं। अपने दोस्तों के साथ जुड़े रहने के लिए खुद को प्रेरित करें। आपके अच्छे दोस्त आपको और गहरे अवसाद में जाने से अकेले और होने से राहत में मददगार साबित होते हैं। दोस्तों से मिले और उनके साथ बाहर डाइनिंग पर जाएं, फिल्म देखें या शेयर करें। गरीबी दोस्त से मिले और उसके साथ बाहर डिनर करें। इससे आपका उत्साह बढ़ेगा और आपको सबसे अच्छा महसूस होगा।
4. व्यायाम--
डिप्रेशन से लड़ाई का एक और बेहतरीन उपाय है व्यायाम। व्यायाम वह चीज है जो आपको - मानसिक, शारीरिक रूप से तो स्वस्थ और ऊर्जावान बनाती है, आपके व्यक्तित्व को भी आकर्षित करती है। एक्सरसाइज स्ट्रेस एंजॉय आईटी डिप्रेशन से गुजर रहे लोगों की मदद कर सकते हैं। यह बात प्रमाणित करती है कि व्यायाम और शारीरिक व्यायाम से राहत मिलती है और आपको अच्छा महसूस हो सकता है। व्यायाम का एक और एड्रेस लाभ जो मैं आपको बताना चाहता हूं वह यह है कि व्यायाम आपकी सुंदरता और सुंदरता को भी बढ़ाता है। नियमित व्यायाम करने से व्यक्तित्व आकर्षक बनता है, चेहरे पर तेजी से दिखाई देता है, और आप दिन भर बिना थके ऊर्जावान बने रहते हैं। जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से फिट नहीं रहेंगे तो आपके आत्म सम्मान में भी वृद्धि होगी।
प्रेरणा डायरी ब्लॉग - "आपकी प्यारी सेहत"
व्यायाम केवल हमें मानसिक अवसाद से लड़ने की शक्ति नहीं देता बल्कि, एक संपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
मैं अपना खुद का एक उदाहरण आपको बताता हूं - जब मैं 10वीं कक्षा का छात्र था तो मुझे लैंसइन्फेक्शन हो गया था। मैं उत्तर भारत के सबसे बड़े डॉक्टर श्रीहरि सिंह चौधरी, जो अमेरीका कैर सोसाइटी के प्रमुख भी थे, से थे अपना इलाज। मैं जब भी अपने डॉक्टर से सलाह लेता हूं तो वह यही सलाह देता है कि "यदि आप जल्द ही और लंबे समय तक स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो सुबह सैर या व्यायाम की आदत डालनी होगी, मेरी सलाह आपको 50% आराम देगी जबकि आधा आराम आपको व्यायाम से मिलेगा।" सालों तक इस सलाह को अनसुना किया जा रहा है। बाद में एक इतने बड़े डॉक्टर और प्रोफेसर हमें काफी दिन से यह सलाह दे रहे हैं, तो इस पर अमल करके यह क्यों जाना चाहिए एक सप्ताह के बाद मेरी यात्रा शुरू हुई, मुझे आश्चर्यजनक परिणाम मिले। मैं सुबह घूमने गया और डॉक्टर द्वारा प्रशिक्षित फेफड़े को मजबूत करने वाला व्यायाम किया। आज मेरी उम्र 45 वर्ष है, लेकिन उसके बाद मुझे कभी इस बीमारी का सामना नहीं करना पड़ा धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे रेटिंग भी बंद हो गई और मुझे घूमने की लत लग गई दवाओ ने नहीं, व्यायाम ने चमत्कार किया। व्यायाम, लक्ष्य या प्रारंभिक प्रारंभिक यात्रा, इनमें से किसी एक को आप अपने अवलोकन का हिस्सा बनाते हैं। अवसाद से कसरत में आपको अद्भुत शक्ति मिलेगी।
5. व्यसन से तौबा करें --
यदि आप अवसाद से जुड़े हुए हैं तो व्यसन का कोई समाधान नहीं है। अवसाद और कई नौकरियों के साथ हमारा मन इनका सहारा चाहता है। पर व्यसनअवसाद को बढ़ाना ही है। संवैधानिक पदार्थों का सेवन करने से अवसाद के लक्षण और भी पथरी हो सकती है और आप जो भी दवा ले रहे हैं उसके लिए पथरी का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
बीड़ी सिगरेट और अल्कोहल अवशोषक पीड़ित छात्र या व्यक्ति के लिए जहर का कार्य करता है। अवसाद को कम करने के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली की आवश्यकता होती है और नशे से मुक्ति के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली की कुंजी होती है।
6. परिवार का सहयोग ले --
जब कोई छात्र अवसाद से उदास हो जाता है तो परिवार और दोस्त आपको अपने बारे में बेहतर महसूस करने में मदद करते हैं। अपनी आपत्तियों को अपने दस्तावेजों के साथ साझा करें। आपका परिवार आपको स्वस्थ आहार व्यायाम उपचार की परिभाषा का पालन करने में मदद करता है। अपने परिवार के साथ जुड़ें, अपने परिवार के साथ मिलकर घर के सदस्यों को खुशनुमा बनाएं। परिवार और मित्र आप आधिकारिक तौर पर कर सकते हैं। आपकी सामाजिक साज़िश को प्रमाणित करना मैं आपकी मदद करता हूँ। आप सोसायटी में चलने वाले विभिन्न प्रकार की सहायता ग्रुप का हिस्सा बनकर भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
7. आहार पर ध्यान --
कुछ दिनों से पता चलता है कि आहार मूड में सुधार करता है। आहार के आहार और अवसाद के बीच का संबंध स्वस्थ आहार खाने से आप स्वस्थ फिट और आकर्षण महसूस कर सकते हैं, इससे आपका मूड लाइट होगा और साथ ही आत्मसम्मान में सुधार भी होगा, जबकि स्वस्थ महसूस करने से अवसाद बढ़ेगा और नकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होगी होता है. स्वस्थ सदाबहार और सुपरमार्केट भोजन सर्वोपरी है। डॉक्टर भी यही कहते हैं कि यदि आप तनाव से जुड़े हैं तो वस्तु पदार्थ लें क्योंकि वस्तु में अवसाद से मुक्ति का उपाय छिपा हुआ है।
8. निष्कर्ष--
कोई भी व्यक्ति, युवा, पुरुष, महिला किसी को भी, और कभी भी अवसादग्रस्त हो सकता है। समस्या और संकट, आर्थिक क्षति, अन्याय से पीड़ित लोगों में अवसाद विकसित होने की संभावना अधिक होती है। पढ़ाई के दबाव के युवा और छात्र बड़ी संख्या में अवसाद और तनाव का शिकार हो रहे हैं। अवसाद पीड़ित छात्रों द्वारा आत्महत्या की घटनाएँ तेजी से प्रदर्शित हो रही है। अवसाद में इंसान का मनोभाव उदास हो जाता है।
प्रश्न उत्तर ( Question - Answer )
Question 1. अवसाद क्या होता है..?
उत्तर - अवसाद को अंग्रेजी में डिप्रेशन कहा जाता है। अवसाद एक मानसिक बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। अवसाद एक व्यक्ति की वह मानसिक स्थिति है जिसमें वह लंबे समय तक चिंता ग्रस्त और उदास बना रहता है ऐसा व्यक्ति या छात्र लंबे समय तक काम और पढ़ाई में रुचि नहीं लेते हैं। उनकी रूचि ( intrest ) और अच्छे कार्य की इच्छाएं खत्म होने लगती है, अवसाद ग्रस्त व्यक्ति खुशी के पलों का भी आनंद नहीं उठा पाता। खुशी के माहौल में भी भेज दुखी नजर आता है। अगर मैं अपने शब्दों में काम से कम और गहरी शब्दों में अवसाद को परिभाषित करूं तो वह परिभाषा कुछ इस प्रकार होगी - "अवसाद एक व्यक्ति की वह मानसिक हालत है जिसकी गिरफ्त में आने के बाद उस, व्यक्ति के जीवन से सुख, चैन, और आनंद जैसी अनमोल चीज नदारत हो जाती है, एवं कुंठा, निराशा, तथा उदासी जैसी विकृत मनोदशाओं का प्रवेश हो जाता है।
डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। महिला, पुरुष, युवा, बुजुर्ग, छात्र.. कोई भी इसकी आंच से तप सकता है। अच्छे रिजल्ट कि चिंता, भविष्य की चिंता, पढ़ाई कि फ़िक्र, रोजगार, नौकरी, आदी अनेक विषयों को लेकर छात्र अवसाद का शिकार हो रहे हैं। जो लोग दुर्व्यवहार गंभीर नुकसान या अन्य तनावपूर्ण घटनाओं से गुजर रहे हैं उनमें अवसाद विकसित होने की संभावना अधिक होती है। कुछ लोग अवसाद की स्थिति में गलत तरीके अपना कर खुद को और खराब स्थिति में शामिल कर लेते हैं । डिप्रेशन पर अपनी अपनी जरूरत के हिसाब से काफी लेख पढ़ चुके होंगें। आप भी डिप्रेशन पर यदि पढ़ना चाहते हैं, तो शायद काफी कुछ पढ़ चुके होंगे। पर जो छात्र या कोई व्यक्ति जो डिप्रेशन का शिकार हो चुका हैं, उसके सामने सबसे बड़ा सवाल यह होता है कि अब वह इस स्थिति से बाहर कैसे निकले...? और इस सवाल का जवाब खोजने वाले आर्टिकल बहुत कम है। आज के इस आर्टिकल में मैं आपके इसी सवाल का जवाब दूंगा अर्थात आपको यह बतलाऊंगा कि आप अवसाद ग्रस्त जीवन से निकलकर एक खुशहाल जिंदगी कैसे जी सकते हैं..? इस आर्टिकल में अवसाद को मैनेज करने या प्रबंध करने के उपायों पर फोकस किया जा रहा हैं। आईये समझते हैं अवसाद से जुड़े कुछ खास पहलुओं को --
अवसाद...आखिर हैं क्या....?
हम इस मुद्दे पर अपनी बातचीत शुरू करते हैं, सबसे पहले यह जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर अवसाद क्या है और इसकी सही पहचान कैसे की जा सकती है...?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यू एच ओ, world Helth orgnisation ) के अनुसार अवसाद एक समान मानसिक विकार है, जिसमें उदासी लंबे समय तक रहने की स्थिति में आनंद की कमी या अच्छी अवधि वाले कार्य में भी रुचि कि कमी शामिल होताी है। अर्थात डिप्रेशन का शिकार छात्र या व्यक्ति उदास रहेगा और जो भी कार्य करेगा उसमें कम रुचि लेगा। वैसे तो अवसाद किसी को भी हो सकता है, पर जो लोग गंभीर क्षति, आर्थिक क्षति, पारिवारिक कलह, गंभीर नुकसान या अन्य तनावपूर्ण घटनाओं का सामना करते हैं उन्हें डिप्रेशन जल्दी जकड़ लेता है। वैसे देखा जाए तो पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अधिक और जल्दी डिप्रेशन का शिकार हो जाती है। उनमें अवसाद की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती हैं। अब सवाल यह है कि हम अवसाद के शिकार है या नहीं इस बात की सही परख कैसे हो...? इस बात को हम कैसे जान सकते हैं या इसका पता कैसे लगा सकते हैं..? तो लिए यहां हम जान लेते हैं, अवसाद के कुछ लक्षण को
Question. 2. क्या अवसाद को रोका जा सकता है...?
उत्तर - यदि अवसाद ग्रस्त व्यक्ति थोड़ी सी भी सजकता बढ़ाते तो अवसाद एक संबंध मानसिक विकार से ज्यादा कुछ नहीं है, यदि गंभीरता को छोड़ दें तो। पर्याप्त नींद, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, नशे से दूरी, एवं हंसी मजाक और मनोरंजन से दोस्ती, तथा नियमित चिकित्सकीय परामर्श से अवसाद को रोकने और लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।
Question 3. अवसाद को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करें..?
उत्तर - आज मैं आपको कुछ ऐसी टिप्स बताऊंगा जो अवसाद से निपटने में कारगर साबित होतीहै।आप स्वयं को डिप्रेशन से बाहर निकाल सकते हैं.
अकेले होने पर कैसे खुद को डिप्रेशन से बाहर निकालें? अगर आप अकेले हैं तो डिप्रेशन से डरे नहीं बल्कि इसे खुद के दम पर हराने की कोशिश करें. ...
1.मेडिटेशन करें ...
2. प्रकृति से करें प्यार ...
3. एक्सरसाइज है जरूरी ...
4. अपनी समस्याओं को अपनी डायरी में लिखें.
5. गाना सुनें
6. स्वस्थ मनोरंजन करने वाली फिल्में देखे।
7. हंसी मजाक करें और खिल खिलाकर हंसें।
8. नकारात्मक सोच से दूर रहे
9. पर्याप्त नींद और स्वस्थ भोजन ले।
Question 1. मेरा बेटा घर से दूर रहकर पढ़ाई कर रहा है। उसके बिना मेरा मन नहीं लगता। ऐसे में मैं भावनात्मक रूप से खुद को कमजोर महसूस कर रही हूं मुझे क्या करना चाहिए..?
उत्तर -- यह आपकी ही नहीं बहुत सी माँओं की समस्या होती है। क्योंकि जब पहली बार अपने प्यार और लाडले बच्चों को पढ़ाई के लिए बाहर भेजा जाता है तो मां-बाप को बड़ी पीड़ा होती है, क्योंकि हमेशा आंखों के सामने रहने वाले उनके बच्चे उनसे दूर हो जाते हैं। हमारा मन और हमारी भावनाएं उमराने लगते हैं लेकिन अपनी भावनाओं को पहचानना और स्वीकार करना चाहिए क्योंकि भावनाओं को दबाना गलत होता है। भावनाओं को दबाने के बजाय उन्हें स्वीकार करना बहुत जरूरी होता है। आप अपने बेटे की अनुपस्थिति को सकारात्मक रूप से देखने की कोशिश करें और सोचें कि वह अपनी पढ़ाई के लिए बाहर गया है इस त्याग से उसके भविष्य का निर्माण होगा। ऐसे कार्यों में अपना मन लगे जो आपको काफी पसंद है। आप अपने समय को अच्छे से व्यतीत करने के लिए कुछ अच्छी बुकिंग पड़ सकती हैं कोई अच्छा संगीत सुन सकती हैं या फिर ध्यान और पूजा आदि का सहारा ले सकती हैं इससे मन को शांति प्राप्त होती है। अपने पड़ोसी और दोस्तों के साथ समय बिताए। अच्छे दोस्तों के घर जाएं एवं उन्हें भी अपने घर आमंत्रित करें। इससे माहौल खुशनुमा बना रहता है। और आपका मन भी लगा रहेगा।
Question 2. जब भी मेरा कोई दोस्त मुझसे बेहतर अंक लाता हैं, या कोई साथी जब टॉपर आता है तो मुझे बहुत ईर्ष्या व जलन होती है। मैं यही सोचता रहता हूं कि काश उसकी जगह में होता। मुझे क्या करना चाहिए मार्गदर्शन करें...।
उत्तर -- कई स्थिति में यह एक सामान्य बात है क्योंकि जब हम किसी दूसरे की सफलता को देखते हैं तो हमारे मन में भी कभी-कभी ईर्ष्या का अनुभव हो सकता है। लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हमें इस भावना को काबू में रखना चाहिए और उसे सकारात्मक ऊर्जा में बदलना चाहिए। आपको एक बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि किसी की सफलता आपकी असफलता नहीं है। दूसरों की उपलब्धि को अपने लिए प्रेरणा बनाएं। अपने ज्ञान को खुद पर केंद्रित करें। अपने मन के भटकाव को रोके, उसे काबू करने का प्रयास करें। दूसरों से ईर्ष्या करने के बजाय अपनी खुद की क्षमताओं और योग्यताओं पर विश्वास रखें। आत्मविश्वास के साथ अपने कार्य करें। अपने लक्ष्य स्पष्ट रखें और उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करें। अपने जीवन के हर पहलू को महत्व दें शिक्षा, रिश्ते, मनोरंजन, आत्म देखभाल आदि का विशेष ख्याल रखें।
Question 3. मैं एक स्टूडेंट हूं पेपर लीक के मामले सामने आए हैं तब से मैं परेशान रहने लगा हूं क्योंकि मैं भी एक परीक्षा दी थी जिसका पेपर लीक हो गया अब मेरा मन पढ़ने में नहीं लग रहा है क्या करूं..? मार्गदर्शन करें
उत्तर - दोस्तों पिछले कुछ वर्षों में देश और विभिन्न राज्यों में पेपर लीक की घटनाएं तेजी से बड़ी है। राजस्थान में पिछले 5 वर्षों में आयोजित हुई 24 परीक्षाओं में से 22 के पेपर लीक हो गए। हाल ही में नीट जैसी बड़ी परीक्षा का पेपर लीक हो गया। इन घटनाओं से छात्रों का मनोबल टूटता है और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसी घटनाओं से गरीब और परिश्रमी छात्रों में हताशा महसूस होना स्वाभाविक है। खासतौर पर तब, जब यह सीधे तौर पर आपको प्रभावित करता हो। आप अपनी भावनाओं को तो स्वीकार करें पर इन घटनाओं को नजर अंदाज करने का प्रयास करें। क्योंकि यह हमारे नियंत्रण से बाहर है आप उन चीजों पर फोकस करें जो आपके नियंत्रण में है जैसे अपने अध्ययन में मन लगाने का प्रयास करें। दीर्घकालिक लक्ष्य बनाएं अपने व्यक्तित्व का विकास करें। परीक्षा प्रक्रिया तो त्रुटि पूर्ण हो सकती है लेकिन आपकी सीख मूल्यवान बनी रहेगी इसलिए तनाव मुक्त गतिविधियों में भाग लेने याद रखें की विफलताएं शैक्षणिक और व्यवसाय गतिविधियों का हिस्सा है। अपने आत्मविश्वास को बरकरार रखें अगर आप अधिक परेशान है तो कुछ दिन का ब्रेक ले सकते हैं लेकिन धीरे-धीरे अध्ययन की दिनचर्या पर वापस लौटे।
ब्लॉग -- प्रेरणा डायरी (www.prernadayari.com ) Website -- prernadayari.com
राइटर -- kedar lal
फोटो - प्रेरणा डायरी के लेखक केदार लाल की धर्मपत्नी।
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