क्यों संकट बनता जा रहा है बच्चों का अकेलापन..?
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-4543233482420494" crossorigin="anonymous"></script> प्रेरणा डायरी। नमस्कार दोस्तों। हमारे देश से धीरे धीरे सयुंक्त परिवार प्रथा लगभग समाप्त होती जा रही है। महानगरों में ये लगभग अंत कि ओर है। गाँवो में कुछ निसान बचें है, यानी सयुक्त परिवार देखने को मिल जाते है। इस पारिवारिक विघटन के कई भयानक दुष् परिणाम देखने को मिल रहे है, खासकर -- हमारे छोटे छोटे बच्चो और किशोरों पर। उनका मानसिक स्वास्थ्य पंगु बनता जा रहा है। कुछ बच्चे अकेले रहते हैं लेकिन, हो सकता हैं अकेलापन महसूस नहीं करते हैं जबकि, कुछ लोग अकेले नहीं होते हुए भी अकेलापन महसूस करते हैं। दूसरों से कट जाना, अलगअलग रहना, दिल टूट जाना, गुमसुम रहना, बेचैन और घबराए हुए रहना, यह सब अकेलेपन के निशान हैं। पारंपरिक रूप से तो हमारे यहां अकेलेपन को कोई बीमारी ही नहीं माना गया है जबकि यह गंभीर शारीरिक और मानसिक रोग पैदा कर सकता है, भारत में भी अकेलेपन से ग्रसित लोगों की और छात्रों की संख्या बढ़ रही ह...